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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

आत्मनिवेदन



अपने विषय में ज्यादा क्या लिखूँ  यही कहना चाहूंगी कि  एक मध्यम वर्गीय परिवार में दिल्ली में मेरा
जन्म हुआ फिर विवाहोपरांत जयपुर के ही होकर रह गए।   हिंन्दी साहित्य में मैने एम  ए  किया.
बाल्यकाल  से ही मेरी रूचि खेल कूद में कम हिन्दी साहित्य पढ़ने में अधिक  रही। लगभग सभी उच्च
श्रेणी के लेखको की पुस्तके मैने पढ़ी।   मेरे प्रिय उपन्यासकार शरतचन्द्र जी, प्रेमचंद जी , विमल मित्र जी थे
तथा कवियों में सूरदास जी, जयशंकर प्रसाद जी की रचनाये मुझे अधिक प्रिय है।

मुझे कविताये , भजन , लघुकथा आदि लिखने का  शौक बचपन से था। सन 2009  में सरकारी सेवा से
वरिष्ठ अनुदेशिका के पद से सेवा निवृत हुई।   समय का लाभ उठाते हुए मैने लिखने का प्रयास ज़ारी
रखा।   मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है  जिसमे गुरुदेव जी से संबंधित दोहे, भजन एवं माता जी की
भेंटें है।

अब कविताओ से संबंधित बिखरे पन्ने  प्रकाशित हो जा रही है जो आप सभी पाठको को
समर्पित है।   इस पुस्तक में मेरी कल्पना तथा भावनाओ का समन्वय देखने को मिलेगा। 

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