गुरुवार, 5 मार्च 2020

तुम्हें अपना समझते थे

तुम्हें अपना समझते थे
तो सबसे दूर ही रहते थे
दिल में तुम ही बसते थे
तुम्हीं पे जां छिड़कते थे
ख़ुशी के फूल खिलते थे
हर पल हँसते ही रहते थे
ग़मों से दूर हम रहते थे
जुदा जब हो गए तुमसे
वो सपने छिन गए हमसे
वो मौसम रूठ गया हमसे
@मीना गुलियानी

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