मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

वो जिनसे हम मिल न सके

कितनी बहारें लिए आये तुम सनम
कैसी बदनसीबी हुई मिल सके न हम
वक्त भी न जाने कितना हुआ बेरहम
मलाल है हमको कितनी दूर हुए हम
@मीना गुलियानी





सोमवार, 30 दिसंबर 2019

बदल देना है मुझको

अब आया है नया  साल
अब न मचने दूँगी बवाल
तोड़ डालूंगी जंजीरें जंजाल
दिल में न रखूँगी मलाल
रखूँगी फिर से खुद का ख्याल
@मीना गुलियानी




बीते साल

बीते  साल जो कुछ भी हुआ
अच्छा होगा हम उसे भूल जायें
नया साल जो लाया उसे अपनाएँ
मन का मेल मैल मिटाकर जुड़ जाएँ
पूरी करें हम दिल की तमन्नाएँ
सारे गिले शिकवे हम भूल जाएँ
आओ फिर दो  से एक हो जाएँ
@मीना गुलियानी 

गुमशुदा है कौन मुझमेँ

कौन हो जो मुझमें समा रहे हो
सामने आते  नहीं सता रहे हो
आँखों से ओझल हुए जा रहे हो
मदहोश मुझको किये जा रहे हो
@मीना गुलियानी


रविवार, 29 दिसंबर 2019

दूर की दोस्ती

दोस्ती में कभी कभी दूरी भाती है
उबाऊ जिन्दगी फिर नई हो जाती है
प्यार में  शिकवे गिले मिट जाते हैं
फिर से मिलने की तड़प बढ़ जाती है
@मीना गुलियानी




बेड़ियाँ तोड़ दो

पुरानी परम्पराओं में जकड़ी बेड़ियाँ तोड़ दो
वर्तमान में जिओ कल की चिन्ता छोड़ दो
@मीना गुलियानी 

फूल खिले मन आँगन में

तुम आये तो मन के आँगन में फूल खिल गए
धूप खिली कोहरा छँटा और तुम मिल गए
यादों के महकते फूलों को दम भर खिलने दो
ऐसा क़हर तुम मत ढाना शाख सूनी हो जाए
@मीना गुलियानी



रात हमारी सोचने में गुज़रेगी

रात हमारी सोचने में गुज़रेगी
 कल से नया वर्ष कैसा होगा 
चिंतन करेंगे तभी सवेरा होगा
बदहाली मिटे दूर अँधेरा होगा
@मीना गुलियानी

फैसला कर लीजिये

समय युग परिवर्तन का है
जड़ता को चेतना में बदलो
जन जागरण की वेला है
कर्मठ बनो इतिहास लिख डालो
निद्रा आलस्य को त्यागकर
जन जीवन में प्राण फूँक डालो
@मीना गुलियानी

शनिवार, 28 दिसंबर 2019

भूली हुई इक याद का मंजर

भूली हुई इक याद का मंजर
आँखों में जब लहराता है
तू मुझे बहुत याद आता है
वक्त हर पल न जाने क्यों
बीते लम्हों में ले जाता है
चन्द्रकिरण अग्नि बन जाती
रातों का चैन उड़ जाता है
@मीना गुलियानी 

जो कहा है सुना जायेगा

प्रेम से जो कहोगे सुना जायेगा
गुफ़्त्गू में गुस्सा न सहा जायेगा
नफरत का लहज़ा  चुभ जायेगा
खंजर सा दिल में उतर जायेगा
मीठे बोल से पत्थर पिघल जायेगा
@मीना गुलियानी





गुब्बारे सा दिल

गुब्बारे सा दिल नाज़ुक बड़ा है
सिर्फ एहसासों से ये भरा है
कहीं चोट लगे न कोई इसको
मुझको इसका ख्याल बड़ा है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

रोके न कोई

मुझे रोके न कोई ये सफर मेरा है
ग़म नहीं मुझे कोई चाहे अँधेरा है
मेरी रात वो  है जिसका सवेरा है
मंजिल पायेंगे तूफां  ने घेरा है
जीतेंगे बाजी दुश्मन जो मेरा है
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

ऐसे कैसे हो सकता है

ऐसे कैसे हो सकता है
यह प्रश्न हम करते हैं
गलती पर हम होते हैं
ऊँची  ईमारतें बनाते हैं
साथ साथ सटाते हैं
आग से बचाव  पानी के
भराव की सुविधा की
अनदेखी कर देते हैं
फिर हादसे हो जाते हैं
प्रशासन को कोसते हैं
सुरक्षा पर सर्वप्रथम हमें
ध्यान देने की जरूरत है
सतर्कता ही बचाव है
@मीना गुलियानी 

कभी नहीं होग़ा

जो चाहा था वो हम पा न सके
तुमको भी अपना बना न सके
देखते ही देखते गैरों के हो गए
तुमको पास अपने बुला न सके
ऐसे खो गए मतलबी जहाँ में तुम
तेरे कदमो के निशान पा न सके
@मीना गुलियानी 

किसी का नाम

किसी का नाम पूरी किताब बन जाता है
 नाम दिल पर अमित छाप छोड़ जाता है
नाम लेते ही भूला बिसरा याद आता है
वक्त गुज़रा पल फिर से लौटा लाता है
चाहे वो दूर हो पास में ही नज़र आता है
कितनी कहानियाँ किस्से याद आते हैं
जिंदगी भर उसे हम न भूल पाते हैं
हवा में अपनी खुशबु वो छोड़ जाता है
@मीना गुलियानी

साधारण बनना बहुत बड़ी बात है

प्रभावशाली बनने को प्रयत्न करने पड़ते हैं
लेकिन साधारण बनना बहुत बड़ी बात है
साधारण व्यक्ति को बनावट नहीं चाहिए
समाज में उनका अलग ही वर्चस्व होता है
वो दूर से ही सबकी पहचान में आ जाते हैं
सभी लोगों से वो सम्मान भी पाते हैं
सब बड़े बड़े जो दिग्गज नेता हुए हैं उन्हें
हम उनके साधारण होने से पहचानते हैं
देश में सबके दिलों पर उनकी छवि है
जो अमित है सबको उन पर बहुत नाज़ है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 25 दिसंबर 2019

तुलसी एक औरत

तुलसी के कई रूप हैं
पौराणिक कथा में देवी है
शालिग्राम से विवाह होता है
पूजा में भी काम में लेते हैं
गणेश पूजन में नहीं लेते हैं
इसकी दवाइयाँ बनती हैं
सर्दी जुखाम बुखार त्वचा में
यह बहुत गुणकारी है
संजीवनी बूटी के समान है
@मीना गुलियानी


कदम मिलाकर चलना होगा

यह है वक्त की पुकार
कदम मिलाकर चलना होगा
देश की धरती की हुंकार
अब न किसी से डरना होगा
राह पे अपनी डटना होगा
@मीना गुलियानी 

स्वर्ग का रास्ता

आज है क्रिसमस
बच्चों की पिकनिक
जायेंगे स्वर्ग के रास्ते
सांता मिलेंगे वहाँ पे
आएगी उनकी गाडी
है बच्चों की तैयारी
वो चॉकलेट लायेंगे
बच्चों को खिलायेंगे
@मीना गुलियानी



वो गीत जिसे गाता है दिल

वो गीत जिसे गाता है दिल
आज भी है उसमें रस भरा
तुम उसको गुनगुनाओ ज़रा
दिल छू ले मन झूमे बावरा
@मीना गुलियानी


मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

तुम उस किताब की तरह हो

तुम उस किताब की तरह हो जिसे
बार बार पढ़ने को जी चाहता है
 छूते ही सारी कहानी याद आती है
बदन में सिहरन सी दौड़ जाती है
एक नशा आँखों में तैर जाता है
तुझसे कभी मन नहीं भरता है
तुम एक हमसफ़र बन जाते हो
अकेले में मेरा मन बहलाते हो
पढ़के नींद भी अच्छी आ जाती है
फिर तुम्हारे सपने भी लाती है
@मीना गुलियानी 

हम सब एक सिनेमा है

हम सब एक सिनेमा है जिसमें कलाकार
उसके हाथों की कठपुतलियाँ मात्र हैं
वो जैसा भी वो चाहे सबको नचाता है 
सबको अपना अपना काम करना है
अवधि समाप्त होते ही लौट जाना है
सबके लिए यही नियम बनाये गए हैं
जीवन की बागडोर उसके हाथों में है
क्या जाने कब वो डोर वापिस खींचे
कल क्या हो कोई नहीं जानता है
@मीना गुलियानी 

कैसी भी रात हो

कैसी भी रात हो यही दुआ है
वो सुकूँ से गुज़रने वाली हो
उसमें अमन और खुशहाली हो
आंतक और जहालतों से दूर हो
उसमे सिर्फ चैन और सुरूर हो
प्यार उसमें हमेशा समाया रहे
सर पर हमेशा खुदा का हाथ रहे
@मीना गुलियानी 

रविवार, 22 दिसंबर 2019

मन कसमसाकर रह जाता है

मन हमेशा से ही मुखरित होना चाहता है
ना चाहते हुए भी कसमसाकर रह जाता है
मन की भी कई दुविधाएँ हैं ,प्रपंच,वर्जनाएँ हैं
कितने रीति रिवाजों के शिकंजों में जकड़ा है
कुछ चाहते हुए भी कुछ नहीं कर सकता है
मन मसोसकर ही इसे चुप रहना पड़ता है
समाज की परम्पराओं की कितनी बेड़ियाँ हैं
समाज के कई बन्धन हैं उल्लघन वर्जित है
@मीना गुलियानी


सबसे पहले

सबसे पहले जीवन को स्वीकारना होगा
यह खुदा की दी हुई सबसे बड़ी नेमत है
कितनी मुश्किल से ये न्र तन मिला है
इसे यथोचित ईश्वर ध्यान में लगाना है
मानव कल्याण के लिए काम करना है
अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना है
उसे प्राप्त करने हेतु प्रयासरत होना है
निरोगी रहने के लिए योग भी करना है
सांसारिक बन्धनों से निर्लिप्त रहना है
कीचड़ में कमल समान व्यवहार करना है
@मीना गुलियानी 

पत्थर बना दिया

दिल तो हमारा एक खिला हुआ फूल था
तुम्हारी बेरुखी ने इसे पत्थर बना दिया
वो दिन भी क्या दिन थे जब एहसास था
 दिल के एहसास को किसने दबा दिया
पहले तो इस लरज़ते दिल में दुआएँ थीं
जलते दिल की मोम को किसने बुझा दिया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 21 दिसंबर 2019

तुमने कहा था

तुमने  कहा था किन्तु
मैंने ही गौर नहीं किया
इक सुगबुगाहट सी हुई थी
मन में भी हलचल हुई थी
वीणा के सुर बज उठे थे
पग में घुंघरू छनक उठे थे
पपीहे ने भी तान सुनाई
कोयल ने रागिनी गाई
मन मयूरा नाच उठा था
सोया दिल जाग उठा था
कंपित होंठ भी गाने लगे
हम तुम भी मुस्कुराने लगे
@मीना गुलियानी

मन को शान्त रखें

मन को शान्त रखें चाहे परिस्थिति कैसी भी हो
संयमित रहें सावधान रहें कदम न डगमगायें
स्वयं पर भरोसा रखें निर्णय पर भी दृढ़ रहें
हर फैंसला सावधानी शांति से लें जल्दी में नहीं
जल्दबाज़ी में लिया फैंसला गलत हो सकता है
बाहर का कोलाहल तो थम जाएगा पर तुम
अन्तर्मन को शान्त करके उसकी आवाज़ सुनो
@मीना गुलियानी 

मुट्ठी में भी कब आया

समय को कौन कैद कर  पाया
ये हमारी मुट्ठी में भी कब आया
ये पलक झपकते गुज़र जाता है
कोई भी इसे रोक ही नहीं पाया
इसके आगे किसी की नहीं चलती
हर कोई शख्स हारता नज़र आया
गर तुम चाहो कि जीत लो उसको
कदम मिलाके चलो बनके हमसाया
@मीना गुलियानी 

होठो पे मुस्कान सजाए

चले आओ अपने होठो पे मुस्कान सजाए
तुम आओ शायद ये बहार भी लौट आए
ज़िन्दगी की शमा भी तुमसे रोशन है
तेरे आने से ही दिल में चैन करार आए
बड़े ज़ालिम हो हमसे ही पता पूछते हो
जाने कबसे इस गली में तुम नहीं आए
@मीना गुलियानी 

नज़र नहीं आता

हर तरफ निगाहेँ तुमको ढूँढती हैं
पर तू कहीं भी नज़र नहीं आता
हर तरफ अन्धकार सा छाया हुआ
उजियारा किसी ओर से नहीं आता
तू चला आये तो शमा रोशन हो
सूनी महफ़िल में मज़ा नहीं आता
तू ही तो जान शानो शौकत है
बिन तुम्हारे कुछ भी नहीं भाता
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

सोचकर तो देखिए

सोचकर तो देखिए जरूर एक बार
फिर करना इन्कार या इकरार
ऐसे कहाँ बार बार होता है प्यार
कब किसी पे आता है दिल बार बार
दिल पर भी क्या है इख़्तियार
कब किसी से हो पाता इज़हार
 न हो कभी हो जाओ बेकरार
और मिलना हो जाए दुश्वार
फिर मिन्नतें करनी पड़ें बेशुमार
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

हम तुम

हम तुम दोनों प्रेम के कैदी हैं
जो कैद में ही खुश रहते हैं
पिंजरे के पंछी की तरह उन्हें
उस पिंजरे से मोह हो गया है
जो दाना चुग कर  फिर उसी
पिंजरे में फिर कैद हो जाता है
हम भी बाहों के पिंजरे में ही
एक दूसरे में समा  के खो जाते हैं
एक दूसरे के साथ हर लम्हा
हँस के सुख दुःख की बात करते हैं
@मीना गुलियानी 

धैर्य रखी

दिल में धैर्य रखी
पहाड़ जैसे बहादुर बनो
जो हर परिस्थिति में
चट्टान सा दृढ रहता है
चाहे कितने तूफ़ान आएँ
वो अडिग डटा रहता है
दिल को कभी विचलित
न होने दो धैर्य रखो
@मीना गुलियानी 

सब कुछ फना करता है


वक्त कभी एक सा नहीं रहता
वो जब करवट लेता है तब कभी
एक पल में सब कुछ फना  करता है
उसके आगे किसी की नहीं चलती
बड़े बड़े साम्राज्य नतमस्तक हो जाते हैं
भव्य इमारतें खलिहान हिमखंड भी
पल में धाराशायी हो लुप्त हो जाते हैं
बाढ़ जब प्रलयंकारी हो जाती है तब
वो सब कुछ अपनी चपेट में लेती है
सबका अहंकार वक्त चूर चूर करता है
@मीना गुलियानी

जब भी मिलना

जब भी मिलना
हँसकर मिलना
चुप नहीं रहना
हँसी भाती है
दिल लुभाती है
चुप रहना खलता
दिल नहीं लगता
फूल खिलते हैं
दिल मिलते हैं
मस्ती छाती है
सपने जगाती है
@मीना गुलियानी 

एक समय बाद

एक समय बाद शाखों  से सूखे पत्ते झड़ते हैं
ऐसे ही समय पर दुःख के बादल भी छंटते हैं
फिर सुख आता है और ग़म तब हाथ मलते हैं
यह अटल नियम है सुख दुःख साथ नहीं होते
वो समय आने पर अपना स्थान बदलते हैं
ईश्वर की इच्छा से ख़ुशी के फूल खिलते हैं
@मीना गुलियानी 

ख़ुशी की बात है

ख़ुशी की बात है कि बरसों बाद तुम मिले
चलो आज दूर करलें हम हर शिकवे गिले
तुम खतायें माफ़ करदो हम भी सब भूलें
फिर से मिलें हम कभी न बिछुड़ने के लिए
@मीना गुलियानी 

सच तो यही है

सच तो यही है कि अब
तन्हा जिया नहीं जाता
दर्दे दिल भुलाया नहीं जाता
सबको ये बताया नहीं जाता
कितने भी यत्न हम करें
चाके जिगर सिया नहीं जाता
सूनापन दिल पे छाया रहता है
मर्ज विषबेल सा बढ़ता रहता है
दवा से ये मिटाया नहीं जाता है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

कम भी हो तो

कम भी हो तो संतोष करना चाहिए
थोड़े में गुज़ारा करना आना चाहिए
चादर जितनी लंबी हो उतने ही लंबे
पाँव पसारकर गुजारा करना चाहिए
फिजूलखर्ची और दिखावा ठीक नहीं
संतोषी और मितव्ययी बनना चाहिए
इसी वृति से मन प्रसन्न रखना चाहिए
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

दूसरों के लिए

दूसरों के लिए कौन सोचे यहाँ
फुरसत है किसें इतनी भी यहाँ
सभी मसरूफ ही रहते सब यहाँ
किसको क्या पड़ी जो सोचे यहाँ
सभी अपना राग अलापते यहाँ
मतलब की दुनिया कोई न यहाँ
@मीना गुलियानी 

शाम उतर आई है दिल में

शाम उतर आई है दिल में
सजी हुई महफ़िल है दिल में
कहकहों का दौर है दिल में
रंगी समां है आज दिल में
जुगनुओं का झमघट लगा है
तारों से ये मण्डप सजा है
चाँदनी भी गुनगुना रही है
महफ़िल सजती जा रही है
बाजे वीणा धीमे सुर में
छनके पायल रून झुन में
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 16 दिसंबर 2019

सुविधाओं का त्याग जरूरी है

अगर लक्ष्य प्राप्त करना हो तो
सुविधाओं का त्याग जरूरी है
बिना परिश्रम के कोई भी व्यक्ति
 मुकाम हासिल नहीं कर  सकता
ऊँचे ओहदा पाने को ठाठ बाट
त्यागकर कड़ी मेहनत जरूरी है
@मीना गुलियानी 

इसलिए मौन हूँ

हर तरफ अराजकता का साम्राज्य है फैला हुआ
नक्कारखाने में तूती की आवाज़ कौन सुनेगा
इसलिए मौन हूँ जिधर देखो रिश्वत का बोलबाला
झूठ ही है पसरा चहुँ ओर सच को परे धकेल डाला
पापी दुराचारियों के संसार में यहाँ कौन रखवाला
किसको सुनाये विपदा अपनी हर जगह घोटाला
@मीना गुलियानी 

रविवार, 15 दिसंबर 2019

उत्साह बना रहे

अब भरा है मेरा तन मन उत्साह और उमंग से
है प्रेम से अब आलोकित मेरे मन का हर कोना
मेरे जीवन में निराशा कैसे घेरेगी अब मुझको
अब धैर्य है मेरा साथी जिसे नहीं चाहती खोना
@मीना गुलियानी





अगर इक चाय मिल जाए

अगर इक चाय मिल जाए
तो अपनी सर्दी कम हो जाए
वल्लाह क्या बात है इसकी
चुस्की लेके सुकूँ मिल जाए
तन मन में स्फूर्ति आये और
कली मन की भी खिल जाए
@मीना गुलियानी 

क्यों चैन नहीं मिलता दिल को

क्यों चैन नहीं मिलता दिल को
जाने क्या रोग लगा है दिल को
तेरी याद में ही खोया रहता है
बेजुबान सा चुपचाप रहता है
न उसे भूख लगती है न प्यास
रहता हरदम जाने क्यों उदास
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 14 दिसंबर 2019

बुझने न देना

जो आग तुम्हारे भीतर सुलगी है
उसे धधकने देना बुझने न देना
तुम्हारी जिंदगी की गाडी भी
उसी आग से ही तो चलती है
अगर वह आग बुझ गई तो तुम
अपने गंतव्य तक न पहुँच पाओगे
बीच रास्ते में ही कहीं रुक जाओगे
@मीना गुलियानी 

दिन निकल गया है

उठो दिन निकल गया है
सूरज उग गया है
ऊषा पानी भरने गई है
तारा पनघट में वो
अपनी मटकी डुबो रही है
विभावरी बीत चुकी है
तुम भी जाग जाओ
पुरुषार्थ में लग जाओ
@मीना गुलियानी 

तन्हाई ने करवट ली है

तन्हाई ने करवट ली है
अकेलेपन की वो साथी है
यह परछाई की तरह ही
हमारे साथ रहती है
कभी बोर नहीं होने देती
पल्लू थामे रहती है
अपना आभास कराती है
मुझे भीड़ अच्छी नहीं लगती
अब यही समय बिताती है
@मीना गुलियानी 

बिछुड़ जाते हैं

बहुत दूर चलते चलते कहाँ आ गए
चलो आज हम फिर बिछुड़ जाते हैं
कुछ पल की दूरी फिर से मिला देगी
दुबारा मिलने पर नया एहसास होगा
ऐसा महसूस होगा पहली बार मिले
एक बदलाव जिंदगी में आ जाएगा
नीरसता खत्म होगी जो कि जरूरी है
रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए
कभी कभी बिछुड़ना भी जरूरी है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

गर्म हाथों की गर्मी

तुम्हारे इन गर्म हाथों की गर्मी
मेरे मुर्दा जिस्म में जान डालती है
सदियों से रूह पर जमी हुई बर्फ
इनकी गर्मी को पाके पिघल जाती है
फिर से  जिंदगी मुझे मिल जाती है
तुम्हें पा लेने की तमन्ना बढ़ जाती है
इन हाथों की कैद जिंदगी को भाती है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

भूलता ही नहीं है

तुम्हारे साथ बिताया वो समय
कभी मुझे भूलता ही नहीं है
हर समय तन्हाई में बैठते ही
तुम्हारी याद खिंची आती है
वो मेरे दिल को तड़पाती है
मेरी धड़कनों को बढ़ाती है
तुम्हारी तस्वीर आँखों में
उभरकर दिल बहलाती है
@मीना गुलियानी 

बादल छंट जायेंगे

जीवन में सुख दुःख
सिक्के के दो पहलू हैं
ये आते जाते रहते हैं
संकट के ये बादल कल
स्वत: ही छंट जाएंगे
आज तो ख़ुशी से जिओ
कल की चिंता मत करो
कल फिर सुनहरी धूप से
अपना आँचल भर लेना
जीवन का दुःख हर लेना
@मीना गुलियानी


बुधवार, 11 दिसंबर 2019

देखकर चलो

देखकर चलो हादसों से तुम बचो
खुद को सम्भालो दुनिया से बचो
हर तरफ आततायी घूमते हैं बचो
कहीं कोई वारदात न हो ज़रा बचो
सभी मुखौटा चढ़ाये हुए हैं बचो
उनके मन की खोट से तुम बचो
मत भरोसा करना सावधान बचो
@मीना गुलियानी 

डर लगता है

एक अन्जाना सा डर लगता है
कि तुमको कहीं खो न दूँ
तुम मेरे दिल के करीब हो
तुमसे अलग होना गंवारा नहीं
दिल चाहता है तुम पास रहो
मेरी नज़रों से ओझल न हो
तुमसे कुछ देर के लिए भी दूरी
अब मुझसे सही जाती नहीं
तेरे बिना कोई चीज़ भाती नहीं
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

छोड़ दिया

छोड़ दिया मैंने घुट कर जीना
छोड़ दिया मैंने आँसु को पीना
अब किसी की परवाह नहीं है
मेरी जिंदगी लापरवाह नहीं है
अपने लक्ष्य को साधा है मैंने
कदम उठाये उस ओर भी मैंने
हार नहीं कभी हम अब मानेँगे
उपलब्धि को हासिल हम करेंगे
@मीना गुलियानी 

बहुत हुआ अब

बहुत हुआ अब निद्रा त्यागो
खोलो आँखें अब तुम जागो
अब तो सूरज देव हैं पधारे
उठ जाओ अब तुम भी प्यारे
उठकर थोड़ा ध्यान लगाओ
अपना जीवन सफल बनाओ
माता पिता को करो प्रणाम
पाओगे उनसे तुम वरदान
@मीना गुलियानी 

हमारी नज़र तो है

इतना तो है हमारी नज़र तो है
तेरे हर रवैये की खबर तो है
तेरा प्यार का महज दिखावा है
इसका मेरे दिल पर असर तो है
देख फिर भी मुझे सब्र तो है
@मीना गुलियानी 

यादों के गुल खिले

इस तरह तेरी यादों के गुल खिले
कैसे मौसम में ऐसे हम तुम मिले
दिल करता है खत्म न हो सिलसिले
हमें पसन्द है तू जिस तरह भी मिले
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 9 दिसंबर 2019

कहते हुए डर लगता है

अपने लिए कुछ कहते हुए डर लगता है
कहीं कोई मुझे गलत न समझ बैठे
दुनिया हमेशा गलत निगाह से देखती है
सच्चाई जाने बगैर लांछन लगा देती है
सच का पता हलने में देर हो जाती है
तब तक ये  दुनिया ही पलट जाती है
कोई अन्तर्मन तक घायल हो जाता है
झूठा दोषारोपण कोई सह न पाता है
इसलिए मैं चुप रहना पसन्द करती हूँ
अपनी बातें खुद से ही करती रहती हूँ
@मीना गुलियानी 

रविवार, 8 दिसंबर 2019

भूली कहानी याद आई

आज फिर भूली कहानी याद आई
जब हम पहली बार मिले थे
सावन का मौसम था बारिश में
दिल में प्रेम के दो फूल खिले थे
तुमने मेरे हाथों को थामा था
दो अजनबी मिलके चले थे
आज वही मौसम आया है
वही सुहानी यादें ताज़ा हो गईं
वादी में पपीहे ने शोर मचाया
कोयल ने भी कूक मचाई और
 भूली बिसरी कहानी याद आई
@मीना गुलियानी 

सोचने से क्या होगा

सिर्फ सोचने से क्या होगा
काम तो करने से ही होगा
यूँ हाथ पे हाथ धरने से भी
तुम्हें कुछ न हासिल होगा
जीवन एक कड़ी चुनौती है
स्वीकार करने से कुछ मिलेगा
यह कर्मक्षेत्र है निरन्तर ही
कार्य करके परिणाम मिलेगा
 तदबीर से ही  तकदीर बनेगी
शेर के मुँह में भी मृग स्वयं
चलकर नहीं आता इसलिए
उठो कर्म करो सोचो मत
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 7 दिसंबर 2019

तुम मेरे करीब हो

तुम मेरे करीब हो फिर भी
ऐसे लगता है जैसे दूर हो
यह सिर्फ एहसास ही है
वरना तू तो मेरे ही पास है
तू मेरी रूह के आसपास है
हमारा रूहानी रिश्ता ख़ास है
सोचने पर दूरी मिट जाती है
तेरी याद खिंची चली आती है
@मीना गुलियानी 

सब रंग तुम्हारे अंदर हैं

सब रंग तुम्हारे अंदर हैं
हर रंग में वो मौजूद है
 देखने वाली नज़र चाहिए
वो हर रंग में समाया है
जिस रंग में देखना चाहो
उसी रंग में वो दिखाई देगा
ये हमारी परिकल्पना है
तभी अलग रंग में दिखता है
दुःख सुख भी उसके रंग हैं
फूलों पर पेड़ों में उसी की
रंगत ही हमें दिखाई देती है
इनसे इंद्रधनुष बनता है
@मीना गुलियानी 

कहाँ रहते हो तुम

आजकल कहाँ रहते हो तुम
जाने किन ख्यालों में हो ग़ुम
सबसे नज़रें चुराके खो गए तुम
बदली है फ़िज़ा और ग़ुम हो तुम
तुमसे मिलने को हैं बेताब हम
आवाज़  दो आख़िर कहाँ हो तुम
दिल को चैन आये आओ तुम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

अपनी ओर भी डालो नज़र

क्यों देखता है तू इधर उधर
अपनी ओर भी डालो नज़र
कहीं कुछ अनदेखी न हो जाए
कोई तुझमें कमी न रह जाए
अपने कर्मों में कर ले सुधार
फिर दिल में करले विचार
क्यों मानुष तन हमने पाया
क्यों हीरा जन्म हमने गंवाया
अब तो इसको ले तू सुधार
शुभ कर्मों से इसको तू सुधार
सब कुछ यहीं धरा रह जाएगा
वक्त गुज़रा तो पछतायेगा
@मीना गुलियानी

किधर जायें

जहाँ भी देखो धुंध का साम्राज्य है
कोई तो हमें बताए किधर जायें
कोई भी रहगुज़र नज़र नहीं आता
दिल की बेताबियों को कैसे समझाएं
@मीना गुलियानी 

मासूमियत को

कैसे बचाऊँ खुद को मैं
दुनिया में ईर्ष्या द्वेष से
कैसे बचाऊं मैं इंसानियत को
जब हावी हो रही हैवानियत
कैसे भरूँ दिल के जख्मों को
जो हर समय  टीस देते हैं
कैसे दूर करूँ ग़म के अंधेरों को
ऐ वक्त काश तुम्हीं लौटा पाते
मेरी हसरतों भरी सुबह शामों को
मेरा अल्हड़पन मासूमियत को
@मीना गुलियानी 

आँखों की प्यास वो

मत जाओ दूर इतना कि हम तुझे ढूँढते ही रहें
मत पास आओ इतना मिटे दिल की प्यास वो
सजा दो चाँदनी को भी तुम अपने ऐसे लिबास में
लगता रहे मुझे कि तेरा खिलता नूर मेरे पास हो
क्यों बेकरार करती है मुझे ये दिलकशी तेरी
घटती ही नहीं कभी मेरी आँखों की प्यास वो
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 5 दिसंबर 2019

घर घर ही नहीं रहे

अब घर घर ही नहीं रहे
घर के सब लोग बंट गए
बुजुर्ग लोग वृद्धाश्रम गए
परिवार हिस्सों में बंट गए
न बड़ों का मान सम्मान है
न  कोई आन बान शान है
घर को देख कसक होती है
इक घुटन दिल में होती है
पहले घर में रसोई एक थी
सबकी कमाई भी नेक थी
अच्छा गुज़ारा चलता था
सबका पेट भर जाता था
अब सारे लोग कमाते हैं
पर गुज़ारा न कर पाते हैं
@मीना गुलियानी


मन नहीं भरता

उसे देखकर कभी मन नहीं भरता
बार बार उसे देखने को जी करता
जाने क्या बात है नज़र हटती नहीं
 कोई और दिल में मेरे बसती नहीं
मुझे तो वो कोई हूर नज़र आती है
दूर से ही दिल मेरा चुरा ले जाती है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 4 दिसंबर 2019

पानी पर बहते वो जाते हैं

पानी पर बहते वो जाते हैं
लहरों पे नाम लिख जाते हैं
हर बहाव में तैरते जाते हैं
चाहे कितने तूफ़ान ही आएँ
चाहे दुश्मन घात लगाए
निडर होके बढ़ते जाते हैं
मुश्किल आसां करते जाते हैं
@मीना गुलियानी 

उस तरफ

उस तरफ देखा जो मैंने
अक्स वो तेरा ही था
फिर टटोला मन को जब
तू भी तो मेरा ही था
दिल में छिपा हुआ था
गुमां ये मुझको भी था
ली तलाशी दिल की जब
सच में वहाँ तू ही था
@मीना गुलियानी 

तलाश तो बहुत किया

तलाश तो बहुत किया
पर मिला नहीं हमें
कोई ऐसा हमसफ़र जो
हमें दिल से अपनाता
हमारी सुनता अपनी सुनाता
सर आँखों पे हमको बिठाता
जो भी कहते वो मान जाता
हरदम हँसता हमको  हँसाता
दुःख में हमेशा साथ निभाता
छोड़ के दूर कभी न जाता
@मीना गुलियानी 

तुम साथ थे जब

तुम साथ थे जब धूप भी मुस्कुराती थी
तुम साथ थे जब हर कली झूम जाती थी
तुम साथ थे जब दिल में उमंग छाती थी
तुम साथ थे जब हर रात जगमगाती थी
तुम साथ थे जब हवा संदेश लेके आती थी
तुम साथ थे जब हर तमन्ना पूरी होती थी
तुम्हारे साथ झोंपड़ी महल बन जाती थी
तुम्हारी हर ख़ुशी मेरी ख़ुशी बन जाती थी
@मीना गुलियानी

गौर करें तो

गौर करें तो प्रकृति में जीवन है
हर रूप में ये सजीव हो जाती है
चित्रकला ,मूर्तिकला ,संगीत ,नृत्य
सभी में हम साकार देखते हैं
ये देखने वाले पर निर्भर है कि
वो किस रूप में उसे देखता है
प्रकृति का हर रूप मनोहर है
पेड़ों की डालियों में फूलों में
पशुओं की बोली पक्षियों के
कलरव चहचहाहट में इन
सभी में प्रकृति समाहित है
बादलों की गड़गड़ाहट  में
बिजली की चमक गर्जन में
सभी में प्रकृति का स्वरूप है
सृष्टि का उद्भव और अंत है
@मीना गुलियानी



जल बुझे सब ख़्वाब मेरे



जल बुझे सब ख़्वाब मेरे 
रह गए दिल में अँधेरे 
जाने कब हों अब सवेरे 
आँसुओं के पड़ गए घेरे
ढूँढूँ तुझे मैं साँझ सवेरे
बाट जोहते हैं नैन मेरे
कब आओगे साजन मेरे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

भुलाने चला हूँ

तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ
मैं अपनी हस्ती मिटाने चला हूँ
जला है इस तरफ आशियाना हमारा
भला इस कदर भी क्या हमने बिगाड़ा
मैं खुद अपनी किश्ती डुबाने चला हूँ
न तुमसे है शिकवा न कोई शिकायत
पता क्या मुझे था तुम हो बेमुरव्वत
भंवर में खुद को मिटाने चला हूँ
@मीना गुलियानी 

संसार से जाना है

बन्दे न भूल प्रभु संसार से जाना है
माटी से तू आया माटी में समाना है
संसार की दौलत कुछ काम न आयेगी
तेरी सारी ये माया यहीं पे रह जायेगी
खाली जग में आया खाली ही जाना है
@मीना गुलियानी 

दिल नहीं भरता

तुझे देखके कभी दिल नहीं भरता
बार बार देखने को ही मन करता
तस्वीर तेरी दिल में बसा रखी है
तुझसे गुफ़्तगू को ही मन करता
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

तेरी याद भी कम आती है

तूने प्यार में बेवफाई का सिला दिया
क्यों तूने दिल को मेरे यूँ तोड़ दिया
अब मुझे तेरी याद भी कम आती है
मेरी आँखों में नींद भी आ जाती है
मैंने भी तुझको दिल से भुला दिया
अब तेरी यादों को भी मिटा दिया
@मीना गुलियानी 

दुनिया वाले

दुनिया वाले तो जीने ही नहीं देते हैं
हर बात का वो मज़ाक बना देते हैं
सच्चाई बिना परखे ही सज़ा देते हैं
चुपके चुपके से खिल्ली वो उड़ाते हैं
मुँह पर तो वो वफादार बने रहते हैं
पीठ पीछे छुरी भी वो घोंप देते हैं
हर किसी के दुःख पे वो हँस देते हैं 
हर बात का वो उल्टा सिला देते हैं
@मीना गुलियानी 

रविवार, 1 दिसंबर 2019

मुझे बताना है

मुझे बताना है तुम्हें कि तुम कितने अच्छे हो
मगर दुनियादारी के मामले में अभी कच्चे हो
दुनिया हर बात का झूठा अफसाना बना लेती है
ज़रा सी बात पे वो आसमान सर पे उठा लेती है
दुनिया से नज़रें बचा के मिलो अरमां छुपाके मिलो
सबसे अच्छा तो यही होगा कि सपनों में आके मिलो
@मीना गुलियानी 

सपनों की दुनिया

सपनों की दुनिया खूबसूरत होती है
हम बंद करके आँखों को बुला लेते हैं
जब भी तेरी जरूरत महसूस होती है
यहाँ कोई पहरे पर्दादारी नहीं होती है
मिलके तुझसे राहत महसूस होती है
@मीना गुलियानी 

तुम साथ नहीं हो क्यों मेरे

तुम साथ नहीं हो क्यों मेरे
मेरे दिन रैन हुए बिन तेरे
छिप गए चंदा सूरज मेरे
ढूँढे मेरी नज़रें साँझ सवेरे
व्याकुल जियरा है बिन तेरे
दर्श दिखाओ साजन मेरे
@मीना गुलियानी 

ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ

ज़िन्दगी मिले तो उससे पूछूँ
क्यों इतनी तेज़ चलती है
ज़रा सी देर भी रूकती नहीं
मेरी तो जान भी निकलती है
सांसों की डोर भी कोई थामे
ये मुझसे नहीं सम्भलती है
@मीना गुलियानी  

ज़रा सी रोशनी ने

ज़रा सी रोशनी ने जग में किया उजाला
तेरे रूप ने किया है मुझे मतवाला
बिन पिए ही  गले में उतरी है हाला
घर मेरा बन गया जैसे मधुशाला
जाने तूने ये कैसा जादू कर डाला
@मीना गुलियानी