वसन्ततिलका ;-
लक्षण :- मानो वसन्ततिलका त भ जा ज गा गा
व्याख्या :- यह सम -वर्णिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में तगण भगण , जगण , जगण
और अन्त में दो गुरु के क्रमश : 14 वर्ण होते है।
उदाहरण :-
भू में रमी शरद की कमनीयता थी
नीला अनन्त नभ निर्मल हो गया था
थी छा गई ककुभ में अमिता सिताभा
उत्फुल्ल सी प्रकृति थी प्रतिभात होती
व्याख्या :-
उपर्युक्त छंद में क्रमश : 14 वर्ण है। इसके प्रत्येक चरण में तगण , भगण
जगण , जगण और अन्त में दो गुरु है। अत : यह वसन्ततिलका छंद हुआ।
लक्षण :- मानो वसन्ततिलका त भ जा ज गा गा
व्याख्या :- यह सम -वर्णिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में तगण भगण , जगण , जगण
और अन्त में दो गुरु के क्रमश : 14 वर्ण होते है।
उदाहरण :-
भू में रमी शरद की कमनीयता थी
नीला अनन्त नभ निर्मल हो गया था
थी छा गई ककुभ में अमिता सिताभा
उत्फुल्ल सी प्रकृति थी प्रतिभात होती
व्याख्या :-
उपर्युक्त छंद में क्रमश : 14 वर्ण है। इसके प्रत्येक चरण में तगण , भगण
जगण , जगण और अन्त में दो गुरु है। अत : यह वसन्ततिलका छंद हुआ।
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