बुधवार, 27 सितंबर 2017

माता की भेंट ----09

तर्ज़ ------घर आया मेरा परदेसी 

अखियाँ दर्शन अनुरागी चरणकमल से लौ लागी 

अब तो दर्श दिखा जाना 
प्यास को आके मिटा जाना 
मन मेरा बना बैरागी ------चरणकमल 

मैया जी अब न देर करो 
मन की उदासी दूर करो 
प्रीत अगन मन में जागी ---चरणकमल 

जोड़ा तुम्हरे संग नाता 
बेटी मैं हूँ तुम माता 
माँ ने क्यों ममता त्यागी ---चरणकमल 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

माता की भेंट ---08

ओ दिसदा दरबार पहाड़ां वाली दा 
चल भगता कर दीदार पहाड़ां वाली दा 

दूर दूर तों संगता आइया 
उचिया लंबियाँ चढ़न चढ़ाइयाँ 
हर दिल विच वसदा प्यार --------पहाड़ां वाली दा 

था था पर्वत देंण नज़ारे 
पत्थरां विच गूँजन जयकारे 
एथे होवे मंगलाचार   -----------पहाड़ां वाली दा 

सबदे मन दी आस पुजावे 
कोई न दर तों ख़ाली जावे 
है रहमत दा भण्डार   ---------पहाड़ां वाली दा 

होके ध्यानू वांग दीवाना 
हस हस दे सिर नज़राना 
मन बन जा खिदमतगार ------पहाड़ां वाली दा 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 25 सितंबर 2017

माता की भेंट ----07

जय जगदम्बे मात भवानी दया रूप साकार
सुनो मेरी विनती  आया हूँ तेरे द्वार 

आज फँसी मंझधार बीच मेरी नैया 
तुम बिन मेरा कोई नहीं है खिवैया 
नैया मेरी जगदम्बे माँ करदो भव से पार--------सुनो मेरी विनती

महिषासुर के मान मिटा देने वाली 
रावण जैसे दुष्ट खपा देने वाली 
पाप मिटा देती चामुण्डा ले कर में तलवार ------सुनो मेरी विनती

तेरे नाम की महिमा अजब निराली है 
अपने भक्तों की करती रखवाली है 
अपने दासों की खातिर तूने रूप लिए बहु धार ----सुनो मेरी विनती

जगमग करती जोत तुम्हारी है माता 
विद्या और बुद्धि बल की तू दाता 
गाता हूँ मैं गीत तुम्हारे मैया करो उद्धार -----  ----सुनो मेरी विनती
@मीना गुल

रविवार, 24 सितंबर 2017

माता की भेंट ---06

जगदम्बे शेरां वाली बिगड़ी संवार दे 
नैया भँवर में मेरी सागर से तार दे 

मैं अज्ञानी मैया कुछ भी न जानू 
दुनिया के झूठे नाते अपना मैं मानू 
आके बचालो नैया भव से उबार दे 

लाखों की तूने मैया बिगड़ी बनाई 
फिर क्यों हुई है मैया मेरी रुसवाई 
लाज बचाले मैया दुखड़े निवार दे 

जपूँ तेरा नाम मैया ऐसा मुझे ज्ञान दे 
नाम न भूलूँ तेरा ऐसा वरदान दे 
आशा की जोत मेरे दिल में उतार दे 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 23 सितंबर 2017

माता की भेंट ---05

आज दया कर मुझ पर मईया ,सुनले करुण पुकार हो
नैया फँसी मँझदार में मेरी , करदे इसको पार हो

तुम महाकाली  तुम चामुण्डा तुम ही मात भवानी हो
तुम हो दीन दुखी की पालक तुम दुर्गा महारानी हो
मम जीवन की तुम रखवाली तुम मेरी आधार हो

तेरे नाम की जोत जलाकर पापी भी तर जाते हैं
सुख पाते हैं वो जीवन में जो तेरा गुण गाते हैं
तुम ही पालक हो भक्तों की तुम देवी साकार हो

अष्ट भुजा से दुष्ट खपाकर पहनी मुण्डनमाला है
सिंह वाहिनी खड्ग धारिणी रूप तेरा विकराल है
मईया दया की दृष्टि डालो तुम आशा का तार हो
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ---04

किसका दर है कि ज़बीं आप झुकी जाती है 
दिले खुद्दार दुहाई कि खुदी जाती है 

आये जो तेरी शरण हमने तब ये पहचाना 
तेरे दर पे ही तो किस्मत जगाई जाती है 

ढाये दुनिया ने सितम हमको तुम न ठुकराना 
तेरे दर पे ही तो खुशियाँ लुटाई जाती हैं 

रूठे दुनिया चाहे सारी न तुम खफ़ा होना 
तुझे पाने को ही हस्ती मिटाई जाती है 

अपने दासों पे कर्म मईया आज फरमाना 
तेरे दर पे ही तो बिगड़ी बनाई जाती है 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

माता की भेंट ---03

मेरी मात आ जाओ तुझे दिल ढूँढ रहा है 
मुझे दर्श दिखा जाओ तुझे दिल ढूँढ़ रहा है 

तुम आओ तो ऐ माँ मेरी किस्मत बदल जाए 
बिगड़ी हुई तकदीर माँ फिर से सँवर जाए 
कबसे खड़ा हूँ मैं तेरी उम्मीद लगाए --------- तुझे दिल ढूँढ़ रहा है 

इस दुनिया ने ऐ माँ मेरा सुख चैन है छीना 
मुश्किल हुआ है आज तो बिन दर्श के जीना 
आवाज़ दे मुझको माँ अपने पास बुला ले------ तुझे दिल ढूँढ़ रहा है 

रो रो के मईया आँखे भी देती हैं दुहाई 
सुनलो मेरी विपदा मईया जी करलो सुनाई 
अब जाऊँ कहाँ तुम बिन नहीं और ठिका है ----- तुझे दिल ढूँढ़ रहा है 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ----02

तर्ज़ ----रहा गर्दिशों में हरदम 

मेरी मात आओ तुम बिन, मेरा नहीं सहारा 
दर्शन दिखाओ मुझको , दिल ने तुझे पुकारा 

आके हाल मेरा देखो , दुनिया के दुःख हैं झेले 
तेरे बिना जहाँ में , रोते हैं हम अकेले 
माँ मुझे न तुम भुलाना , मुझे आसरा तुम्हारा 

क्यों बेटे पर तुम्हारी, नज़रे कर्म नहीं है 
सारी ये दुनिया माता , वैरी मेरी बनी है 
मेरी लाज को बचाओ, मैं बच्चा हूँ तुम्हारा 

मेरे आँसुओ का तुम पर ,कोई असर नहीं है 
कैसे सुनाऊँ तुमको, विपदा जो आ पड़ी है 
मँझदार में फंसा हूँ ,सूझे नहीं किनारा
 @मीना गुलियानी 

बुधवार, 20 सितंबर 2017

माता की भेंट -01

तर्ज़ ---मैं  कता प्रीतां नाल

मैं करा प्रीतां नाल ---------------------------- दर्शन मइया दा
वा वा दर्शन मइया दा-----------------सोहणा दर्शन मइया दा

गुफा मइया दी सोहणी लगदी पर्वत दे विचकार
मइया शेरां वाली दा , है सुन्दर दरबार   - ------दर्शन मइया दा

आये भगत प्यारे मइया दे बोलण जय जयकारे
जेहड़ा उसदा नाम ध्यावे , पल विच उसनू तारे --दर्शन मइया दा

मइया जी दे द्वारे सोहणी जगदी ऐ जोत न्यारी
माता जी दी शेर सवारी, लगदी ऐ प्यारी प्यारी ---दर्शन मइया दा

माँ अम्बा जगदम्बा जी दा सुन्दर भवन रंगीला
प्रेम दे वाजे वजदे दर ते , नाम दी हो रही लीला ---दर्शन मइया दा

दुर्गा शक्ति जी दे अग्गे हाल फोलिये दिल दे
शेरां वाली दे दरबारों , मंगे मनोरथ मिलदे -----  दर्शन मइया दा
@मीना गुलियानी




मंगलवार, 19 सितंबर 2017

अरमाँ पूरे नहीं होते

           कभी ख़ुशी पाने की आशा
           कभी है गम की निराशा
           कुछ खोके पाने की आशा
           यही है जीवन की परिभाषा

इंसानियत आदमी को इंसान बना देती है
लगन हर मुश्किल को आसान बना देती है
सब लोग यूँ ही मंदिरों में नहीं जाते हैं
आस्था पत्थरों को भी भगवान बना देती है

कभी मेहनत करने पर भी सपने पूरे नहीं होते
इससे निराश न होना कभी हम अधूरे नहीं होते
जुटाओ हिम्मत बढ़ो आगे छू लोगे आसमाँ भी
बिना लहरों  से टकराए अरमाँ पूरे नहीं होते
@मीना गुलियानी


रविवार, 17 सितंबर 2017

चैन न दिल को आए

तुम बिन न लागे जिया
अब तक काहे न आए

काहे बसे परदेस बलमवा
बिसरे तुम मोरा अँगनवा
कासे कहूँ अब कैसे रहूँ मैं
बिरहा तेरी जो सताए

ऐसे बेदर्दी से नाता जोड़ा
जिसने मेरे दिल को तोडा
बिसर गया मोको हरजाई
जाके देस पराए

छाये हैं चहुँ ओर अँधेरे
कैसे होंगे अब ये सवेरे
प्रीत मेरी ठुकराके तूने
दर्द भी मोरे बढ़ाए

अब छाये बादल मतवाले
 दिल को बोलो  कैसे संभाले
प्रीत अधूरी गीत अधूरे
चैन न दिल को आए
@मीना गुलियानी

बुधवार, 13 सितंबर 2017

स्मृति पलकों में बन्द रहती है

तुम्हारी स्मृति पलकों में बन्द रहती है
मुझसे वो बातें चन्द करती ही रहती है

कभी पलकों में ये मुस्कुराती है
कभी कभी अश्क भी बहाती है
जाने क्यों फिर भी तंग रहती है
दिल में इक जंग जैसे रहती है

तुमको ये हाले दिल बता देगी
पूछोगे गर तो ये पता देगी
मुझसे शायद नाराज़ रहती है
तभी ये कुछ उदास रहती है

कभी तो हौले से गुनगुनाती है
कभी थपकी देके भी सुलाती है
दिल के हर राज़ बयां करती है
मन में शायद सबसे डरती है

कभी ये लोरियाँ सुनाती है
कभी रूठूँ तो ये मनाती है
कभी आसमाँ से उतरती है
कभी ज़मीं पे पग धरती है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 12 सितंबर 2017

चिरनिद्रा में सो लेने दो

तुम आज मुझे सो लेने दो
चुप चाप मुझे रो लेने दो
बरसों से सुख से सो न सका
चिरनिद्रा में सो लेने दो

क्या सोचा था और क्या पाया
दिल जाने कहाँ मुझको लाया
लहरों ने थपेड़े मुझको दिए
अब चाके गरेबाँ सीने दो

क्या क्या न सितम मुझपे टूटे
इक साथ तेरा तब पाया था
तूने भी भटकने को छोड़ा
अब मुझको सुकूँ से जीने दो

होठों तक आते आते भी
क्यों नाम तेरा न ले पाता
दिल रोता है पीड़ा से मगर
चुप चाप ये आँसू पीने दो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 10 सितंबर 2017

ख्वाबों में मेरे आया करो

आ जाओ बारिश में थोड़ा भीग लें
इतना भी हमसे शर्माया न करो

चाँदनी बिखरी तेरे तब्बसुम पर
अपने जलवों को न छिपाया करो

दर्द जिंदगी भी कितना देती है
इसे आँसुओ में न बहाया करो

कुछ तुम्हारे लब खामोश रहते हैं
कभी खुलके तो मुस्कराया करो

जिंदगी वादों पे गुज़र जाती है
अपनी नज़रें न यूँ चुराया करो

हमसे इतना भी दूर मत जाओ
कभी ख्वाबों में मेरे आया करो
@मीना गुलियानी


गुरुवार, 7 सितंबर 2017

आज किसी ने चुपके चुपके

छेड़ दिया है मन वीणा का तार किसी ने चुपके चुपके
गीत से दिल गुञ्जार किया है चोरी चोरी चुपके चुपके

दिल को दिए हैं मीठे सपने
कुछ हैं पराये कुछ हैं अपने
वीणा का झंकार किया है
आज किसी ने चुपके चुपके

जानी मैंने  नैनो की भाषा
जागी फिर जीने की आशा
दिल को फिर गुलज़ार किया है
आज किसी ने चुपके चुपके

प्रीत को दिल में किसने जगाया
मृतप्राय को जीवन्त बनाया
स्पन्दन दिल में फिरसे किया है
आज किसी ने चुपके चुपके
@मीना  गुलियानी


मंगलवार, 5 सितंबर 2017

उन्नत पथ पर ले जाए कौन

बढ़ती जा रही हैं विडंबनाएँ
उनसे हमें  उबारे अब कौन
किनसे हम उंम्मीद लगाएं
सपने हमारे सँवारे कौन

सारी संवेदनाएँ सूख चली हैं
हृदय की भावना सिमट चली है
दिग्भ्रमित पीढ़ी हो चली है
राह सही बतलाये अब कौन

टूटी हैं मर्यादा आंतक का उत्पात मचा
अंधविश्वास से हरसू कोहराम मचा
अजब के गोरखधंधों में इंसान फंसा
संकट गहराया इतना उबारे अब कौन

है भरोसा युवा पीढ़ी पर आगे वो ही आएँ
धरती की उर्वरता को वो ही लहलहाएं
उनकी ही कर्मठता से बढ़ेंगी संभावनाएं
देश को अब उन्नत पथ पर ले जाए कौन
@मीना गुलियानी

शनिवार, 2 सितंबर 2017

घुट घुट के न मर जाऊँ

टूटी  है वीणा टूटी है आशा
व्यथित मन की हूँ परिभाषा
बोलो गीत मैं कैसे गाऊँ
कैसे मै  अब मुस्काऊँ

कब जाने ये बंधन टूटा
जाने क्यों तू मुझसे रूठा
जोड़ूँ कैसे मैं टूटे रिश्ते
कैसे दिल को धीर बँधाऊँ

सारे अपने छूट गए हैं
 रिश्ते नाते टूट गए हैं
अपने पराये से लगते हैं
किसको मैं मीत बनाऊँ

आसमान  से टूटे तारे
बिखरे हैं बनके अंगारे
सुलग रहा है मन मेरा
जाने क्यों मैं अकुलाऊँ

हाल कोई तो पूछे मेरा
काश कोई तो होता मेरा
किसे दिखाऊँ दिलके छाले
घुट घुट के न मर जाऊँ
@मीना गुलियानी