तर्ज --- दिल के अरमां
बाबा तेरे दर्श को तरसे नयन , जाने कब कृपा हो तेरी तरसे मन
सोचती हूँ ध्यान में कब आओगे
कब करोगे बातें दिल बहलाओगे
तेरी यादोँ में ही खोया रहता मन जाने कब कृपा हो तेरी तरसे मन
तेरी कृपा का ही तो आधार है
बिन तेरे जीना मेरा बेकार है
नाम तेरे की लगी मझको लगन जाने कब कृपा हो तेरी तरसे मन
दिल की किश्ती को तुझे अर्पण किया
तेरी झलक पाने को है तरसे जिया
चरणों में तेरे मेरा निकले ये दम जाने कब कृपा हो तेरी तरसे मन
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