सोमवार, 1 जून 2020

इकरार बाकी रहा -कहानी

राधा और प्रीतम एक ही ऑफिस में काम करते थे।  दोनों ही साथ साथ आया जाया करते थे।  उनके बॉस का नाम अनिल था।   सारा स्टाफ अनिल  सर कहकर बात करता था।  राधा कनखियों से प्रीतम को देख लेती थी। प्रीतम भी मन ही मन उसको पसंद करता था पर दोनों के होठों तक आते आते बात रुक जाती थी।  सिर्फ एक लाईन ही तो बोलनी थी 'आई लव यू 'पर दोनों की जुबान लड़खड़ाने लगती थी।  राधा अपने लैपटॉप पर लैटर टाईप कर रही थी जो अनिल सर ने अभी डिक्टेट करा था।   प्रीतम ने चाय पीने का इशारा किया उसने सिर हिलाकर मना कर  दिया। राधा की नज़रों में काम का महत्व बातों से ज्यादा था।  अब लैटर खत्म हो गया तो वह पूछने लगी क्या बात है कोई काम वाम नहीं है जो सुबह से घूरे जा रहे हो।  प्रीतम बोला - आज तो तुम बला की खूबसूरत लग रही हो घर पर जाकर अपनी नज़र उतरवा लेना।  इसलिए ही तो मेरी नज़र तुम पर से हटी ही नहीं।  राधा ने कहा - ये ऑफिस है थोड़ा सीरियस रहना भी सीखो।  कभी अनिल सर ही तुमको डाँट लगा देंगे।

प्रीतम बोला - जो हुकुम मेरे आका। शाम को बस  स्टाप पर दोनों मिले तो प्रीतम ने कहा -तुम्हारे घर में कौन कौन है।  राधा ने कहा -क्यों पूछ रहे हो क्या इरादा है तुम्हारा।   हर किसी को हम घर का कोई भेद नहीं बताते। तुम कोई रिश्तेदार भी तो नहीं हो। प्रीतम ने कहा - दोस्त तो मानती हो या वो भी नहीं कल को आगे दोस्ती बढ़ भी तो सकती है हो सकता है वो रिश्तेदारी में बदल जाए।  राधा बोली ओह तो यह बात है।  जनाब कहाँ तक उड़ान भरने लगे। हालांकि दिल से राधा भी यही चाहती थी कि कैसे हमारा रिश्ता तय होगा।  लेकिन पहल कौन करे।  कोई  लड़की तो आगे बढ़के थोड़ी कह देगी आई लव यू। बस में दोनों को साथ में सीट मिल गई तो प्रीतम थोड़ा सट कर  बैठ गया।  राधा के दिल की धड़कन और साँसों की रफ्तार ऊपर नीचे होने लगी।  लेकिन इतने में ही उनका स्टाप आ गया।   आज भी बात मुँह तक आते आते रुक गई।  प्रीतम ने सोचा चलो कोई बात नहीं ये तो रोज की बात है।   आज नहीं तो कल कह दूँगा पर इस बार मैं बिल्कुल हिचकिचाऊंगा नहीं। 

सुबह राधा को देखकर प्रीतम ने कहा गुड़ मॉंर्निंग कल कैसा रहा।  प्रीतम बोला मैं तो रात भर तुम्हारे ही ख्यालों  में खोया रहा एक पल भी नींद नहीं आई।  राधा बोली - शाम को बात करेंगे अभी अनिल सर आने वाले हैं तुम अपनी सीट पर जाकर बैठ जाओ। प्रीतम जाकर बैठ गया और अपनी चाय का ऑर्डर दे दिया उसका सिर दर्द कर रहा था।   ऑफिस का अनमने ढंग से काम निपटाया और शाम का इंतज़ार करने लगा।  आज तो राधा भी उससे बात करना चाहती थी पर वो यही चाहती थी कि इकरार वो करे।   दोनों बस स्टाप पर आए और साथ साथ ही बैठ गए प्रीतम ने उसका हाथ धीरे से अपने हाथ में लेकर कहा -राधा आई लव यू।  राधा ने कहा मैं ऐसे कैसे कहदूँ शादी से पहले प्यार थोड़ा मुश्किल काम है।  इसमें घर वालों की रजामंदी होनी जरूरी है।   प्रीतम ने तो अपने प्यार का इज़हार कर दिया था लेकिन अब मामला घर वालों की रजामंदी पर अटक गया।   अब उसने राधा से कहा -आज तो बतादो तुम्हारे घर में कौन कौन हैं।

  आज राधा ने बताया  माँ पिताजी भाई और मैं बस हम चार ही प्राणी हैं। भाई कालेज जाता है।  माँ स्कूल में टीचर है और पिताजी सरकारी ऑफिस में क्लर्क हैं।  प्रीतम भी मध्यम आय वर्ग से संबंध रखता था.  अब उसे भी कोई अड़चन नहीं नज़र आ रही थी।  उसने राधा से कहा -हम लोग रविवार के दिन चाय पीने शाम को तुम्हारे घर आयेंगे।  अब रविवार भी आ गया और प्रीतम के घर के लोग भी आए थे।  उसने जल्दी से पनीर के पकौड़े चाय के साथ बना दिए। अब दोनों परिवारों की आपस में बातें होने लगी।  प्रीतम की ममी ने रिश्ता मांग लिया।  राधा की ममी से बोल दिया कि हम सिर्फ घर के ही लोग आयेंगे और सादगी से दुल्हन घर ले आयेंगे।  मुझे तो ये जोड़ी पसंद है।   आप लोग तो जल्दी से तैयारी कर लो तो मुहूर्त भी निकल जायेगा।  अब तो राधा के मन में भी हलचल मचने लगी।  वो धीरे धीरे मुस्कुराकर प्रीतम को देखने लगी। अब वो चले गए और अगले महीने शादी का मुहूर्त भी निकल गया।  आज वो शुभ दिन भी आ पहुँचा।   प्रीतम के घर से कुल 10 लोग ही दो कार से आये थे और सारी  रस्में हुईं।  जयमाला , फेरे ,कन्यादान और अब विदाई भी कार से हो गई।  अब प्रीतम के मन में वो राधा का जवाब सुनने की उत्सुकता थी सो प्रीतम ने पूछा राधा आज तो बता दो यह मौका भी है दस्तूर भी। तुम्हारे कहने के अनुसार मैंने अपना वचन भी निभाया है अभी  तुम्हारा इकरार बाकी है।  राधा ने कहा -प्रीतम आई लव यू टू।
@मीना गुलियानी 

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