सोमवार, 31 अक्टूबर 2016

करामात न होने पाई

हुए परदेसी तुम बात न होने पाई 
चल दिए तुम मुलाकात न होने पाई 

मेरे दिल ने अब फिर से ये दुआ दी है 
मिटते मिटते भी तुझे जीने की सदा दी है 
छलकती आँखों से बरसात न होने पाई 

मेरी हसरतों ने घुट घुटके जीना सीख लिया 
तुझपे आये न हरफ़ होंठ सीना सीख लिया 
बेवफा तुम थे ये फरियाद न होने पाई 

जिंदगी जैसे भी गुजरेगी जी ही लेंगे हम 
तुझको रुसवा न होने देंगे यही लेते हैं कसम 
थामा दामन तेरा करामात न होने पाई 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

कहूँ मैं वचन ज्यों नाविक तीर

सजन तुम आना यमुना तीर
वहाँ पर हरना सबकी पीर
सारी सखियाँ तुम्हें बुलायें
कबसे बैठी आस लगाएं

तुमसे बात कहूँ गम्भीर
नहीँ अब चुप रह पाती हूँ
तुम्हें मैं सब बतलाती हूँ
सजन ले चलो मुझे उस तीर

मेरी सखियाँ हँसी उड़ाएँ
तुमको देख देख मुस्काएँ
मुझसे ये सब देखा न जाए
ले  चलो संग तो आए धीर

सुनो तुम आज हमारी बात
हमारा व्याकुल हो गया गात
बिसरूं न तुमको मैं दिन रात
कहूँ मैं वचन ज्यों नाविक तीर
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016

स्वीकार करो मेरी शुभकामनाएँ

मन में लाखों  आशीष लिए 
मृदु पावन मधुर गान लिए 
अधरों पर मुस्कान लिए 
भावनाओं की छाँव लिए 

आये मृदु भावन दीवाली 
लाये जीवन में खुशहाली 
अध्यात्म की छाए लाली 
छा जाए गहरी उजियाली 

खुशियों से भर जाओ तुम
 मनचाहा वर पाओ तुम 
आलौकित हो जाओ तुम 
सुख पोषित हो जाओ तुम 

लक्ष्मी माँ तेरे द्वार पे आएँ 
खुशियों की बौछार लुटाएं 
दुःख नैराश्य को दूर भगाएँ 
स्वीकार करो मेरी शुभकामनाएँ 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 27 अक्टूबर 2016

प्रेम की दुनिया बसाओ

आज मेरी कल्पना में आकर
मेरी कविता में समा जाओ
खोल दो तुम हृदय कपाट
मेरी धड़कनों में बस जाओ

                         छोड़ दो हर प्रपंच निष्कपट निष्कलंक
                         बनकर आज तुम मुझको दिखाओ
                         दूर करके हर उदासी मेरी पीड़ा को मिटाओ
                          सारे दुर्गुण त्यागकर प्रेम की दुनिया बसाओ

जहाँ सिर्फ आस हो विश्वास हो
ऐसा इक जहाँ तुम भी बसाओ
जहाँ आत्मा और परमात्मा मिलें
ऐसा प्यारा घर तुम भी बनाओ
@मीना गुलियानी 

बरसो आँगन बनके फुहार

अब तो साजन सुनो पुकार
कबसे बैठी पन्थ निहार
आ जाओ अब मेरे द्वार
बैठी कबसे करूँ पुकार

घायल है मेरी आत्मा भी
कल न पाती ये कहीँ भी
मिल जाओ कहीँ भूले से भी
तो पा जाए ये भी करार

इक पल तो आ जाओ तुम
इतना न तरसाओ तुम
साजन गाऊँ गीत मिलन के
बरसो आँगन बनके फुहार
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 26 अक्टूबर 2016

दिन गिनते तेरी याद में साजन

कब आओगे तुम मोरे आँगन 
तुमने तो बिसरा दिया साजन 
राहों में हम नैन बिछाए बैठके 
दिन गिनते तेरी याद में साजन 

रोज़ ही देखा करते हैं दर्पण 
याद में तेरी सँवरते हैं हम 
न जाने कब आओ किसी क्षण 
इसी कल्पना में गुज़रे हर क्षण 

हर पल तेरी याद में खोना 
अखियों का चुपके से रोना 
आँखों से बरसता वो सावन 
भिगो देता मन का हर कोना 
@मीना गुलियानी 

अब तनिक विश्राम कर लो

मेरे हृदय में समाकर तुम ज़रा विश्राम कर लो 
है जो तेरा मन व्याकुल उसका सन्ताप हरलो 

छोड़ दो दर दर भटकना भूल जाओ हर गली 
पास बेठो तुम हमारे क्लान्त मन शान्त करलो 

मेरा हृदय है विशाल बरगद की छाँव जैसा 
बैठो  छांव में इसकी मन की बाधाएं हरलो 

टहनियां इसकी विशाल फैला हुआ है चारों ओर 
बैठकर तुम नीचे इसके ताप सारे मन के हरलो 

मीठे बोल सुनाते हैं सब  पंछी विचरते जो यहाँ 
सुनके इनकी प्रेम वाणी पीड़ा अपनी दूर करलो 

वेदना के कोई भी सुर तुम सुन न पाओगे यहाँ 
सुख ही सुख पाओगे तुम तनिक विश्राम करलो 
@मीना गुलियानी 


मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

मेरा प्यार असीम है

मेरा प्यार असीम है

न आदि है न अंत है

सर्वथा अंतहीन है

न तृष्णा है न वितृष्णा है

न भोग है न विलास है

हर बाधाओं से विहीन है

हर बन्धन से मुक्त है

स्वच्छन्द है विरक्त है

न कोई ज्वाला है न तप्त है

न ज़रा है न पुष्टि है

केवल सन्तुष्टि है मुक्ति है

गगन सा विशाल है

धरा जैसा पवित्र है

प्रेम की बगिया महकती है

हवा सुगन्ध यहीँ से लेती है

 प्रकृति खुल के सांस लेती है

यहाँ की बोली बड़ी विचित्र है

सब वाणी से मूक रहते हैं

बिन बोले सब समझते हैं

सब यहाँ प्रेमभाव से युक्त हैं

 दुनिया के कष्टों से मुक्त हैं
@मीना गुलियानी 

ओ साजन आ जाना

आ जाना मेरे द्वार ओ साजन आ जाना
अपना लुटाना प्यार झलक दिखला जाना

कबसे हैं मेरे नैना प्यासे
दर्श  तेरे बिन कल नहीँ पाते
सुनके मेरी पुकार मेरे घर आ जाना

कबसे साजन तुझको पुकारूँ
घड़ी घड़ी मैं रास्ता निहारूँ
आ जाना इक बार न मुझको तरसाना

भर भर आये मोरे नैना
 कबहुँ न पाए इक पल चैना
थक गई पंथ निहार तू अब तो आ जाना 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 24 अक्टूबर 2016

मन की बगिया रीती रही

सारी रात मेघ बरसता रहा
पर  मन की बगिया रीती रही
दिल की कलियां खिल न पाईं
बगिया प्रेम पाने को तरसती रही

सूर्य की किरणें आईं धरा पर
किन्तु कुमुदिनी खिल न सकी
चन्द्र का डोला उतरा गगन से
धरा फिर भी उससे अछूती ही रही

प्रेम का स्नेहिल स्पर्श उसको न मिला
उसका मन रहा बुझा बुझा अधखिला
भँवरे फूलों पे आके मंडराने लगे
मस्ती भरे गीत उनको सुनाने लगे

कलियां फिर भी उदासी लिए मन में
सिमटी रहीं पूरी खिल न सकी
प्रेम का ज्वार उन पर उतर सा गया
मौसम आया था जो वो गुज़र सा गया

गीत मौसम ने गाये सुहाने मगर
फूलों को न  भाये मगर उनके सुर
वो गम के आँसू पिए ओठों को सिए
 बूँदे आँसू की ओस बनके बिखरती रही
@मीना गुलियानी

प्रेम सुधा इतनी बरसा दो

आज  तुम फिर अपने प्यार से
मेरी बगिया को महका  दो
खिल जाएँ सब फूल यहाँ के
प्रेम सुधा इतनी बरसा  दो

तन मन मोरा महक भी जाए
प्रेम का रस उस पर टपका दो
दिल का कोना रहे न रीता
अमृत की बूँदे छलका  दो

हो जाए ये धरा आनन्दित
गीत मधुर कोई ऐसा गा  दो
हों खगवृन्द भी दीवानो से
दो घूँट इनको भी पिला दो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 23 अक्टूबर 2016

जाने कहाँ वो समां है

वो तेरा चुपके से चले आना
मेरी आँखे हथेली से दबाना
फिर धीरे धीरे से मुस्कुराना
और पल्लू से चेहरा छुपाना

                              याद आती हैं तेरी सारी वो बातें
                             वो तेरा नटखट भोलापन वो घातें
                             वो हिरनी की तरह कुलाँचे भरना
                             सीढ़ियों से उछलकर के कूद पड़ना

आया मौसम ये  कितना सुहाना
याद आया वो गुज़रा ज़माना
छू  लिया था हमने आसमाँ भी
जब तू मुझपे हुई मेहरबाँ थी

                             अब न जाने कहाँ वो समां है
                             सब ये गुज़री हुई दास्तां है
                             जाने क्यों टूटे सारे वो सपने
                             जो कभी हुआ करते थे अपने
@मीना गुलियानी

क्यों बेसहारे छोड़ चले

हमसफ़र आज साथ छोड़ चले
सारे रिश्ते वो आज तोड़ चले
कहते हैं भूल जाना तुम हमें
अब कभी याद न करना हमें
हमसे वो अपना नाता तोड़ चले

दिल भला कैसे भूल पायेगा तुम्हें
करेगा याद हर पल सताएगा हमें
ज़ख्म दिल के देख कैसे पाओगे
किस तरह वादों को निभाओगे
तुम तो अपने मुँह को फेर चले

कोई तो इसकी वजह रही होगी
शायद कुछ  प्यार में कमी होगी
बातों बातों में ऐसा क्या हो गया
क्यों तू मुझसे यूँ खफा हो गया
हमको क्यों बेसहारे छोड़ चले
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016

नशा इतना गहरा होता है

मेरा मन यादों में ही खोया रहता है 
दिल में छोटे छोटे से अरमां  जगते हैं 
सांसों के तार दिन रात बजते रहते हैं 
फिर भी क्यों ये चुपचाप सोया रहता है 

तेरे आने की खबर जब भी इसे होती है 
देहरी पे इसकी नज़रें भी टिकी होती हैं 
कानों को हर खटके पे आभास तेरा होता है 
जगता रहता है ये दिल सारा जहाँ सोता है 

 चोरी से जाने क्या जादू मुझपे होने लगा 
चैन मेरे दिल का भी अब तो खोने लगा 
गया करार जब दिल का तो मुझे ऐसा लगा 
प्यार का नशा भी कहीँ इतना गहरा होता है 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016

मैं ज़रा दीदार करलूँ

आओ प्रिय तुम पास बैठो मैं ज़रा दीदार करलूँ

कहीँ गुज़र जाएँ न लम्हें तुमसे मैं मनुहार करलूँ

वेदना के क्षण भुलाकर प्रेम को स्वीकार करलूँ

देह भले ही जर्जरित है आशा का संचार करलूँ

मन के हर कोने में दीप प्रज्वलित सत्कार करलूँ

पथिक तुम हो  मैं  विराम क्षणों पर अधिकार करलूँ

मन तो डूबा है मिलन की घड़ियों को साकार करलूँ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

अस्तित्व अपना भुला दो

आज मेरे सूनेपन को आँसुओं में तुम बहा दो

अपनी तमन्नाओं से तुम मेरा एकांत जगा दो

मेरी निराशा बढ़ने से पहले फूल आशा के बिखरा दो

मेरे दुःख भरे जीवन में तुम प्रेम सुधा छलका दो

अपने करुणाजल से मेरे जीवन को नहला दो

दिले  नादां को फुरकत में तुम ज़रा बहला दो

मेरी अंतहीन वेदना पर तुम अपनापन बिखरा दो

मेरे प्राणों के कम्पन में खोकर अस्तित्व अपना भुला दो
@मीना गुलियानी 

यूँ तड़पाना ही था

दिल ये मेरा दिल तो बस दीवाना ही था
उसने तुमको जाना और पहचाना भी था

न जाने हमारे अरमां क्यों बिछुड़कर रह गए
तुमको न जाने किस दूर डगर जाना भी था

मौसम भी था खुशनुमा और इस मौसम की शाम
अजनबी से तुम रहे क्यों तुमको भी आना ही था

दिल की भष्ट ही थी जो दरम्यां हमारे आ गई
दिल नादां को फुरकत में कुछ बहलाना भी था

इक ख्याल कुछ लम्हे  मुझसे लिपटता ही रहा
कुछ समय उस लम्हे को मुझे यूँ तड़पाना ही था
@मीना गुलियानी 

जीवन भर तेरा साथ रहे

पिया याद तुझे ये बात रहे
कभी छूटे न संग तू साथ रहे

नही तेरा मेरा आज का संग
ये तो जन्म जन्म का नाता है
बंधे जिस डोरी से टूटे न
अनमोल सा सुख दिल पाता है
चाहे दिन हो चाहे रात रहे

कभी रूठो ना मुझसे साजन
हो जाए जो मुझसे भूल कहीं
कर  देना मुझको माफ़ सनम
पर खफा न तुम हो जाना कहीँ
जीवन भर तेरा साथ रहे

तुझसे बिछुड़ी तो मैं इक पल भी
बोलो कैसे रह पाऊँगी
मछली हूँ मैं तुम सागर हो
तुम बिन कैसे रह पाऊँगी
मेरी डोर बंधी तेरे साथ रहे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016

आज की रात

चाँद से तारों का अब होगा मिलन आज की रात
कहने आई है मुझे देखो तो ये चन्द्रकिरण
आज की रात -------------------------------

आज तो तारों का डोला भी गुनगुनाएगा
धरती पे पहन के पायल नाचे गायेगा
धरती और गगन का भी होगा संगम
आज की रात --------------------------------

कबसे बिछुड़े हुए दिल आज मिल ही जाएंगे
फूल बगिया में हज़ारों खिल ही जाएंगे
खुशबु आज तो लुटायेगा चमन
आज की रात ----------------------------------

तन्हा आज तो कोई भी न रह पायेगा
मौसम ये प्यार का इक मधुर गीत गायेगा
हरसू लायेंगी बहारें भी संग मस्त पवन
आज की  रात -----------------------------------
@मीना गुलियानी

शनिवार, 15 अक्टूबर 2016

तोरे नैना हैं जादू भरे

सुनो जी तोरे नैना हैं जादू भरे
ये तो छुप छुपके जुल्म करे

कभी रूठे कभी मान जात हैं
कभी हँसे कभी करें प्रलाप हैं
हमें परेशान करें

बिन बोले कह जाए बातें
दिल में बसे बिछाए घातें
छुपके वार करें

दिल क्या जाने वो है अनाड़ी
साजन तुम हो बड़े खिलाड़ी
हंसके जादू करें
@मीना गुलियानी 

मैं तो दिल हारा हूँ

तू मेरा सहारा है मैं तेरा सहारा हूँ
चुपचाप न यूँ बैठो मैं तो दिल हारा हूँ

नदिया की जो धारा है उसका भी किनारा है
पर मेरे इरादों को न सूझे किनारा है
तू साथ अगर चलदे मंझधार किनारा है

जीवन ये फानी है दो दिन की कहानी है
आशा के ये दो पल यूँ ही उम्र बितानी है
सुख दुःख में तेरे संग पा  जाता किनारा हूँ
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

अच्छी नहीँ बात है

दिल में ही बसना और चुप रहना
अच्छी नहीँ बात है जी अच्छी नहीँ बात है
हर पल सोचना कुछ नहीँ कहना
बड़ी बुरी बात है जी बड़ी बुरी बात है

सोचते ही सोचते मैं तो यहाँ खो गई
दिन कैसे ढल गया रात देखो हो गई
कैसे मिलेंगे हम क्या क्या कहेंगे हम
सोचने की बात है जी सोचने की बात है

जब तक मिले न थे कितने आराम थे
तन्हा रहे तो न  थे गम  न हैरान थे
मिलने से गया सुकून दिल में भरा जनून
सोचने की बात है जी सोचने की बात है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016

अश्कों से छलक जाता है

आज मेरा मन मदहोश हुए जाता है
कोई जब दूर से आवाज़ दिए जाता है

बात करते हैं सनम , तेरे जलवों की जो हम
फिर से बरसी है घटा ,रुक रुक के ओ सनम
दिल तो पागल है ये , बेख़ौफ़ हुए जाता है

तेरे आने की खबर, मिली जब हमको सनम
नैनो से नींद उडी, रात भर जागे थे हम ,
इक फ़साना है  जो ,बेहोश किए  जाता है

दूर न जाओ सनम, तुमको अब मेरी कसम
इल्तज़ा मान भी लो , नहीँ तो रो देंगे हम
दिल का गम चुपके से , अश्कों से छलक जाता है
@ मीना  गुलियानी 

बुधवार, 12 अक्टूबर 2016

अपनी सोच से हूँ आज हारा

कैसा छाया हृदय में मेरे गहन अँधियारा 
स्वार्थ के अवगुन्ठनों से भरा संसार सारा 

शक की दीवारों ने जकड़ा है मुझे 
लोग चलते देखकर मुँह को फेरते 

इस गगन के सूर्य चन्द्र की क्या कहें 
मुझको तकता नहीँ कोई भी अब तारा 

मेरी कल्पना भी अथाह बन बैठी है आज 
जलधि की लहर घेरे मेरी देह को आज 

सोचने पर भी मिलता नहीँ कोई किनारा 
तुम ही अपनी प्रीत से करदो उजाले 

सम्भले न मुझसे मेरा दिल अब सम्भाले 
मैं तो खुद अपनी सोच से हूँ आज हारा 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

न सुकून हूँ न करार हूँ

न किसी नज़र का सुरूर हूँ
न किसी के दिल का करार हूँ
जो हवा के झोंके से बुझ गया
वही टूटा हुआ सा चिराग हूँ

मेरा जिस्म भी अब ढल गया
रंग रूप मेरा बदल गया
जिसे आइना देखके डर गया
मैं तो ऐसी फसले बहार हूँ

मेरा अक्स मुझसे बिछुड़ गया
मुझसे तू जो आज बिगड़ गया
दरिया से कतरा बिछुड़ गया
तू है गुल तो मैं इक खार हूँ

कोई मेरे ख्वाबों में आये क्यों
कोई बुझती शमा जलाये क्यों
जो उजड़ गया फिर बसाये क्यों
न सुकून हूँ न करार हूँ
@मीना गुलियानी

सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

तुझे हम भूल न पाते हैं

आजा  बिछुड़े हुए मेरे मीत
तुझे हम भूल न पाते हैं
आजा तेरी मेरी है प्रीत
तुझे हम भूल न पाते हैं

चँचल पवन देखो बरसें नयन
 ओ पिया मेरे इक पल तो आ जा
धड़के है मन मेरा तड़पे है मन
ओ सजन इक झलक तो दिखा जा
इस घड़ी तो निभाओ प्रीत --------------तुझे हम भूल न पाते हैं

दरश दिखाजा इक पल तो आ जा
मनवा मेरा अब तो डोले
पागल पवन भी लगाए अगन
अब तो छम छम पायलिया न बोले
तू जो मिले तो जागे प्रीत -----------------तुझे हम भूल न पाते हैं

मन का मयूर भूला  थिरकना
कैसा है जादू ये तेरा
खोई है सुध बुध तन मन ने मेरी
जबसे हुआ दिल ये तेरा
दूटे डोर न आओ मन मीत ---------------तुझे हम भूल न पाते हैं
@मीना गुलियानी 

कोई आया है

धीरे धीरे से चल तू ऐ ठण्डी बयार 
कोई आया है 
आके तू भी बरस जा घटा मेरे द्वार 
कोई आया है 

किसके आने से मैं मुस्कुराने लगी 
कलियां बागों से चुन चुन के लाने लगी 
मुझको करना है जी भरके उसका दीदार 
कोई आया है ---------------------------

होठों पे गीत मेरे तो सजने लगे 
चुपके चुपके से पाँव थिरकने लगे 
पायलिया की छमछम मची मेरे द्वार 
कोई आया है ------------------------------

पहले प्रीतम को थोड़ा सताऊँगी मैं 
फिर प्रेम से उसको मनाऊंगी मैं 
दिल पे मेरे तुम्हारा है अब इख़्तेयार 
कोई आया है ------------------------------
@मीना गुलियानी 

तुम जो फूल तो शूल हूँ

तुम हो प्रीतम प्राण हमारे
मैं चरण की धूल हूँ


तुम हो मेरी सृष्टि सारी
मैं हूँ तेरी कल्पना
तुम हो दीपक
मैं हूँ ज्योति
तेरी राहों की धूल हूँ

तेरी राहों में बिछी मैं
तेरी बगिया की कली
तेरी नज़रों से जो बिछुड़ी
धूल में फिर आ मिली
 तुम जो फूल तो शूल हूँ
@मीना गुलियानी

रविवार, 2 अक्टूबर 2016

माता की भेंट ----19

मुझे आस तेरी माता न निराश मुझे करना
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना

मेरे मन के द्वारे में आ करलो बसेरा माँ
तेरी जोट जले मन में हो दूर अँधेरा माँ
मैं  आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना

मेरी आस का बन्धन माँ कहीँ टूट न जाए
क्या सांस का भरोसा पल आये कि न आये
मेरे नैना प्यासे हैं मेरी प्यास बुझा देना

सब देख लिया जग को माँ कोई नहीँ अपना
सब झूठे नाते हैं कग सारा इक सपना
मैं भटका राही हूँ तू नज़रे करम करना
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ----18

खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे 
रो रो अरजा गुज़ारे तेरा दास माँ 
न जुदाई सही जाए साल सीने काहनू लाये 
आजा आजा मेरी माए तेरा दास हाँ 

तेरी मैनू याद सताए पलकां रो रो पकियां 
तू जिन्हा राहां तो आवें मैं विछावां अखियां 
दरश दिखादे शेरां वालिये ,मैंनू न भुलावीं 
मैं तां तेरे ही सहारे -----------------------------खोलो खोलो माँ द्वारे

अरमाना ते हंजुआ दी मैं भेंटा लेके आया 
सधरां ते चावां ने मेरी है बुआ खड़काया 
आस पुजादे मेहरां वालिये दिल दी प्यास बुझावीं 
मेरा दिल ऐहो पुकारे ---------------------------खोलो खोलो माँ द्वारे

ऐहो मेरी आस है माए दर्श सदा ही पावां 
बनके तेरा लाल मैं अम्बे तेरे ही गुण गावां 
विनती मेरी ऐहो गुफा वालिये मैंनू वी दिखावीं 
दाती ध्यानु वांग नज़ारे --------------------------खोलो खोलो माँ द्वारे
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ------17

मेरी मात आओ तुम बिन मेरा नही सहारा 
नैया भँवर में डोले सूझे नहीँ किनारा 

आ जाओ मेरी मैया आकर मुझे बचा लो 
डूबे न मेरी किश्ती करदो ज़रा इशारा 

तेरे सिवा  जहाँ में कोई नहीँ है मेरा 
आओ न देर करना तेरा ही है सहारा 

क्यों देर माँ करी  है मुश्किल में जां मेरी है 
विपदा को आज हर लो दे दो मुझे सहारा 

अब देर न लगाना मेरी मात जल्दी आना 
मुझको भी तार दे माँ लाखों को तूने तारा 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -----16

किस रँगया दुपट्टा मैया तेरा ,कि गुलानारी किस रँगया 

ऐ दुपट्टा वेख देवते वी हसदे 
छन सूरज ते तारे पये ने नचदे 
नाले बोलदे  मैया दा जयकारा ,-------------कि गुलानारी किस रँगया

ऐ दुपट्टा तकदीर गरीबां दी 
तार तार विच  झलक नसीबा  दी 
कट देंदा चौरासी वाला घेरा ---------------,कि गुलानारी किस रँगया

रब मेनू कदी  गोटा च बनावंदा 
खो खो सुई मैं दुपट्टे नूँ सजावन्दा 
नित मैया दे सर उते सजदा --------------,कि गुलानारी किस रँगया

ऐ दुपट्टा मन ध्यानु जी दे भाया सी 
कट सीस तेरी भेंट चढ़ाया सी 
नाले बोलदा मैया दा जयकारा ------------,कि गुलानारी किस रँगया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 1 अक्टूबर 2016

माता की भेंट -----15

माता तेरा बाल हूँ मैं ,यूँ न तू ठुकरा मुझे 
दर पे तेरे आ गया माँ ,फिर गले से लगा मुझे 

गम से मैं घबरा गया ,द्वार तेरे आ गया
अपने कर्मो को देखकर ,माता मैं शर्मा गया 
पार करना भव से माता ,समझकर नादां मुझे 

माता मैं मजबूर हूँ ,तुझसे जो मैं दूर हूँ 
दिल लुभाया विषयों ने,फिर भी क्यों मगरूर हूँ 
दुनिया से  घबरा के माता,दिल ने दी है सदा तुझे 

मुझको न बिसराओ तुम,अब तो माँ आ जाओ तुम 
लाल तेरा हूँ मैया , मुझको गले से लगाओ तुम 
तेरे चरणों में पड़ा हूँ ,माता तू अपना मुझे 
@मीना गुलियानी