Meena's Diary
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बुधवार, 10 फ़रवरी 2016
ले जाओ पार
नदिया के उस पार
साजन का द्वार
कैसे मै जाऊँ
अटके है तार
किश्ती है खोई
तकदीर भी सोई
बिन पतवार
बिन खेवनहार
डूबी मै जाऊँ
कैसे तीर पाऊँ
आओ सजनवा
ले जाओ पार
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