सोमवार, 12 अप्रैल 2021

तर्ज़ - कीर्तन

जी मेरी शेरां वाली दे अगे वंदना 

इक वारी वंदना हज़ार वारी वंदना 


मेरी मैया दे गल विच हार वे 

मैं तां आई मैया दे दरबार वे 

ओथों मुक्ति दा दान ऐसा मंगना 


मेरी मैया दे द्वारे जो वी आवे 

मुओं मंगिया मुरादां पावे 

ऐदे दर तो सब कुछ मंगना 


मेरी मैया ने जहाज़ बनाया 

अपनी शक्ति दे नाल चलाया 

आवो आवो जिन्हां ने पार लंगणा 

@मीना गुलियानी 

सोमवार, 22 मार्च 2021

तर्ज - ऐ मेरे दिले नादाँ

मुझे आस तेरी मैया न निराश मुझे करना 

सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना 


मेरे मन के द्वारे में आके करलो बसेरा माँ 

तेरी जोत जले मन में हो दूर अँधेरा माँ 

मैं आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना 


मेरी आस का बंधन माँ कहीं टूट न जाए 

क्या सांस का भरोसा पल आये या न आये 

मेरे नैना प्यासे हैं मेरी प्यास बुझा देना 


सब देख लिया जग में माँ कोई नहीं अपना 

सब झूठे नाते हैं जग सारा इक सपना 

मैं भटका राही हूँ तू नज़रे कर्म करना

  

तर्ज-कीर्तन

दर्शन दे माँ जगदम्बे शेरां वालिये 

शेरां वालिये माँ जोतां वालिये 


तेरी हो रही जयजयकार माँ 

तेरे भक्तां दी एइयो पुकार माँ 

शरण दे माँ जगदम्बे शेरां वालिये 


तेरे कोलों तां कुछ नहीं  दूर माँ 

तेरे सब खज़ाने भरपूर माँ 

झोली भर माँ जगदम्बे शेरां वालिये 


जो कोई वी तेरे दर आवदा 

मुओं मंगिया मुरादां पावंदा 

दया कर माँ जगदम्बे शेरां वालिये 



गुरुवार, 18 मार्च 2021

तर्ज - कीर्तन

 शेरों वाली मैया आके दर्श दिखादे 

नैनो की आके मेरी प्यास बुझा दे 


पांडवों ने मैया तेरा भवन बनाया 

अकबर ने आके तेरी जोत  को बुझाया 

अकबर को आके मैया ज्ञान सिखा दे 


दूर से चलके तेरे दर पे आएँ 

अष्टमी के दिन मैया जोत को जलाएँ 

बिगड़ी तकदीर मैया आके बना दे 


इक पल मैया न में तुझको बिसारूँ 

तेरा दर छोड़ माता किसको पुकारूँ 

दुखो भक्तों के आके दुखड़े मिटादे 


दर  तेरे आया मैया बनके भिखारी 

दर्श की भिक्षा देदो हे शेरों वाली 

दिल में प्रेम वाली जोत जगा दे 



तर्ज - वादा न तोड़

 दर पे बुला  सुन ले सदा 

 मेरे नैना दीवाने तरसें माँ 


बरसों से तूने   मेरी आस न पुजाई 

अर्ज़ सुनो मेरी अंबे महामाई 

हमपे मेहर की नज़रें करदे माँ 


भक्ति करूँ में तेरी बन माँ सहाई 

एक बार दर पे बुला ले महामाई 

मुझको एक इशारा करदे माँ 


रो रो के मेरी मैया आँख भर आई 

तूने करी न अंबे मेरी सुनाई 

रहम अपने बच्चों पे करदे माँ 


तर्ज - रहा गर्दिशों में हरदम

  मेरी मात आओ तुम बिन मेरा नहीं सहारा 

दर्शन दिखाओ मुझको दिल ने  तुझे पुकारा 


आके हाल मेरा देखो दुनिया के दुःख हैं झेले 

तेरे बिना जहाँ में रोते  हैं हम  अकेले 

माँ  मुझे न तुम भुलाना मुझे आसरा तुम्हारा 


क्यों बेटे पर तुम्हारी नज़रे कर्म नहीं है 

सारी  ये दुनिया माता वैरी मेरी बनी है 

मेरी लाज को बचाओ मैं बच्चा हूँ तुम्हारा 


मेरे आँसुओं का तुम पर कोई असर नहीं है 

कैसे सुनाऊँ तुमको विपदा जो आ पड़ी है 

मंझधार में फंसा हूँ सूझे नहीं किनारा 


पापों ने आज घेरा माँ काटो फंद मेरा 

विषयों के नाग दस्ते माँ डालो आज फेरा 

अन्धकार से बचाओ तुझको ही माँ पुकारा

तर्ज - रहा  गर्दिशों में हरदम 

शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

साथ तेरा मेरा

 तेरा मेरा  साथ माँ पुराना है 

नाता ये प्रेम का निभाना हे 

तू मेरी माँ जगत की जननी है 

तेरे चरणों में ही ठिकाना है 


तूने लाखोँ को भव से तारा है 

खड़ा तेरे दर पे इक दीवाना है 

मैया तेरा ह्मे सहारा है 

दिल तुझे भेंट में चढ़ाना है 


तेरी नज़रें खफा कभी  न हों 

मुझको इनमें ही तो समाना है 






तर्ज - आपकी नज़रो ने समझा

माता तेरा बाल हूँ मैंयूँ न तू ठुकरा मुझे 

दर पे तेरे आ गया माँ फिर गले से लगा मुझे 


गम से मैँ घबरा गया द्वार तेरे आ गया 

अपने कर्मो को देखकर माता मैं घबरा गया 

पार करना भव से माता समझकर नादाँ मुझे 


माता मैं मजबूर हूँ तुमसे मैं जो दूर हूँ 

दिल लुभाया विषयों ने फिर भी क्यों मगरूर हूँ 

दुनिया से घबरा के माता दल ने दी है सदा तुझे 


मुझको न बिसराओ तुम अब तो माँ  जाओ तुम 

बाल तेरा हूँ मैया मुझको गले से लगाओ तुम 

तेरे चरणों में पड़ा हूँ माता तू अपना मुझे 




तर्ज - आपकी नज़रो ने समझा 

तर्ज तुम बिन जीक्न

मैं हूँ माता बाल तुम्हारा , शरण तेरी आया --माँ 

तेरे द्वार पे हाथ पसारा , शरण तेरी आया - माँ 


काम,क्रोध भटकाए लोभ भी बढ़ता जाए 

तृष्णा की अग्नि में सब कुछ जलता जाए 

मुझे आसरा माता तुम्हारा -------शरण 


गम के अँधेरे साये  छाये चारों  तरफ से छाये 

  तुम बिन मेरी माता  मुझको कौन बचाये 

  डोले नैया दूर किनारा -----------शरण 


 मनवा मोरा गाये तेरे गीत सुनाये 

तुम बिन मेरी माता कौन मुझे अपनाये 

सिर पे है माता हाथ तुम्हारा --------शरण 

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

तेरी याद में आँसु बहते रहेँगे

 तेरी याद में आँसु बहते रहेँगे 

मुँह से कुछ भी बयां हम करेंगे


दिल भर आता है चुप रह कर 

हम फिर भी चुप ही रहते हैं 

तुम मैहर करो हथ सर पे धरो वरना 

आँसुओ से हम भर देंगे 


हे कितने भोले हो तुम कितने दयावान हो 

सबकी विनती को सुन लेते हो करुणनिषि 

हे करुणाकर  तेरा ही ध्यान हम कर 


तेरे चरणों और गु नेरा ध्याब गई 

सगाहे सुबहही या शान गई 

गए जॉयनकर 

तुझे हम ा भूले तेरा गुणगान हो 

प्रीत चरणों से रमा रहेगी 

तर्ज वो जब याद आए



तेरे दर पे आऊँ फूल चढाऊँ 

सूने मन के आँगन ने दीव जलाऊँ 


दिल ने सजदे किये आँसुओ को लिए 

दे दो दीदार तुम क्यों हो रूठे हुए 

कभी कभी सोचूँ हुई क्या खतायें 

किस बात पर हमको दी हैं सजाएँ 


तेरे नाम का मतवाला दिल हो गया 

मैं टी बेखुदी में जाने क्यों खो गया 

चरणों में रख्कर सर अपने को 

कभी तो तरस खाओ कभी मुस्कुराओ 


अब रूठोगे तुम हमसे वादा करो 

माफ़ करदो हमे अब न रूठा करो 

दिल को तसल्ली मिलेगी तबही 

हाथ तेरा नेरे सर और आए 

@मीना गुलियानी  

शनिवार, 30 जनवरी 2021

दर्शन मांगू देयो प्रभु मेरे

दर्शन मांगू देयो  प्रभु मेरे

 दर्शन मांगू देयो  प्रभु मेरे 


हाल न मेरा कोई जाने 

घायल की गति घायल जाने 


तेरे सिवा न भाये दूजा 

करूँ मैं निशदिन तेरी ही पूजा 


सिमरूँ तुझे मैं शाम सवेरे 

छाये हैं चारों  ओर अँधेरे 

दर्शन मांगू देयो प्रभु मेरे 


सोमवार, 25 जनवरी 2021

जिंदगी

कल जिंदगी की झलक देखी 

मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी 

मैंने उसे ढूँढा था यहाँ वहाँ 

वो हंसकर गुनगुना रही थी 


कितने समय बाद पाया मैंने भी करार 

कितने प्यार से मुझे थपथपा रही थी 

क्यों खफ़ा रहते हैं सबब बतला रही थी 

जिंदगी दर्द देके जीना सीखा रही थी 


चोट खा के भी मुस्कुराना पड़ेगा 

रट रट भी हमे गाना पड़ेगा 

हँसी  का नाम ही तो जिंदगी है 

जीने का सलीका सीखा रही थी 

@मीना गुलियानी 

नवदीप जलाएँ

आज सुबह से ठण्डक कुछ बढ़ गई है 
कोहरे की चादर उस पर भी पड़ गई है 

अपने प्यार की गर्माहट उसमें भर दें 
मन की कटुता मिटा रिश्ते जीवंत कर दें 

फिर से बुने सपने संवेदना जगायें 
अन्धकार को मिटाकर नवदीप जलाएँ 
@मीना गुलियानी 

 विहंगिनी (भाग 3 )में संकलित मेरी रचना 

अवलोकनार्थ प्रस्तुत है जिसके सम्पादक श्री पवन जैन 

के प्रति मैं आभारी हूँ। 

भोर आती तो है

कितनी चंचल है नदी की ये धारा 

इस पार से उस पार जाती तो है 


दिल का दिया भी बुझने को  है  

लाओ चिंगारी इसकी बाती तो है 


लहरों का अस्तित्व मिटने से पहले 

सागर के तट पर टकराती तो है 


संध्या ने ओढी है काली चुनरिया 

फिर रात के बाद भोर आती तो है 

@मीना गुलियानी