शनिवार, 30 नवंबर 2019

ये वो दौर है

ये वो दौर है जहाँ जीने के लिए
खुद को भी मिटाना पड़ता है
हर ज़ख़्म अपना भुलाकर हमें
सबके लिए मुस्कुराना पड़ता है
@मीना गुलियानी 

एक छलावा मात्र है

कल केवल एक छलावा मात्र है
इसका तुम विश्वास मत करना
हमेशा आज पर यकीन करना
कल की चिंता तुम मत करना
कल कभी भी नहीं आता है
बीता हुआ दिन लौट न पाता है
जो कर्म नहीं करता पछताता है
@मीना गुलियानी 

लड़की पूछ रही है

लड़की पूछ रही है हम सबसे
क्या सपने पूरे होंगे हम सबके
क्या हम भी शिक्षा ले पायेंगे 
भैया जैसे क्या हम स्कूल जायेंगे
लिख पढ़कर कुछ हम बन पायेंगे
@मीना गुलियानी

ऐसे कहाँ तक निभाएं

तुम ही बताओ ऐसे कहाँ तक निभाएं
इतना बड़ा दिल हम कहाँ से लायें
ऐसे हालात में कैसे जिंदगी बिताएं
तुमसे बिछुड़कर जिन्दा रह न पाएं
कोई तो जाके रूठे पिया को मनाये
मेरे सुनहले दिनों को लौटा के लाये
@मीना गुलियानी 

तुम्हारे बाद

तुम्हारे बाद आखिर मेरा क्या बचा है
मेरी ज़िन्दगी की शुरुआत तुमसे है
इसका आरम्भ और अंत तुमसे ही है
इसके अलावा सोचा नहीं चाहा नहीं 
@मीना गुलियानी 

वो सुबह कब आएगी

जाने वो सुबह कब आएगी
जब एक औरत अबला न कहलायेगी
सामना वो करेगी भूखे भेड़ियों का
हवस के पुजारियों का कब वो
अपनी अस्मत इनसे बचा पायेगी
अब वक्त वो आ चुका जब वो
खुद ही दुर्गा बन तलवार उठायेगी
 @मीना गुलियानी 

सफ़र पर चल तो पड़े

अब अपने सफ़र पर चल तो पड़े हैं हम

किस्मत है अपनी ख़ुशी मिले या ग़म
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 27 नवंबर 2019

सोचा न था

सोचा न था कभी दिन ऐसे भी आयेंगे
रोती रहेँगी आँखें हँसना भूल जायेंगे
सोचा था तुम्हें पाकर ग़म भूल जायेंगे
पता न था खोके आँसुओं में डूब जायेंगे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

कसूर किसका था

इतनी जदोजहद के बाद हम
सोचते हैं कि कसूर किसका था
न तुम्हारा था न मेरा कसूर था
वो तो निगाहों का ही था
जो चुपके से आपस में मिली
धीरे धीरे उनमें बात बढ़ी
फिर कुछ सोच न समझा
न कुछ देखा न भाला
देखते देखते प्यार कर डाला
यही उनका मासूम कसूर था
@मीना गुलियानी 

लिखते रहेंगे दिल की कहानी

लिखते रहेंगे दिल की कहानी
है जो सदियों से भी पुरानी
एक ने कही दूजे ने मानी
तेरी मेरी यही प्रेम कहानी
बरसों पहले की थी नादानी
कीमत अब तक पड़ी चुकानी
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 25 नवंबर 2019

किरदार में ढलना पड़ेगा

यह ज़िन्दगी एक रंगमंच है
सभी उसकी कठपुतलियाँ हैं
सबको अपना किरदार निभाना है
अच्छे अभिनय के लिए हमको
उस किरदार में ढलना पड़ेगा
तभी उसको निभा पाएंगे
फिर दुनिया भी याद करेगी
कितना अच्छा किरदार निभाया
अच्छी ज़िन्दगी जी और फिर
वो इस संसार से विदा हुआ
अपने दुःख दर्द को भूलकर
खुशियों को आत्मसात करना है
ऐसे किरदार में ढलना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

ढूँढने निकले हैं


 ढूँढने निकले हैं खुशियों को
 जो कहीं खो गई हैं
 इन वीरान सी राहों में
 नीले आसमान के नीचे
 पथरीली चट्टानों में कहीं
 वो जाके सो गई हैं
 हमें उन्हें जगाना ही होगा
खोया ज़माना लाना ही होगा
ताकि हम फिर से वो पल
 पा सकें और मुस्कुरा सकें
 उन लम्हों को सहेजकर
 रखेंगे कहीं खोने न देंगे
 अपने से जुदा होने न देंगे
@मीना गुलियानी



रविवार, 24 नवंबर 2019

ये रात है कि

ये रात है कि काटे कटती नहीं
बदली ये ग़मों की छंटती नहीं
ज़िन्दगी की रफ़्तार घटती नहीं
आरजू की फ़ेहरिस्त घटती नहीं
साँसों की परवाज़ घटती नहीं
आँसुओं की बौछार थमती नहीं
तेरे बिन ज़िन्दगी कटती नहीं
@मीना गुलियानी 

ये भी होना था

ये भी होना था
ऐ मेरी ज़िन्दगी
तुझे यूँ खोना था
नहीं था बस में मेरे
यूँ ही रोना था
मैं था पागल परवाना
बेखुद यूँ होना था
@मीना गुलियानी 

कोमल धूप का स्पर्श मिला

कोमल धूप का स्पर्श मिला जब
धरती स्वर्ण सी जगमगा उठी
धानी चुनरिया सरसों की बाली
पहनकर धरा भी इठला उठी
माथे पे सिन्दूरी आभा मुकुट
सोहे धरा के पायल छनका उठी
चमके धान की फसल कण कण
शबनम से मोती दमका उठी
शोभा वर्णन करा न जाए वो
हीरे मोती भी अब दमका उठी
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 23 नवंबर 2019

आँखों का ही भ्रम था

आँखों का ही भ्रम था
तू मुझमें बहुत कम था
 यकीं दिल को नहीं होता
शायद ये मेरा वहम था 
मेरी वफ़ा में कुछ कमी न थी
तेरे इरादों में कोई ख़म था
ज़ज्बात हमारे जग ज़ाहिर हैं
तेरी साजिशों का मुझे ग़म था
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

शाम से दिल जल रहा है

शाम  से दिल जल रहा है
सुबह न जाने क्या होगा
धू धू करके आग बढ़ी है
हश्र इसका जाने क्या होगा
कोई तो आके इसको बुझाये
भड़क उठेगी तो क्या होगा
दिल के अरमां राख हुए हैं
कुरेदने से कुछ न मिलेगा
@मीना गुलियानी

हौंसला तू बनाये रख

सोच सदा तू आगे की रख
अन्तर्मन में गगन को छू ले
परचम तू लहराए रख
चाहे तूफ़ाँ रास्ता तेरा रोकें
कदम तू बढ़ाये रख
तेरा नाम  हो जग में ऊँचा
अलख दिल में जगाये रख
कामयाबी तेरे पग चूमे
हौंसला तू बनाये रख
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 21 नवंबर 2019

देखा ही तो था तुमको

चाहो तो सज़ा दे दो
मासूम गुनाहों की
देखा ही तो था तुमको
क्या और किया हमने

उस हुस्न मुजस्सम पर
कैसे न नज़र उठती
जब चाहते मंज़र में
उम्र बिता दी हमने

इजहारे बेबसी का
करते ही भला कैसे
दिल में तो बहुत चाहा
कहने न दिया गम ने
@मीना गुलियानी 

सपनों में मुस्कुराओगे

दिल में एहसास है बीते हुए लम्हों का
 इक दर्द सा उठता है दिल से जख्मों का
गुज़रा पल कैसे भुलाऊँ तुम बताओ मुझको
भूले से ही सही एक आवाज़ तो दे दो मुझको
लौटकर पास मेरे तुम यूँ ही चले आओगे
क्यों ऐसा लगे सपनों में मुस्कुराओगे
@मीना गुलियानी 

इतने तो मजबूर नहीं हो तुम

इतने तो मजबूर नहीं हो तुम
कि मुझसे मिलने आ न सको
इतने न बनो मगरूर भी तुम
 ग़लती मेरी तुम भुला न सको
गफ़लत में कभी मत रहना तुम
बुलाती रह जाऊँ तुम आ न सको
इतने भी तो मशहूर नहीं हो तुम
कि पास हमें तुम बुला न सको
इतनी दूर भी मत जाना तुम
तारे गिनती रहूँ तुम आ न सको
@मीना गुलियानी 

कर्म किये जा और जिए जा

कर्म किये जा और जिए जा
जिंदगी में कर्म ही प्रधान है
फल की चिंता तुम मत करो
तुम केवल अपना कर्म करो
ऊपर वाले के हिसाब से डरो
कभी कोई बुरा काम न करो
 उसूल बनालो अच्छे कर्म करो
जिंदगी में किसी से न डरो
तुम हमेशा परोपकार करो
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 20 नवंबर 2019

समझौता करते हैं

जीवन के कुछ पल शेष हैं
कहीं वो यूँ ही न गुज़र जाएँ
 हम फिर से जुदा हो जाएँ
उससे पहले समझौता करते हैं
जीवन ख़ुशी के रंग से भरते हैं
दोनों जुदा हम रह नहीं सकते
ये ज़हर हम पी नहीं सकते हैं
कब तक यूँ जिंदगी बिताएं
चलो झगड़ा ये खत्म करते हैं
आओ हम समझौता करते हैं
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 19 नवंबर 2019

ताले खुल जाते हैं

पुरुषार्थ की कोई भी सीमा नहीं है
बिना पुरुषार्थ कुछ मिलता नहीं है
चींटी रोज़ कितना पुरुषार्थ करती है
पक्षी पुरुषार्थ से घोंसला बनाते हैं
किसान पुरुषार्थ से अन्न उपजाते हैं
जो मानव पुरुषार्थ से जी चुराते हैं
वो जीवन में आगे बढ़ न पाते हैं
वो अपना जीवन व्यर्थ गंवाते हैं
जीवन के बीते पल लौट न पाते हैं
लक्ष्य प्राप्त न होने पर पछताते हैं
बिना पुरुषार्थ सफल हो न पाते हैं
पुरुषार्थ कुंजी से ताले खुल जाते हैं
@मीना गुलियानी 

मुझे बहुत प्रिय था

मुझे बहुत प्रिय था पहाड़ों पे जाना
नीचे से ऊपर के चक्कर  लगाना
पेड़ों की छाँव तुम्हारा वो गाँव
वो तारों भरी रात तुम्हारा साथ
पेड़ों के वो झूले जो कभी न भूले
पहाड़ों का झरना पेड़ों पे चढ़ना
वो बाग़ बग़ीचे वो गुलशन दरीचे
सब कुछ आँखों में तैर आता है
जब तू मुझे बहुत याद आता है
@मीना गुलियानी 

पुरुष तुम

पुरुष तुम प्रकृति बिना अपूर्ण हो
प्रकृति भी तुमसे ही पूर्ण होती है
न्रर और नारी ही सृष्टि कारक हैं
इन दोनों का मिलन रचनात्मक है
दोनों का परस्पर सहयोग जरूरी है
बिना पुरुष के नारी भी अधूरी है
शिव शक्ति के मिलन से संसार है
शक्ति बिना शिव शव समान है
नारी पुरुष की अर्द्धांगिनी कहलाती है
यही यथार्थ सत्य तथ्यात्मक है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 18 नवंबर 2019

किरदार को गढ़ना पड़ता है

अपने किरदार को गढ़ना पड़ता है
हर क्षेत्र में आगे बढ़ना पड़ता है
व्यक्तित्व को निखारना पड़ता है
अस्तित्व को भी संवारना पड़ता है
जीवन में कुछ तो करना पड़ता है
बलिवेदी पर भी चढ़ना पड़ता है
समाज से भी टकराना पड़ता है
समस्याओं से  जूझना पड़ता है
मन में हौंसला रखना पड़ता है
@मीना गुलियानी 

मचले मेरा जिया

बुरा लगा था जब मुझसे तू रूठ गया
बिना बताये ही मुझसे दूर चला गया
 रिश्ते कोई मज़ाक नहीं जो तूने किया
तूने बता क्यों तड़पाया यूँ मेरा जिया
क्या हासिल हुआ सताके मुझको पिया
कुछ बात कहो मुझसे मचले मेरा जिया
@मीना गुलियानी 

अदावत नहीं है

मेरी तरफ से कुछ शिकायत नहीं है
तुम्हारी तरफ से भी मुरव्वत नहीं है
दुनिया गम भरी कुछ इनायत नहीं है
मुहब्ब्त की दिलों में रवायत नहीं है
लगी चोट सब्र की गुंजाईश नहीं है
हमारी तरफ से कोई अदावत नहीं है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 17 नवंबर 2019

कहने दो मुझको

दुनिया के सितम बहुत सह चुके
 कब तक सहेंगे कहने दो मुझको
दिल में दबाके रखेंगे जो शोले
ये आग सुलगेगी जो हम न बोले
इसलिए अच्छा है कहने दो मुझको
@मीना गुलियानी 

मुझे भी सिखा दो

कहाँ से सीखा यूँ बातें बनाकर
सबको लुभाना मुझे सिखा दो
कहाँ से लाए इतनी तुम अदा
जिस पर सारी दुनिया है फ़िदा
ऐसा हुनर कोई मुझे सिखा दो
चेहरे पे नूर बरसता है ऐसे
घटा से चंदा निकला हो जैसे
कैसे निखरके संवरता रूप ऐसे
कोई तरीका मुझे भी सिखा दो
@मीना गुलियानी 

मुझको मुझसे छीन लिया

अपना कहकर तूने मुझको मुझसे छीन लिया
बताओ मुझे मेरे सनम ये सितम क्यों किया
अब तो बिल्कुल मेरे बस में नहीं है मेरा जिया
पता नहीं तूने ये कैसा गज़ब का जादू है किया
जब भी कभी दरवाज़ा खड़के चौंक उठे ये जिया
तेरी ही बाट जोहती रहती आँखें तरसें मोरे पिया
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 16 नवंबर 2019

सुनाई दे रही है

किसने मुझे पीछे से आवाज़ दी है
इस सन्नाटे में सिर्फ धुंध ही है
लेकिन तुम्हारी आवाज़ की खनक
मुझे दूर से ही सुनाई दे रही है
लगता है उन पर्वतों के पीछे से
दूर अमराईयों में पेड़ों के नीचे से
किसी आवाज़ की प्रतिध्वनि है
जो मुझे अपनी ओर खींच रही है
मैं एक कच्ची डोर सा लिपटा हुआ
खिंचता हुआ सा चला जा रहा हूँ
 फ़िज़ा में सिर्फ उसकी गूँज ही
सबको हरसू सुनाई दे रही है
@मीना गुलियानी

सतरंगी यादें

सतरंगी यादें आँखों में झिलमिलाती हैं
कितनी हसीन यादों को लेके आती हैं
दिल में वो इक तूफ़ान सा उठाती हैं
कबसे सोई हुई उमंगों को वो जगाती हैं
हम उन हसीन यादों में खो से जाते हैं
वो लम्हे जो हम कभी न भूल पाते हैं
तेरा तसव्वुर आँखों में तैरता रहता है
दिल में सतरंगी कैनवास उभरता है
हम मन की आँखों से तस्वीर बनाते हैं
दिल के कोने में तुझको हम बसाते हैं
@मीना गुलियानी

मेरा हमसफ़र है

अब तू जो बना मेरा हमसफ़र है
किसी बात की चिंता न फ़िक्र है
तेरी बाहों में ही गुज़रो बसर है
ज़िन्दगी इक सुहाना सफ़र है
मुझे किसी बात का न डर है 
तेरे संग आसान हर डगर है
न चुभते राह में शूल कंकर है
अब फूल सम लागे पत्थर है
 संग न दिन रात की ख़बर है
तू ही राहते जां तू ही रहबर है
अब मौत न ख़ौफ़ न कहर है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

प्रेम बरसाओ

ज़िन्दगी को जीकर देखो यूँ ही न बिताओ
जो लम्हे मिले हैं वो  उन्हें हँसके बिताओ
कल किसने देखा है आज त्यौहार मनाओ
बीता समय न लौटेगा आज ख़ुशी मनाओ
जो सपने हैं करलो पूरे पल यूँ न गंवाओ
प्यार करो तुम सबसे चिंता को दूर भगाओ
सबको अपने गले लगाकर प्रेम बरसाओ
@मीना गुलियानी

आँखों को सपने दिखाए

घर की वीरानी मुझसे सवाल करती है
सूनी दीवारें और ये छत भी पूछती है
कहाँ गए वो दिन सुहाने गाते थे गाने
कहाँ गईं वो शामें चलते थे हाथ थामें
अब दम  घुटता है पँख पखेरू उड़ता है
कोई रूठे पल लौटाए गुज़रे ज़माने बुलाए
कोई नींद सुलाए आँखों को सपने दिखाए
@मीना गुलियानी 

एक पहचान हूँ मैं

मैं तो नासमझ और नादान हूँ
दुनिया की रस्मों से अन्जान हूँ
हूँ मैं तो सीधा साधा भोला भाला
मुझको पड़ा है समझदारों से पाला
जबसे मैंने होश संभाला बेजुबान हूँ
निन्दा छल कपट से दूर ही रहूँ मैं
केवल सच की एक पहचान हूँ मैं
@मीना गुलियानी 

कभी न मानेंगे हार

खुद ही कश्ती खुद ही पतवार
अब खुद ही उतरना है भवपार
तूफां का मुझे कोई खौफ नहीं
मँझधार में भी हम उतरेंगे पार
नीला अंबर मेरा प्रहरी बना है
रुकावटों को करेंगे हम दरकिनार
बाहों में भरकर हिम्मत हौंसला
लहरों से टकराएंगे हम बारम्बार
अब हर चुनौती मुझे है स्वीकार
जीतेंगे हम कभी न मानेंगे हार
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 14 नवंबर 2019

छाछ राबड़ी खाऊँगा

बच्चा सोचता है कब मैं बड़ा होऊँगा
फिर मैं भी सबपे हुकुम चलाऊँगा
सब लोग मेरा कहना मानेंगे सुनेंगे
नहीं मानेंगे फिर  तो मैं रूठ जाऊँगा
जब मनायेंगे तो मान भी जाऊँगा
अच्छे अच्छे कपड़े पहन बाहर घूमूँगा
बड़ा अफसर बनूँगा डटकर खाऊँगा
 अच्छे काम करके सपूत कहलाऊँगा
कोई रोकेगा नहीं स्कूटर कार चलाऊँगा
 नानी के गाँव में छाछ राबड़ी खाऊँगा
@मीना गुलियानी 

साँसों के साथ चलते हैं

बचपन के ख़्वाब आँखों में तैरते हैं
वो दिन हमेशा हमें याद रहते हैं
वो लम्हें हमें कभी गुदगुदा जाते हैं
 वो लम्हे हमें हँसाते कभी रुलाते हैं
बचपन में पानी में किश्ती तैराते थे
झूला झूलते थे तितलियाँ पकड़ते थे
कभी रूठते कभी दूसरे को मनाते थे
दिल में कोई द्वेष भेदभाव नहीं था
दिलों में नफरत नहीं थी प्यार था
बालू मिट्टी के घरोंदे बनाकर सजाते थे
बचपन के वो ख़्वाब दिलों में पलते हैं
धड़कनों में साँसों के साथ चलते हैं
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 13 नवंबर 2019

जल्दी नहीं है

मुझे लौटने की जल्दी नहीं है
अभी अभी तो घर से निकले हैं
कुछ फ़ुरसत के लम्हेँ मिले हैं
कुछ देर ताजी हवा में सांस लें
कुछ देर हँसके गाके ख़ुशी मना लें
गुज़रे लम्हो से उदासी मिटा लें
ये पल फिर मिलने वाला नहीं है
इसलिए आज अभी जल्दी नहीं है
@मीना गुलियानी 

देर हो जाती अक्सर

सोचते तो हैं तुमसे मिलें पर
मिलने में देर हो जाती अक्सर
तब तक राहों में कई उलझनें
पैदा होके रुकावट बनती अक्सर
तल्ख़ी हिम्मत नेस्ताबूद कर देती
तब हौसला हिम्मत बढ़ाता अक्सर
@मीना गुलियानी 

वक्त लगेगा

अभी मुझे समझने में वक्त लगेगा
अभी अभी तो मुलाकात हुई है
मिलने जुलने में वक्त तो लगेगा
रिश्ते कई बनकर टूट जाते हैं उन्हें
 नये सिरे से जोड़ने में वक्त लगेगा
बिछुड़े हुओं को भूलने में वक्त लगेगा
माला के मोती समेटने में वक्त लगेगा
@मीना गुलियानी 

सुलझाना चाहिए

तुम्हें ऐसे समय में मेरे साथ होना चाहिए
यही समय है रिश्तों को परखने के लिए
अगर कोई दुःख सुख में साथ नहीं देता
तो उन रिश्तों को निभाना भी किसलिए
ज़िन्दगी में कई समस्याएँ आती रहती हैं
जिन्हें आपस में बैठकर सुलझाना चाहिए
@मीना गुलियानी 

दिल आवारा दीवाना है

ये सच है कि प्रभु प्रेम में
दिल आवारा दीवाना है
इसके सिवा कोई नहीं है
कुछ भी भाता ही नहीं है
कुछ नज़र आता नहीं है
कोई रास्ता सूझता नहीं है
कोई इसकी मंजिल नहीं है
ढूँढे कहाँ वो मिलता नहीं है
@मीना गुलियानी 

बेदाग़ रखो

दिल को हमेशा बेदाग़ रखो
किसी के प्रति द्वेष न रखो
ईर्ष्या अभिमान दूर ही रखो
छल कपट खुद से दूर रखो
सबसे प्रेम सदभावना रखो
@मीना गुलियानी 

बाट निहारूँ

तुम मुझसे इतनी दूर हो
तुम्हीं बताओ कि ये शाम
मैं अब किसके साथ गुजारूँ
मैं तो हर पल पंथ निहारूँ
तुझे इक पल भी न बिसारूँ
तेरी ही मैं तो बाट निहारूँ
@मीना गुलियानी 

मर जायेंगे

रब न करे कि किसी दिन
तुम मुझसे दूर हो जाओ
और हम दीवानों की तरह
तुम्हेँ ढूँढते फिरते रह जाएँ
वो दिन बहुत दुखदाई होगा
हम दोनों एक दूसरे से बँधे हैं
 दोनों जुदा नहीं रह पायेंगे
बिछुड़े तो जीते जी मर जायेंगे
@मीना गुलियानी 

कैसे बदल गए हम

लम्हा लम्हा ज़िन्दगी में बदलते हुए हम
जाने कहाँ ग़ुम हो गए हैं हम और तुम
लगता ही नहीं जैसे कुछ हुआ है पूछने पे
 यही जवाब मिलता है कुछ पता ही नहीं
पहले तो हमें ऐसा कुछ भी हुआ न था
दिल यूँ हमारा भी कभी गुम नहीं हुआ था
अब दिल दिमाग होशो हवास दोनों हैं ग़ुम
पता ही नहीं हमें ऐसे कैसे बदल गए हम
@मीना गुलियानी 

ज्ञान का आधार हो

तुम ही ज्ञान का आधार हो
तुम ही विश्व के सृष्टा हो
तुम ही इसके पालनकर्ता हो
तुम विवेक के जाग्रतकर्ता हो
तुम सब सद्कर्मों के मूल हो
तुम्हीं संस्कृति का आधार हो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 10 नवंबर 2019

गाएँ और मुस्काएँ

कल जो होगा वो देखा जाएगा
कल की चिंता तुम मत करो
आज तो अच्छी तरह गुज़ारो
आज फिर लौटकर न आयेगा
फिर कहीं तुम्हें पछताना न पड़े
इसलिए ये लम्हेँ हँसके गुज़ारो
तुम्हारे साथ हर पल सुहाना है
वरना मेरी ठोकर पे ज़माना है
वक्त हर पल में बदल जाता है
ये वक्त हर किसी को छलता है
कहीं फिर देर अन्धेर न हो जाए
इन्हीं लम्हों को खुशनुमा बनायें
आओ मिलके गाएँ और मुस्काएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 9 नवंबर 2019

शान्त मन प्रबुद्ध मन

शान्त मन प्रबुद्ध मन
ज्ञान का होता है सिंचन
नए विचार होते उत्पन्न
कलुषित विचार होते अंत
हृदय में भावों का सावन
प्रेम पल्ल्वित होता मन
छलके अमृत यहाँ हरदम 
@मीना गुलियानी 

संभलकर रखना कदम

ख़्वाबों के शहर में बसते हैं हम तुम
इनमें खो न जाना कहीं मेरे हमदम
सपने तो सपने होते हैं बिछुड़े न हम
देखो सपना न टूटे बिखरें न कहीं हम
भूली बिसरी यादों का सा है ये उपवन
बसाया आशियाना जहाँ रहें हम तुम
खुला आसमां चाँद सितारे और हम तुम
ठंडी चले पुरवाई गीत सुनाये ये मौसम
 फूलों भरा गुलशन संभलकर रखना कदम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

गुम होते गए

जितने मंजिल की ओर बढ़ते गए
उतने प्यार में हम पिछड़ते गए
दिलों में जज़्बात  कम होते गए 
दिनों दिन फ़ासले बढ़ते ही गए
अपनी दुनिया में गुम होते गए 
@मीना गुलियानी 

आशा मन में जगाती

लम्हों की तितलियाँ न जाने क्यों
फुर्र से उड़ जाती पकड़ में न आती
मैं उनके पीछे पीछे दौड़ भी लगाती
पर अपने हाथ ही मलते रह जाती
वो मेरे हाथ से यूँ ही फ़िसल जाती
मैं चुपचाप सोच में बैठी रह जाती
उनको न पकड़ पाने के कारण मैं
अपने मन ही मन में हूँ पछताती
फिर नित्य ही मन को धैर्य बँधाती
 प्रतिदिन नई आशा मन में जगाती
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

हँसके सहो

स्थिर रहिए जैसे भी रहो
हर हाल में बस खुश रहो
सुख दुःख आते जाते हैं
इन सबसे मत उलझो
ख़ुशी आये इतराओ ना
दुःख से तुम घबराओ ना
हर स्थिति में शांत रहो
दुःख सुख हँसके सहो
@मीना गुलियानी 

भूल जाते हैं

तुम्हारी बाहों में आकर हम
सारी  दुनिया  भूल जाते हैं
हँसी लगता है ये सारा जहाँ
दर्दो अलम हम भूल जाते हैं
जन्नत की ख़ुशी पा जाते हम
ये चाँद सितारे भूल जाते हैं
@मीना गुलियानी 

दुनिया दिल पर हावी है

दुनिया दिल पर हावी है
ये बोझ दिल पर भारी है
ये भी तो एक बीमारी है
विपदा न टलने वाली है
मुसीबत की जड़ सारी है
ये कितने ताने देती है
मन का चैन हर लेती है
आफत ये हमने पाली है
घर मेरा सुकूँ से खाली है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 6 नवंबर 2019

बात तो करो मुझसे

यूँ न रूठे रहो  तुम मुझसे
कुछ बात तो करो मुझसे
कैसे काटूँ जिंदगी का सफर
है कठिन बड़ी ये रहगुज़र
चुपचाप रहना न मुझे गवारा
ये गुस्सा नहीं मुझको प्यारा
माफ़ करदो गर ख़ता है मेरी
बात करो मुझसे करो न देरी
बिन बात किये रहा जाए ना
ये दूरी मुझसे सही जाए ना
@मीना गुलियानी 

फ़लसफ़ा तेरा ज़िन्दगी

बड़ा अजीब है फ़लसफ़ा तेरा ज़िन्दगी
कभी चढ़ती धूप कभी छाँव ज़िन्दगी
कभी रंग से भरपूर कभी बेनूर ज़िन्दगी
 खिलखिलाती कभी रुलाती ज़िन्दगी
 खुशनसीबी कभी बदनसीबी जिंदगी
हमसफ़र बन कभी साथी है ज़िन्दगी
सफर में तन्हा कभी छोड़ती ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी 

आओ तो हो आराम

ओ प्यारी शाम तुम आओ तो हो आराम

सोचूँ जो बातें मैं तमाम लगे उनमें विराम

करें अठखेलियाँ आये फिर दिल को आराम

गुज़ारिश मेरी यही है कदमों में जाए ये जान
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 5 नवंबर 2019

सदा आ रही है

ज़िन्दगी तेरी रफ्तार बहुत तेज़ है
तुझसे आगे निकलने के लिए
मैंने भी अपनी रफ्तार बढ़ाई है
कहीं तुझसे पिछड़ न जाऊँ मैं
कुछ देर मेरे पास आकर बैठो
 बात करना अच्छा लगता है
तुम्हारा हाथ थामकर वो पल
मुझे फिर से याद आ जाते हैं
ज़िन्दगी अब दूर जा रही है
गुनगुनाने की सदा आ रही है
@मीना गुलियानी 

उन्हें नहीं लिखा

तुम्हें  कुछ बताना चाहती थी
फिर भी वो बातें नहीं लिखी
तुमसे कई  बातें छुपाकर रखीं
ताकि तुम्हें पढ़कर दुःख न हो
तुम्हारे दिल को ठेस न लगे
तुम्हारे एहसास मैं जानती हूँ
इसलिए चुपचाप सहन किया
चाहकर भी उन्हें नहीं लिखा
@मीना गुलियानी 

महल हमारे टूट न जाएँ

बहुत कुछ सोचा हम दोनों के बारे में
जिंदगी के फैसले जाने क्या हो जाएँ
हर कदम सोचकर हम बढ़ा रहे हैं
मंजिल पे कदम न कहीं डगमगायें
हकीकत में हर लम्हा हँसके बिताया
ख़्वाबों के महल हमारे टूट न जाएँ
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 4 नवंबर 2019

खुद को लिखते रहे हम

खुद को लिखते रहे हम
मेरा जीवन खुली किताब है
दुःख सुख इसमें भरा है
ये कैनवास की तरह है
जीवन वृत्त उकेरा है
बचपन से अब तक का
सारा इतिहास लिखा है
इसमें हास्य विषाद है
शान्त रस प्रधान है
जीवन चुनौती भरा है
मैंने स्वीकार किया है
हर हाल में इसे जिया है
@मीना गुलियानी

ये सिलसिला

जो भी हुआ अच्छा ही हुआ
पहरों जो दिल से था अनछुआ
अब दिल को वो हासिल हुआ
वक्त ने काम ऐसा किया
हमको फिर से मिला दिया
उसकी रहमत से तू हमें मिला
चलता ही रहे ये सिलसिला
@मीना गुलियानी 

रविवार, 3 नवंबर 2019

कोई उसको बताये

कोई उसको बताये
उसे ये समझाये
किसे कहते हैं प्यार
क्यों होता इंतज़ार
क्यों दिल बेकरार
क्यों तरसे बारम्बार
क्यों करे मनुहार
क्यों करे इकरार
क्यों है ऐतबार
@मीना गुलियानी 

जीत सकते हो तुम

जीत सकते हो तुम
हारी हुई बाज़ी भी
अगर तुममें हिम्मत है
बाज़ुओं में ताकत है
जीतने की ख़्वाहिश है
वक्त की नज़ाकत है
हौंसला और जुनून है
यही हक़ीक़त है
ज़ोर आज़माईश है
फ़ैसले की घड़ी है
मौत सिर पे खड़ी है
@मीना गुलियानी 

हम यहाँ बच गए

हर तरफ फरेब का जाल बिछा है
खुदा का शुक्र है कि हम बच गए
हर तरफ झूठ, लूट, गोलमाल है
हम खुद को बचाके आगे बढ़ गए
इक तरफ कुआँ इक तरफ खाई है
जो न सम्भल पाया चोट खाई है
हाल है पेड़ से गिरे खजूर में अटके
गनीमत यही है हम यहाँ बच गए
@मीना गुलियानी 

सुन्दर जीवन

हर साँस एक वरदान है
यह जीवन बहुत महान है
लेते साँस तो चलता जीवन
साँस रुके तो मिटता जीवन
तभी सफल होता ये जीवन
परोपकार करें जब प्रतिक्षण
करलो प्रभु का तुम सुमिरन
जिसने दिया सुन्दर जीवन
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 2 नवंबर 2019

टूटे दिल जुड़ सकते हैं

तुम चाहो तो टूटे दिल जुड़ सकते हैं
तुम चाहो तो बिछुड़े हुए मिल सकते हैं
तुम चाहो तो उजड़े चमन खिल सकते हैं
तुम चाहो तो पत्थर मोम से पिघल सकते हैं
@मीना गुलियानी 

मेरा ये परिवार

मेरा परिवार प्यारा परिवार
खुशियों का नहीं पारावार
सौगातों की है भरमार
अनमोल रिश्तों का भंडार
प्रेम की होती रहे बौछार
बसा रहे मेरा ये परिवार
@मीना  गुलियानी 

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

हमें गवारा नहीं

तुमसे दूर रहना हमें गवारा नहीं
तेरे बिन मेरा तो अब गुज़ारा नहीं
कहाँ चल देते हो बिना बताये हुए
इक पल जीना तुम बिन गवारा नहीं
बिना तेरे मेरा कोई और सहारा नहीं
वो पल बताओ जब तुम्हें पुकारा नहीं
@मीना गुलियानी 

गुस्सा कहीं का उतारा कहीं

गुस्सा कहीं का उतारा कहीं
तुमने कुछ भी सोचा ही नहीं
बीती क्या मुझपे देखा नहीं
ठेस पहुँची कितनी देखा नहीं
रोती रही आँसू पोंछे ही नहीं
दिल तोड़ा मेरा सोचा ही नहीं
क्या ख़ता थी मेरी जाना नहीं
तुमने मुझे पहचाना ही नहीं
@मीना गुलियानी 

महकता ही रहे

दिन प्रतिदिन आप हमेशा यूँ ही
उन्नति की ओर अग्रसर रहें
यही है दुआ मेरी बढ़ते ही रहें
प्रेम का ये पुष्प सदा खिला रहे
दिल से ये दिल यूँ ही मिला रहे
ये सिलसिला सदियों तलक चले
जब तक फ़लक पे चाँद सितारे रहें
गुलशन फूलों से महकता ही रहे
@मीना गुलियानी