गुरुवार, 31 जनवरी 2019

बिताऊँ जानती नहीं

जाने क्या बात है जो तेरी याद
दिल से मेरे कभी जाती ही नहीं
सोचती लाख हूँ पर लब पे मेरे
हंसी कभी तेरे बिना आती नहीं

जिंदगी के हर पल तेरी याद में
जैसे तैसे यूँ  गुज़र ही जायेंगे
हम अपने ख्यालों में खो जायेंगे
क्या करें नींद कमबख्त आती नहीं

तुम इतना दूर मुझसे जाया न करो
जाओ फिर जल्दी लौट आया करो
मुश्किल होता है अकेले सफर करना
जिंदगी कैसे बिताऊँ जानती नहीं
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 29 जनवरी 2019

कृपा से उसकी माल खज़ाना

बहुत ही मुश्किल होता है अवसाद से उभर पाना
कठिन होता है बिताए हुए लम्हों को भूल पाना

ये  जिंदगी हर पल सबका कड़ा इम्तेहान लेती है
आसान होता नहीं सबके लिए उसे पास कर पाना

फिर भी कुछ तकदीर और तदबीर  वाले होते हैं
जिन्हें मुमकिन हो जाता है सब कुछ कर पाना

रखते हैं वो हौंसला और पूरा विश्वास उस पर
पा जाते हैं वो सब कृपा से उसकी माल खज़ाना
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 28 जनवरी 2019

मुरझाया चेहरा खिल जाएगा

कभी रोने का मन हो तो
अकेले में ही बैठकर रोना
वरना तुम्हारे रोने का भी
सब मज़ाक ही तो उड़ायेंगे
कौन है तुम्हारी सुनने वाला
सब चार बातें ही बनायेंगे
सबको हँसने वाले चेहरे भाते हैं
रोने वालों की खिल्ली उड़ाते हैं
कोई मजबूरियों को न जाने
उसके आँसुओं की कीमत न जाने
सिर्फ उसके रोने पे मुस्कुरायेंगे
सबकी सुनने वाला सुनेगा कभी
तू अपना दुखड़ा उसे सुना तो सही
क्या मिलेगा जो रोया सबके आगे
रोना है तो रो उसके ही आगे
वो ममता अपनी तुझपे लुटायेगा
तेरा मुरझाया चेहरा खिल जाएगा
@मीना गुलियानी 

रविवार, 27 जनवरी 2019

सुंदर स्वप्न मैंने देखा

आज मन के तराजू पर
अपनी आस्था को परखा
मन कुछ डांवाडोल रहा
चेतना ने उसका साहस बढ़ाया
वो फिर से कुछ दृढ़ हुआ
जिंदगी में दुःख सुख आते हैं
उनसे घबराना कैसा सामना करो
विधाता की ही दोनों रचना हैं
उनको समभाव से देखो और
उनका सम्मान करो
निर्विकार निर्विकल्प रहकर
मन का मंथन किया
हृदय कल्पद्रुम सा खिल उठा
भावना के ज्वार उठने लगे
मन में वीणा के तार बजे
 सप्तसुर जगने लगे
कोयल कूकने लगी
 मोर नाचने लगा पपीहा गाने लगा
ऐसा लगा मन में इंद्रधनुष खिल उठा
गगन धरा का मिलन हुआ
इड़ा पिंगला सुषुम्ना का तारतम्य हुआ
प्रेमवश अश्रुधारा बहने लगी
हृदय भावविभोर हो उठा
हृदय पटल पर साक्षात हरि जी
सुदर्शनचक्र लेकर विराजमान थे
नभ से फूलों की वर्षा हो रही थी
तभी घड़ी का अलार्म बजा
तो पता चला कितना सुंदर स्वप्न मैंने देखा
@मीना गुलियानी


शनिवार, 26 जनवरी 2019

दोनों हाथ पसारे हैं

तेरी दुनिया में मैंने सुख दुःख देखे सारे हैं
उसने ही जाना तुझे जो तेरे ही सहारे है

सुख दुख दुनिया की गाड़ी को चलाते हैं
दोनों मिलकर ही अच्छा इंसान बनाते हैं
संसार की नदिया के दोनों ही किनारे हैं

दुःख न चाहे कोई सब सुख को तरसते हैं
दुःख आने पे रोते  सुख आये तो हँसते हैं
जिसने सुख पाया उसने दुःख देखे सारे हैं

कैसे तुमको मैं कहदूँ मुझको सारे सुख दे दो
ये तो तेरी मर्जी पर है जो तुम चाहो वो दे दो
मैंने तो तेरे  आगे अपने दोनों हाथ पसारे हैं
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

और कुछ देर न जा

सुन ज़रा मान भी जा और कुछ देर न जा
अभी है पहला पहर थोड़ी देर और ठहर

अभी तो चाँद झिलमिलायेगा
मेरा ये नसीब जाग जायेगा
खुलके बातें करेंगे जी भरके
तुझको देखा नहीं है जी भरके

रौशनी आफताब लायेगी
तारों की फिर बारात आयेगी
डोली मेरी भी तब उठा लेना
मुझको जी भरके तुम मना लेना

आज धरती पे चाँद उतरा है
तेरा मुखड़ा भी कैसा निखरा है
तेरी पलकें झुकी झुकी सी हैं
सांसें तेरी रुकी रुकी सी हैं
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 23 जनवरी 2019

भविष्य हो उज्ज्वल

करती हूँ मैं प्रार्थना
कर लो तुम स्वीकार
आज प्रभु जी तुम
सबके भरदो भण्डार
जाए न खाली कोई
दुखियारा  तेरे दर से
घर घर उजियारा फैले
सूरज की रोशनी से
सपने साकार हों सबके
सबका शुद्ध चित्त हो
सबका ही हित हो
विश्व परिवार सदृश्य हो
पक्षी चहचहाते हों
 भँवरे  गुनगुनाते हों
मलयानिल बयार हो
सुखी सबका संसार हो
सबको मिले शुभ फल
खुशियाँ बाँटे हर पल
भविष्य हो उज्ज्वल
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

क्यों अंधेरे में जले

उम्मीद टूट चली है तेरे अब आने की
बुझाके रख दी है शमा गरीबखाने की

कहा था तुमने कि आयेंगे जब चिराग जले
पर इंतज़ार में तेरी इस दिल के दाग जले

वही है महफ़िल लेकिन अब यहाँ अँधेरा है
तेरे इंतज़ार में कुछ देर तलक चिराग जले

तू जाने भी कैसे कि दर्दो अलम क्या है
न कभी दिल ये जला न इसके दाग जले

अब तो मेरी तमन्नाओं में भी अँधेरा है
न सोच दिल ये मेरा क्यों अंधेरे में जले
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 21 जनवरी 2019

प्यार से मुस्कुराना पड़ेगा

दिल में जलता रहे ये दिया प्रेम से ये जलाना पड़ेगा
आँधियाँ हों या तूफ़ान हों हर बला से बचाना पड़ेगा

जिंदगी दुःख का सागर भी है
जिदंगी प्रेम गागर भी है
सुख दुःख के भंवर से निकलकर
हमे उस पार जाना पड़ेगा

नाव साहिल से गर दूर हो
पाँव चलने से मजबूर हों
थामके फिर भरोसे का दामन
पतवार चलाना पड़ेगा

जिंदगी इक पहेली भी है
सुख दुःख की सहेली  भी है
माफ़ करके गुनाहों को सबके
प्यार से मुस्कुराना पड़ेगा
@मीना गुलियानी


रविवार, 20 जनवरी 2019

तेरा ही साथ रहे

तू मेरे साथ रहे दिन हो या रात रहे
हर पल सुख मिले हाथों में हाथ रहे

तू हमेशा था मेरा और रहेगा यूँ सदा
भूलेंगे हम न तुझे तुझको ही देंगे सदा
जिंदगी की हार जीत में तेरा हाथ रहे

तुझको पाया मैंने खुद को भी भूल गए
पाके तुझको अपना ये जहाँ भूल गए
धूप हो या छाया हो चाहे बरसात रहे

मुझसे दूर जाना ना तू मुझे भुलाना ना
हम तो तेरे ही हैं और अब जाना कहाँ
जीते जी मरके भी तेरा ही साथ रहे
@मीना गुलियानी 

जाति भेद को मिटाना

यह जीवन है दुःख सुख का ताना बाना
रखके हौंसला खुद पे आगे कदम बढ़ाना

दुःख है गहरा सागर हिम्मत न हार जाना
आशा की नाव पे चढ़के उस पार चले जाना

तुम भी वहाँ सपनों की दुनिया को बसाना
जब मीत  मिले मन का प्रीत को बढ़ाना

आशा की डोर लेकर फिर नया घर बसाना
फिर प्रेम की सुरभि से उसे तुम महकाना

प्रेम को पल्ल्वित कर जग को सुखी बनाना
इस जहाँ से नफरत जाति भेद को मिटाना
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

प्रमाद न कर

छू ले आसमान ज़मीन की तलाश न कर
जी ले अपनी जिंदगी ख़ुशी तलाश न कर

तेरी तकदीर यूँ  ही संवर जायेगी
ये बहारें फिर से लौट कर आयेंगी
 तेरे मुस्कुराने से तकरार न कर

ये उदासी भरे दिन भी गुज़र जायेंगे
चिराग जले शमा के परवाने आयेंगे
बहारें आयेंगी जीवन में ऐतबार तो कर

जीवन सुख दुःख से बना सबको छला है
जिसने कभी हारी न हिम्मत वो जीता है
ढूँढ ले अपनी खुशियों को  प्रमाद न कर
@मीना गुलियानी 

प्रेम से इसे बुना है

आज हमने रिश्तों का
ताना बाना बना है
एक एक रेशा चुनकर
मैंने आज इसे बुना है
पहले तो तकली से काता
फिर इसका गोला बनाया
जिसको खड्डे पे चढ़ाया
अंगुलियों से तिनके लगाए
एक अंगुली से फंदे बनाये
फिर उन्हें आगे पीछे से
जोड़ तोड़कर तिनके से
लाईन बनाकर उल्टी सीधी
दिशा में  अंगुली ले जाकर
तिनकों से लम्बा लटकाकर
सुंदर सा डिजाईन बनाया
देखो कहीं उलझा न देना
नहीं तो ये धागा टूटेगा
फंदा कहीं उलझा तो
ये रिश्ता भी फिर टूटेगा
इसको तुम बचाए रखना
एहसास ,प्रेम से इसे बुना है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 16 जनवरी 2019

बाँटना चाहती है

स्त्री क्या चाहती है
केवल पति का प्रेम
उसका साथ मीठे बोल
और कुछ भी नहीं
महंगे उपहार नहीं चाहती
साथ घूमना चाहती है
वो उसका हालचाल पूछे
पास बैठकर बातें करे
काम में हाथ बँटाये
हमेशा प्रेम से रहे
कभी रौब न दिखाए
बच्चों के साथ खेले
पिकनिक घुमाने ले जाए
उसका जन्मदिन याद रखे
मायके जाने पे रोके नहीं
उसकी आँखों में झाँके
पुराने लम्हे लौटा लाए
उसे आराम भी करने दे
कभी उसे अपने हाथों से
चाय बनाकर भी पिलाए
यही छोटी छोटी खुशियाँ
 पति संग बाँटना चाहती है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 15 जनवरी 2019

यह जीवन बिताया है

इस जीवन की भाग दौड़ में
कड़ी धूप और घनी छाँव में
क्या खोया और क्या पाया है
क्या तुमको यह पता है कि
रात दिन हम इन बंजारों
की तरह घूमते ही रहते हैं
इन पर्वतों के साये तले
नदिया किनारे हाथ थामे
तुम्हारी यादों को साथ लिए
सुलगते बुझते चलते रुकते
घूमते न जाने क्या ढूँढ़ते
हमने यह जीवन बिताया है
@मीना गुलियानी

सोमवार, 14 जनवरी 2019

प्रवाह की खोज में

जब कभी मैं तन्हा होता हूँ
 मेरे मन में अचानक ही
सोया दर्द जाग उठता है
जो मन के भीतर ही
रिसकर बहने लगता है
धीरे धीरे वो नसों में
बहते बहते धड़कन में
समाने लगता है  फिर
वो शब्दों में ढलकर
निर्बाध गति से
प्रवाहित होने लगता है
भावना  का समुद्र
मन में लहराने लगता है
कभी कभी लगता है
मन के सेतुबंध टूट जायेंगे
कभी कभी भावना आँखों से
अश्रुधारा बन छलकने लगती है
मन महासागर बन जाता है
जो  अनन्त है और वह
भटकता है प्रवाह की खोज में
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 5 जनवरी 2019

तुम चले जाना

सोई तकदीर जगा लूँ तो तुम चले जाना
प्यास आँखों की मिटा लूँ तो तुम चले जाना

अभी तो आये हो दो घड़ी ठहर जाओ
अपने नगमों को सजा लूँ तो तुम चले जाना

दिल टूटता है मेरा ऐसे तेरे जाने से
थोड़ा मैं दिल को सँभालू तो तुम चले जाना

तुझे फूलों से भरी जिंदगी मुबारक हो
फूल राहों में बिछा दूँ तो तुम चले जाना
@मीना गुलियानी 

प्यार की बजे सरगम

चलो उस पार चलें करलें बसेरा हम तुम
खुश रहें हिलमिलके जहाँ भी रहें हम तुम

ठंडी ठंडी हवा चले मौसम प्यारा प्यारा है
खुशनुमा  समा है हुआ रंगी ये नज़ारा है
दूरियाँ रहें न यहाँ फासले हो  जाएँ गुम

कल कल झरनों का बहता पानी है
फूलों की खुशबु है रुत मस्तानी है
चलो इस नज़ारे में खो जाएँ हम तुम

हर पल हँसते रहें और गुनगुनाते रहें
प्यार के ये नगमें सबको सुनाते रहें
भूल जाएँ गम प्यार की बजे सरगम
@मीना गुलियानी



गुरुवार, 3 जनवरी 2019

तेरे आने तक

मैं यह दुःख सहूँ कब तक
खलेगी तेरी कमी कब तक

सिर्फ तेरी याद पर ही जिन्दा हूँ
रहेगी याद भी मगर कब तक

पुकारते तुमको हम ही रहे
मगर पुकारते भी कब तक

तेरे बिना नहीँ है सुकूँ मुझको
जां चली जाए न तेरे आने तक
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 2 जनवरी 2019

तू मत घबराना

ऐ राही तू कहीं पे रुक न जाना
हिम्मत से तू आगे बढ़ते जाना

चाहे चलना पड़े अकेला पर तू मत घबराना
लेके सहारा हिम्मत का आगे कदम बढ़ाना

हो चाहे तेरे आगे कितनी पर्वतों की श्रृंखलाएं
तू है रणबाँकुरा तेरी कितनी सशक्त हैं भुजाएँ

तू चाहे तो पर्वत को  चीरकर  रास्ता बना ले
हर मुसीबत को दूर करके खुद को भी बचा ले

तेरा मकसद हो हमेशा हर हाल में विजय पाना
चाहे कितने तूफां राहों में आएँ तू मत घबराना
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

रूमानी हो जाएँ

आज फिर से हम बच्चे बन जाएँ
हर समय हम उन्हें देते हिदायतें
 चलो आज वो सब हम भूल जाएँ
आज जिन बातों पर उन्हेँ टोकते हैं
कल कहीं उस पल को न तरस जाएँ
आज उन्हें सब मस्ती करने दो
खूब उछलने ,कूदने ,खेलने दो
उनकी मस्ती में खुद को भूल जाएँ
यह बचपन कभी न आए दुबारा
समा सुहाना मौसम प्यारा प्यारा
इस रंगीन रुत में थोड़ा सा झूमें
चलो बच्चों के साथ खिलखिलाएं
करके  दूर उदासी रूमानी हो जाएँ
@मीना गुलियानी