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शनिवार, 9 मई 2020

कच्चा सा दिल लम्हे नए चुन रहा -कहानी

आजकल लॉक डाउन का समय चल रहा है।   जो बच्चे रात  दिन खूब धमा चौकड़ी मचाया करते थे आजकल वो बिलकुल शांत से दुबके हुए से नज़र आते हैं।   अब तो बिना इजाजत घर की चौखट से अपने कदम भी बाहर नहीं निकालते।   मेरा पोता करीब 12 साल का है जब उसके पापा जिनका बाहर व्यवसाय है छुटियों में जब कभी भी घर पर आते हैं वो एक तूफ़ान मचा देता है।  पापा आज यहाँ जायेंगे इस मॉल में घूमेंगे लंच बाहर खायेंगे फिर फिल्म देखेंगे।   इस तरह की फरमाइशें आम हो जाती हैं पर इन दिनों किसी भी फरमाईश का उसने जिक्र तक नहीं किया।
  आजकल तो सुबह उठकर पहले गर्म पानी पीता  है फिर नहाकर तैयार हो जाता है।   उसके बाद वो सूर्य भगवान को जल चढ़ाता है।   फिर  वो अपना नाश्ता खा लेता है।  नाश्ते के बाद 8 बजे से उसकी ड्रम क्लास ऑनलाइन होती है तब वो ड्रम बजाता है।   सुबह 9 बजे से उसकी कक्षा की ऑनलाइन पढ़ाई होती है फिर वो अपनी कक्षा की पढ़ाई करता है।

   अब वो थोड़ी देर अपनी दादी के साथ पोधों में पानी देकर उनकी मदद करता है।  फिर पापा की गाड़ी साफ़ करवाने में मदद करता है वो गाड़ी एक कपड़ा लेकर पोंछता है और पापा धोते जाते हैं।  अब थोड़ी देर वो अपनी मन पसंद का कोई प्रोग्राम टी वी पर देखता है।  अब जब खाने का समय हो जाता है तो वो भी रसोई में आकर सब्जी साफ़ करता है।   प्याज टमाटर कटर से काट देता है इस तरह उसकी मम्मी की भी मदद हो जाती है।

  पहले न तो उसके पास कोई समय था न ही कोई उसकी रूचि ही थी लेकिन अब घर पर रहते रहते वो भी जब बोर होने लगता है तो इन कामों में उसकी दिलचस्पी बढ़ जाती है।   इससे उसका समय भी कट जाता है और घर के काम में मदद भी हो जाती है।  दिन में सबका ध्यान भी रखता है कोई कैसे हाथ धो रहा है।   खाना खाने के बाद टेबल  साफ़ करना और वाइपर से मम्मी के साथ पोंछा लगवाने की मदद भी करता है।   बच्चे कितने कोमल होते हैं उनका दिल कितना विशाल होता है।   आजकल के बच्चे बहुत समझदार भी हैं उनको किसी काम के लिए बार बार कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

  अब सभी बच्चे जानते हैं की वो घर पर ही सुरक्षित रहेंगे तो घर पर ही चैस , कैरम बोर्ड , ताश , लूडो आदि खेल लेते हैं या कोई वीडियो गेम देख लेते हैं।   दोपहर में कुछ देर विश्राम कर लेने के बाद शाम को 6 बजे से उसकी गिटार की क्लास ऑनलाइन होती है।   फिर हल्का  फुल्का नाश्ता करने के बाद रात के खाने की तैयारी होती है। फिर पापा मम्मी के साथ थोड़ी मस्ती और अपने मामा के साथ फोन पर ढेर सारी  दिन भर की बातें।    उसे मम्मी के साथ डांस करना भी अच्छा लगता है।   सोने से पहले एक कहानी पढ़ कर सोता है।   बच्चों के  साथ बिताए   ये लम्हे कभी भी भुलाए नहीं जा सकते। जिन बातों को लेकर हम लोग रोज़ बच्चों को टोकते रहते थे लगता है इन दिनों वो खुद ही इतने समझदार हो चुके हैं कि हम कभी घर के बाहर कदम भी रखें तो टोक देते हैं कि घर पर सुरक्षित रहो ऐसा रोज़ ही टी वी पर दिखाते हैं।   आप भी बाहर मत जाओ। बच्चों के साथ बिताये क्षण कभी नहीं भूलते हैं बच्चे अपने कच्चे मन में कितने पलों के सपने बुनते हैं।
@मीना गुलियानी









  

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