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शनिवार, 9 मई 2020

माँ

माँ शब्द जैसा कोई और शब्द ही नहीं
इस शब्द की व्याख्या करना मुश्किल है
माँ तो अनन्त है असीम है इसका प्यार
ये तो जननी है जो देवताओं को भी जन्म
देती है और इस जननी से भी बड़ी है
हमारी धरती माँ जिसकी गोद में खेले हैं
माँ जैसा निस्वार्थ भाव से कोई भी हमें
इतना प्रेम नहीं कर सकता इसकी छाया
में वो शीतलता है जो हमारे दुःख हरती है
हमारा जीवन को ख़ुशियों से भरती है
हमारे जीवन को फ़ूलों से महकाती है
अपना प्यार निःस्वार्थ वो लुटाती है
इसकी  तुलना स्वर्ग से की जाती है
इसके मन में कोई कपट नहीं होता है
समभाव से अपनी ममता लुटाती है
@मीना गुलियानी 

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