Meena's Diary
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बुधवार, 10 फ़रवरी 2016
प्रलय का ज्वार
मंजिल मेरी कितनी अपार
कितने घातक होते प्रहार
टूटे सपनों के अखिल हार
सुख तंत्री के है मौन तार
है वर्तमान में रुदन भार
चेतना विश्व का सत्य सार
उठ रहा प्रलय का भीषण ज्वार
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