गुरुवार, 22 जून 2017

सच बोलना भी दरकिनार

मै बहुत कुछ सोचता हूँ पर कहता नहीं
कहना तो क्या सच बोलना भी दरकिनार

अब किसी को दरार नज़र आती नहीं
घर की दीवारों पर हैं पर्दे बेशुमार

कैसे बचकर चलें सूरत नज़र आती नहीं
रहगुज़र घेरे हुए हैं लिए तोहमतें हज़ार

रौनके ज़न्नत भी रास न आई मुझे
सुकूँ मिला था जहन्नुम में बेशुमार
@मीना गुलियानी

सोमवार, 19 जून 2017

तुमको मेरी याद दिलायेंगे

मेले में गर भटकते तो ठौर मिल जाता
 घर में भटके हैं कैसे ठौर अपना पायेंगे

आँच कुछ बाकी है धुआँ निकलने दो
देखना मुसाफिर इसी बहाने आयेंगे

पाँव जल में इस कदर न हिलाओ तुम
बुद्बुदे पानी के हिलके टूट ही जायेंगे

गीत मेरे जो अधूरे और अछूते रह गए
देखना कल तुमको मेरी याद दिलायेंगे
@मीना गुलियानी 

सपने ज़रा प्यारे तू देख

दुःख का दरिया दूर तक फैला हुआ
बाजुओं की ताकत देख धारे न देख

जंग जीवन की लड़नी पड़ेगी तुझे
हकीकत ये खौफ के मारे न देख

न हो मायूस देख धुंधलका इस कदर
रोज़नों को भी इन दीवारों में देख

चमका ले किस्मत छू ले आसमां तू
घर अँधेरा है तो क्या  तारे भी देख

दिल बहला ले मगर इतना न उड़
सम्भल के सपने ज़रा प्यारे तू देख
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 15 जून 2017

मोर भी नाचे डाली डाली

देखो कैसा फूल खिला है इस उपवन में
झूम उठा है जीवन हरियाली आँगन में

कण कण पर देखो प्रसून के आया पराग है
गा रही है गीत मधुमास के क्या अनुराग है

फूलों की रुत लाई  कैसी ये फुहार है
 मन में उमंग छाई मस्ती बेशुमार है

प्यार के गीत सुनाती है कोयल ये काली
झूम झूम के मोर भी नाचे  डाली डाली

कुहुक कुहुक कर  नाच रहा है मनवा उसका
देखो चित्त चुरा लिया गोरी ने जिसका
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 13 जून 2017

ऐसा देश बनायेंगे

गाओगे जब गीत तुम
मौसम सुहाने आयेंगे
मुस्कुराओगे जो तुम
फूल खुशबु लुटायेंगे

                     कलियाँ फिर खिलने लगेंगी
                      भँवरे भी गुनगुनायेंगे
                      चहकेंगी चिड़ियाँ चमन में
                      पत्ते भी लहलहायेंगे

धरा भी उगलेगी सोना
श्रमकण भी जगमगायेंगे
हर घर से मिटे अँधेरा
ऐसा दीप जलायेंगे

                    कोई भी भूखा न सोए
                    ऐसी अलख जगायेंगे
                    धन धान्य से परिपूर्ण हो
                    ऐसा देश बनायेंगे
@मीना गुलियानी

जीवन ज्योति जगाओ तुम

ये जीवन इक समरांगण है
 हार जीत होती है जीवन में

थक के बैठ न जाना तुम
आगे कदम बढ़ाना तुम

जीवन का आनन्द मिलेगा
जब उतरोगे रण में तुम

बहेगी फिर प्रेम की गंगा
जीवन को महकाओ तुम

बंजर धरती सोना उगले
ऐसी धरा बनाओ तुम

माथे से मेहनत का पसीना
आज अपने बहाओ तुम

छोडो नैराश्य मिटाओ वैमनस्य
जीवन ज्योति जगाओ तुम
@मीना गुलियानी 

रविवार, 11 जून 2017

मेहमाँ तुम्हीं तो हो

पछताओगे इक दिन तुम दिल मेरा उजाड़कर
इस दिल में बसता कौन है मेहमाँ तुम्हीं तो हो

आता है तुमको रहम जुल्मों के बाद भी
अपने किए पे खुद पशेमां तुम्हीं तो हो

मेरी आँखों का नूर दिल का सुरूर हो तुम
 हम जानते थे जान के खैरखाह तुम्हीं हो

हम भूल न पायेंगे कभी तेरी कद्र्दानियाँ
हर किस्से में पुरज़ोर से शुमार तुम्हीं हो
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 8 जून 2017

तेरी याद बहुत सताती है

जब ये दुनिया की धूप मुझे झुलसाती है
तब मुझे तेरी याद बहुत सताती है

               जिंदगी के हर मुश्किल पड़ाव पर
               तेरी सांत्वना मेरा हौंसला बढ़ाती है

काम से थककर घर लौटने के बाद
तेरे हाथों की रोटी मन को भाती है

             जब ग़म का अँधेरा मेरा हौंसला तोड़ता है
             तेरे प्यार की रोशनी राह को दिखाती है
@मीना गुलियानी


बुधवार, 7 जून 2017

सुनता है वही सबकी फरियाद

हर पल जीवन के तू हँसके गुज़ार
जिंदगी के दो पल मिले हैं उधार
मत इनको रोके आंसुओं में गुज़ार

जो अब भी न समझा तो नादानी तेरी
यूँ ही बीत जायेगी जिंदगानी तेरी
सभी भूल जायेंगे कहानी ये  तेरी

तू आत्मबल बढ़ा और आगे बढ़
कर हिम्मत बुलन्द पर्वत पे चढ़
छू  लेगा आसमां भी ज़रा आगे बढ़

कर्म ऐसा कर दुनिया रखे याद
न डर रख हमेशा उसको तू याद
सुनता है वही सबकी फरियाद
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 5 जून 2017

हमें जीना आना चाहिए

जिन्दगी अनमोल है हमें जीना आना चाहिए
चाहे लाखों गम भी आयें मुस्कुराना चाहिए

दिल पे चाहे हो दर्दो गमों का बोझ भारी
भूलकर हर दुःख को हँसना आना चाहिए

माना आशा के जो पल निराशा में ढल गए
ख़ुशी में उन पलों को भूल जाना चाहिए 

कभी जीत तो कभी हार का नाम है जिंदगी
हर घड़ी परीक्षा की है ये समझ आना चाहिए
@मीना गुलियानी 

रविवार, 4 जून 2017

कोई जीवन राग सुनाओ ना

जिंदगी का फलसफा कहीं शबे ग़म न बने
 जीवन के पथ में कोई निराशा बिंदु न बने
 अब कोई कटुवचनों से दिल धड़काए ना

                      चाँद सितारो तुम भी आओ संग हमारे तुम भी गाओ
                      अँधेरी रातों के दीपक बन धरती को तुम जगमगाओ
                       फिर कोई अलगाव न उभरे  ऐसा साज़ बजाओ ना

सच्चा साथी जब मिल जाए हर लम्हा मंज़िल बन जाए
किसी पड़ाव पे साथ न छूटे दिल का अरमा वो बन जाए
सांस सांस की धड़कन पर कोई जीवन राग सुनाओ ना
@मीना गुलियानी


शुक्रवार, 2 जून 2017

दिलों में चाहत बनी हुई है

झुकी हैं पलकें खामोश लब हैं दिलों में चाहत बनी हुई है
ये रौशनी भी दिल की सिहरन हालत ऐसी बनी हुई है

वो पास आये तो दूर बैठे , क्या कोई समझे क्या उनसे पूछे
कुछ हमसे बोलो लब ये खोलो ,धड़कन हमारी थमी हुई है

तुमने न सोचा न हमने जाना, क्या क्या सोचेगा ये ज़माना
ज़रा तो मेरे करीब आओ , नज़रें जहाँ की तनी हुईं हैं

चेहरा छिपाते हथेलियों से ,जैसे अंगारे बरस रहे हों
पाँव ज़रा तुम सम्भल के रखना फूलों सी ज़मी हुई है
@मीना  गुलियानी