गुरुवार, 31 अक्टूबर 2019

कमरे में सजाते थे

प्यार  कब जीवन में आया पता न चला
सुबह की धूप की तरह बिस्तर,दीवारों
सीढ़ियों से चढ़कर गलियारे में उतरकर
पेड़ पौधों की पत्तियों फूलों से गुज़रकर
दिल में समाया , मन को पुलकित किया
तुम्हारा साथ मेरे मन को बहुत भाता है
तुमसे हमेशा बात करने में मज़ा आता है
पेड़ों के झुरमुट में हम खो जाया करते थे
रंग बिरंगे चित्रों से हम अपनी जिंदगी का
खूबसूरत सा कैनवास कमरे में सजाते थे
@मीना गुलियानी 

दुआ हमेशा करते रहे

मेरा अब लौटना ही बेहतर है
तेरे कूचे से मन भर गया है
तुझे बिल्कुल भी परवाह नहीं है
यहाँ रुकने का फायदा क्या है
क्यों अपना दिल जलाते रहें
क्यों ख्वाबों को सजाते रहें
तेरी बेवफाई पर हम चुप रहे
तेरे लिए दुआ हमेशा करते रहे
@मीना गुलियानी 

करीब न आ सके

कुछ कमी हममें  ही थी जो
तुम्हें हम पा न सके
चाहा था तेरे साथ रहें हम
पर तेरे करीब न आ सके
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 30 अक्टूबर 2019

याद रखते हैं

शब्दों से मेरा रिश्ता काफ़ी पुराना है
कभी ये शब्द गीतों की माला हैं
कभी ये किसी को जख़्म देते हैं
कभी किसी दिल के घाव भरते हैं
शरीर से ज़्यादा इनको संवारें
लोग चेहरे भूल जाते हैं लेकिन
शब्दों को लोग याद रखते हैं
@मीना गुलियानी 

रूठ गया मुझसे

वो जाने क्यों रूठ गए मुझसे
जाने क्या ख़ता हो गई मुझसे
 साथ धूप छाँव का एहसास था
अब तो  मौसम रूठ गया मुझसे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

होंठ सी लें चुप रहें

कहते नहीं बनता इसलिए चुप रहे
क्या करें हम तुम्हें किस तरह कहें
दुनिया के सितम हम सहते ही रहे
तुमसे न कहें तो और किससे कहें
कुछ कहने से बात बढ़ जाती है
बेहतर यही होगा होंठ सी लें चुप रहें
@मीना गुलियानी 

परवाह न करेंगे हम

एक धुन में निकल आये घर से
दिल में जो ठान लिया हमने
पूरा करके ही दम लेंगे हम
 अब किसी से न डरेंगे हम
चाहे ढाए दुनिया कितने सितम
 किसी की परवाह न करेंगे हम
@मीना गुलियानी 

हम भी तो हैं नहीं

भूल जाऊँ तुम्हें पर ये मुमकिन नहीं
ऐसे नादान तुम भी तो हो  ही नहीं 
मेरे रूठने पर तुम हो जाते हो परेशां
इतने अनजान हम भी तो हैं नहीं
@मीना गुलियानी 

जिस पर हो रहम

ज़िन्दगी से आज मिले हम
ऐ ज़िन्दगी तेरा है मुझपे कर्म
तू भी सुना इम्तेहान लेती है
 पास करता जिस पर हो रहम
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 28 अक्टूबर 2019

तड़फड़ाता है

त्यौहार बीतने पर जब
ये जमघट छंट जाता है
सब तरफ इक सन्नाटा
छाकर क्यों हमें डराता है
मन व्याकुल हो जाता है
दिल घायल हो जाता है
घर काटने को आता है
कटे पँख सा हो जाता है
पंछी फिर कैद हो जाता है
उड़ने को तड़फड़ाता है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 27 अक्टूबर 2019

सबने पर्व मनाया

पर्वत जीवन देने वाले
होते हैं कितने निराले
देते हैं खनिज सम्पदा
और वर्षा को लाने वाले
एक बार कुपित होने पर
जब इंद्र ने जल बरसाया
रक्षाहित श्री कृष्ण जी ने
गोवर्धन अंगुली पे उठाया
की क्षमायाचना प्रभु से
था इंद्र बहुत पछताया
तबसे गोवर्धन पूजा का
हर्ष से सबने पर्व मनाया
@मीना गुलियानी 

छूटती फुहार

प्यार से कह देते एक बार
हमारे लिए हो तुम बेकरार
करते हो तुम हमारा इंतज़ार
मन में ख़ुशी की छूटती फुहार
@मीना गुलियानी 

जीना सिखाया

ये दिल कभी न भूलेगा
वो शाम चिराग़ों वाली
जब हमने मनाई दीवाली
तुमने दुनिया करी रौशन
दिल में इक उम्मीद जगाई
दिल की कली भी मुस्कुराई
मेरी दुनिया को तुमने सजाया
फिर से मुझको जीना सिखाया
@मीना गुलियानी 

हौंसला बढ़ाओ

आज हवा का रुख तेज़ है
मुझे डर है मेरे प्यार का दीया
कहीं वो बुझा न दे इसलिए
तुम इसकी ओट बन जाओ
ताकि ये हमेशा रोशन रहे
दुनिया की हर मुसीबत में
मेरे साथ ओट बनके रहो
जिंदगी के हर मोड़ पर तुम
चट्टान बनकर  हौंसला बढ़ाओ
@मीना गुलियानी 

दीवाली मनाएँ

किस्मत ने मुझे तुमसे दूर कर दिया
हर तरफ तन्हाई का सन्नाटा है
दिल ये चाहता है तुम मेरे साथ रहो
फिर से हम प्यार के नगमे गुनगुनाएँ
खुशियों उल्लास भरी दीवाली मनाएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 26 अक्टूबर 2019

वो लोग कहाँ चले गए

जाने वो लोग कहाँ चले गए
जिनसे दुनिया की रौनक थी
जो हर दिल को  अज़ीज़ थे
जिनसे ये घर घर लगता था
जिनसे फ़िज़ा महकती थी
जिनसे महफिलें सजती थी
जो अपनी बातों से रिझाते थे
जो कलाम पढ़कर सुनाते थे
जो वफ़ा के नगमे गाते थे
उनके न होने से बेनूरी है
 अब हरसू सन्नाटा पसरा है
काश वो दिन फिर लौट आएँ
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019

क्या खरीदने निकले हो

आज तो धनतेरस है
खुशियों की बरसात है
आसमान से चंदा पूछे
क्या खरीदने निकले हो
@मीना गुलियानी 

दामन ख़ुशी से भरें

दीवाली की रात है उल्लास से हम भरें
खुशियों के दीपक से मन में उजाला करें
अन्धकार को दूर भगाएँ रोशन जहाँ करें
वैमनस्य की दीवार गिरायें सौहार्द को भरें
सबके आँसू  पौंछकर  दामन ख़ुशी से भरें
@मीना गुलियानी 

तुम हो ग़ुम

चाय पिओ क्यों बैठे गुमसुम
कितना ख़ुशग़वार है मौसम
आओ साथ में बैठें हम तुम
किन ख्यालों में तुम हो ग़ुम
@मीना गुलियानी

अनमोल धन

जीना तो है उसी का
जिसने ये  राज़ जाना
है काम आदमी का
औरों के काम आना
हो गरीब गर है कोई
बन उसका तू सहारा
हो भंवर में नाव जिसकी
उसको दिखा तू किनारा
अनमोल धन यही है
यही माल है खज़ाना
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2019

शाम उदासी की मूरत है

शाम उदासी की मूरत है
दिल को तेरी ज़रूरत है
सर्द हवा बड़ी पुरज़ोर है
सुझाई न दे कोई ठोर है
मौसम के कैसे हालात हैं
बिगड़े हुए जज़्बात हैं
कैसे ढूँढूँ तुझे इस जहाँ में
दिल में दर्द भरता रहा है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 23 अक्टूबर 2019

तेरे हाथ में है

नाव मेरी पड़ी मँझधार पतवार तेरे हाथ में है

सबके दिलों के अरमां तुम ही तो पूरे करते 
सबकी झोलियाँ भी रहमत से अपनी भरते
मेरे तो तुम खिवैया मँझधार साथ में है

आये जो दुखिया दर पे आँखों में लेके आँसू
हर लेते उसके दुःख को और पोंछ देते आँसू
तेरा ही आसरा है तकदीर तेरे हाथ में है
@मीना गुलियानी 

टकरा जाती है

कुछ भी कहो दिल की बात
जुबां पर आ ही जाती है
आपस में कितनी दूरी हो
ये चाहत खींच ही लाती है
तमन्ना बेताबी मिलन की
दिल को तड़पा ही जाती है
चिलमन में कितना छिपाओ
नज़र फिर भी टकरा जाती है
@मीना गुलियानी 

तुम्हें फ़ुरसत नहीं ज़रा सी

तुम्हें फ़ुरसत नहीं ज़रा सी बात करने की
इतनी मसरूफ़ियत है सिर्फ दिखावेपन की
हम सब जानते हैं बातें तुम्हारी हर पल की
घड़ी भर तो करलो  हमसे बात मतलब की
@मीना गुलियानी 

वो हर लेता

कोई तो हो जिसे हम अपना कहते
जिसे हम अपने दुःख सुख कह सकते
चाहे वो पास में या दूरी पर ही होता
लेकिन वो दिल के बहुत करीब रहता
बिना कुछ बताये वो सब जान लेता
दिल की सारी पीड़ा को वो हर लेता
@मीना गुलियानी 

यूँ ही नहीं होता

किसी से प्रेम यूँ ही नहीं होता
इतना ऐतबार यूँ ही नहीं होता
दिल बेकरार यूँ ही नहीं होता
हर लम्हा इंतज़ार ही नहीं होता
@मीना गुलियानी 

आज भी है कल भी रहेगा

तेरा मेरा रिश्ता आज भी है कल भी रहेगा
ये बंधन अटूट , आत्मिक और नैसर्गिक है
समे भवन के पुष्प हैं बहुत अनमोल हैं
इसमें कहीं  भी बनावट नहीं प्रेम भरा हुआ है
कोई भी छल कपट नहीं निस्वार्थ भावना है
इसलिए ही हमारा रिश्ता हमेशा कायम रहेगा
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

तड़पाना ही था

मैं आज भी उन लम्हों को
याद करके डर सी जाती हूँ
जब तुम परदेस गए थे
तन्हा मुझे छोड़ गए थे
इक इक पल था भारी
सिर पे थी ज़िम्मेदारी
बोझिल था तन्हा जीना
वो ज़हर पड़ा था पीना
दिले नादां को बहलाना था
उस लम्हे ने तड़पाना ही था
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 21 अक्टूबर 2019

ये मोह माया

इक दिन तो सब खत्म होगा
जागो तभी तो सवेरा होगा
कर्म नेकी के कमा ले बंदे
आगे की कुछ सोच ओ बंदे
साथ नहीं फिर कुछ जाएगा
खाली हाथ ही लौट जाएगा
कई जन्मों बाद ये तन पाया
हीरा जन्म विषयों में गंवाया
नाम प्रभु का न तूने ध्याया
छोड़ दे झूठी ये मोह माया
@मीना गुलियानी

रविवार, 20 अक्टूबर 2019

चाहे जब बंद करे

ज़िन्दगी की रील में सब कैद हो गया
जीवन तो खेल तमाशा है एक दाव है
कोई खिलाड़ी जो चतुर होता है वह
इसे बहुत होशियारी से खेलता है
अनाड़ी इस खेल में पिछड़ जाता है
इस रील में बचपन से ढलती उम्र की
दास्तान दर्ज़ है जब जी चाहे देख लो
बचपन की हँसी ,नादानियाँ ,शैतानियाँ
भोलापन नटखट प्यारा सा बचपन
अल्हड़पन का शर्माना ,इतराना ,बातें
बनाना , जुल्फें लहराना ,खिलखिलाना
नज़रों से जादू चलाना सब इसमें लबरेज़ है
फिर भी ज़िन्दगी की असली रील तो सिर्फ
उस ऊपरवाले के हाथ में है चाहे जब बंद करे
@मीना गुलियानी

शनिवार, 19 अक्टूबर 2019

ऐतबार करेगा

कौन तुम्हें हमारी तरह याद करेगा
कौन तुम्हें हमारी तरह ही चाहेगा
कौन दिन रात यूँ  इंतज़ार करेगा
कौन ऐसे तुम्हारा ऐतबार करेगा
@मीना गुलियानी 

गुनगुनाते रहो

तुम्हारे खुश रहने की दिल दुआ करता है
तुम्हारे संग ही रहने को ये दिल करता है
न देना कभी तुम सदमा इसको जुदाई का
सह  पायेगा न ये ग़म कभी बेवफाई का
तुम यूँ ही सदा मुस्कुराते खिलखिलाते रहो
नगमे प्यार और वफ़ा के गुनगुनाते रहो
@मीना गुलियानी 

फिर आवागमन


ये न सोचो क्या होगा
हे मन तज दे व्यर्थ का चिंतन
भूल जा अपनी तू चतुराई
ले ले प्रभु की तू शरण
जग में वो ही तारणहार
घाट  घाट पानी देखा
मिटी नहीं तृष्णा रेखा
वो ही पाले वो संभाले
करदे जीवन उसके हवाले
मिट जाए फिर आवागमन
@मीना गुलियानी

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019

वर्षा वो करें

पहाड़ों से सीखो कैसे शान्त रहें
उनसे धैर्य भी सीखो अडिग रहें
तूफां बारिश बिजली सहन करें
अविचल कर्म में वो डटे ही रहें
प्रहरी बन देश की रक्षा वो करें
 खनिज वनस्पति धारण करें
परोपकारी बन वो कल्याण करें
भीषण सन्ताप धरा के वो हरें
वृक्षों से हरियाली वर्षा वो करें
@मीना गुलियानी 

बाधा न करें

घर पहुँचते पहुँचते लगा जैसे कुछ पीछे छूट गया
लगा कोई प्यारा साथी हमसे आज रूठ ही गया
कितने अरमानों से इस घर को बसाया था हमने
वो सपना भी तो टूट गया जाने क्या किया हमने
इस आशियाने को सितारों से हमने सजाया था
तिनका तिनका जोड़कर घर हमने बसाया था
तन और मन दोनों साथ नहीं चलते हैं कभी कभी
जब मन नहीं आगे बढ़ना चाहता तो पाँव भी
वहीँ रुक जाते हैं उम्मीद के पँख लगाके रखो
समय समय पर तन और मन को परखा करो
ताकि दोनों हिलमिलकर चलें बाधा न करें
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

ज्ञान है

क्या पुस्तकों को पढ़ना ज्ञान है
क्या विज्ञानं, अध्यात्म जानना
तंत्र, मंत्र की साधना ज्ञान है
आखिर क्या है इसकी परिभाषा
मेरे विचार से कर्तव्यनिष्ठ रहना
सत्कर्म करना और सच कहना
किसी का दिल न दुखाना ज्ञान है
@मीना गुलियानी 

आया ज़लज़ला

कुछ देर पहले वो हमसे मिला
आज पता चला वो दूल्हा बना
सजी बारात बजे ढोल बाजे
मगर आशियाँ किसी का जला
पता न था कयामत यूँ आएगी
न जाने कहाँ से आया ज़लज़ला
@मीना गुलियानी 

मैं उतारूँ

शाम तेरे साथ गुज़ारूं
तेरी पल पल बाट निहारूँ
तुझे इक पल न बिसारूँ
तुझे हर पल मैं निहारूँ
तुझे दिल में मैं उतारूँ
तेरी आरती मैं उतारूँ
@मीना गुलियानी 

सीख लिया

हमने हर हाल में जीना सीख लिया
डर नहीं लगता लहरों तूफ़ानों का
मौजों के थपेड़ों में तैरना सीख लिया
हमने तो खुद्दारी से जीना सीख लिया
हँसते हँसते जीना मरना सीख लिया
मौत की परवाह न करना सीख लिया
@मीना गुलियानी 

न घबराना चाहिए

ज़िन्दगी अब मुझसे तुम्हें क्या चाहिए
राहों में मुश्किलें तो आती जाती रहेंगी
खुद को ठोकर लगेगी सम्भलना चाहिए
हर ग़म सबसे छुपाकर हँसना ही चाहिए
वक्त तो हमेशा आँख मिचौनी खेलता है
ज़िन्दगी को अँधियों से बचाना चाहिए
किसी संकट आने से न घबराना चाहिए
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

कोई तुमसे सीखे

बातों से सबको अपना बनाना कोई तुमसे सीखे
चोरी से किसी दिल को चुराना कोई तुमसे सीखे
वादे को  करना और भूल जाना कोई तुमसे सीखे
इन आँखों से दिल में उतर जाना कोई तुमसे सीखे
शोख नज़रों से घायल कर जाना कोई तुमसे सीखे
हर बात पे हँसना और मुस्कुराना कोई तुमसे सीखे
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

परोपकार करो

दुआ माँगते चलो जिधर से तुम गुज़रो
गुलशन की हरी रहे हर डाली कभी
किसी भी बाग़ से न रूठे कोई माली
हमेशा दुआ  करते रहो सजदे में रहो

कभी झोली किसी की न हो खाली
हर घर में उमंगें हों और खुशहाली
न कोई भूखा हो सबसे प्यार करो
कुछ अपने हाथों से परोपकार करो
@मीना गुलियानी 

ज़रूरी है

तुम आके मिल जाओ ना
तुमसे कुछ कहना जरूरी है
प्रेम में मनुहार ज़रूरी है
कभी कभी तकरार जरूरी है
प्रेम का इज़हार ज़रूरी है
रोज़  मुलाकात भी ज़रूरी है
प्रेम के पौधे को बचाने को
प्रेम से सींचना भी ज़रूरी है
@मीना गुलियानी 

दिल बहलाने

जब मैंने कुछ कहा तो किसी ने न सुना
अब चुप हुआ तो सबने बनाये अफ़साने
गुज़ारे कितने ही लम्हे यूँ तेरे बगैर
अब तो खुद भी लगने लगे हैं दीवाने
ये चाँद सितारे भी आज ग़ुम क्यों हुए
गए हैं शायद किसी का दिल बहलाने
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 9 अक्टूबर 2019

एक पल भी मुझसे

अब ज़रूरी हो गया तेरा मिलना मुझसे
अब कोई भी बहाना न सुनूँगी मैं तुमसे
रोज़ कितने बहानों से बचते रहे मुझसे
 अब बताओ कब मिलोगे तुम मुझसे
बरसों दिन रात काटे बिछुड़कर तुमसे
अब रहा जाए न एक पल भी मुझसे
@मीना गुलियानी 

मेरी भी बढ़ गई

ख़्वाबों की खिड़कियाँ खुल गईं
नींद मेरी आँखों से उड़ गई
खुशबु हवाओं में बिखर गई
तेरी चुनरिया सरक जो गई
बदन में सिहरन सी भर गई
पेड़ से बेल सी तू लिपट गई
तो धड़कन मेरी भी बढ़ गई
@मीना गुलियानी 

बिखर जाता है

जब कोई मर्यादा का उल्लंघन करता है
तो उसका हँसता खेलता परिवार भी
तिनका तिनका होकर बिखर जाता है
सबको घर के संस्कार निभाने चाहिए
घर की देहलीज़ पार नहीं करनी चाहिए
  आचार,विचार अच्छा ही होना चाहिए
घर समाज से बँधा रहता है उसके नियम
कई बार सबको पालन करने ज़रूरी हैं
मनुष्य का नैतिक पतन तभी होता है
जब वो समाज के नियम तोड़ता है
तभी सब कुछ उसका बिखर जाता है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2019

पर्दा रहता है

आजकल सच और झूठ का
 पता लगाना मुश्किल है
अपनी बात को सच साबित
करने में झूठ का सहारा
लेते हुए अनेकों को देखा है
 सच और झूठ में अंतर भी
यदाकदा कम ही होता है
 कभी लगता है इनसे परे
भी कुछ हो सकता है पर
क्या उस पर पर्दा रहता है
@मीना गुलियानी

तुम्हें प्रणाम

विपदा में एक साथी भगवान
इनके बिना न हो कोई काम
निर्बल के बस वो ही राम
दुःख में कोई न आवे काम
हमें सहारा तेरा ही राम
आठों याम करें तुम्हें प्रणाम
@मीना गुलियानी

इतना सताते हो

आजकल तुम न जाने कहाँ खो जाते हो
ढूँढने पर भी कहीं नज़र नहीं आते हो
गाँव के चप्पे चप्पे में तलाश किया तुम्हें
 न जाने किन वादियों में ग़ुम हो जाते हो
सिर्फ तुम्हारी यादें ही मेरे पास रहती हैं
 मुझसे बोलती हैं तुम सपनों में आते हो
पता नहीं तुम क्यों मुझे इतना सताते हो
@मीना गुलियानी 

कर शत्रु मर्दन

है उन सबका दशमुख मन रावण
जो करते हैं सदैव अशुभ चिन्तन
कैसे मना सकते हैं  हम दशहरा
जब तक इन दोषों का हो न शमन
कैसे कहलायें विजयी हम जब तक
दूषित रहे ये अंतर्मन का चिन्तन
आओ इस पर्व लें संकल्प और प्रण
करेंगे विजयी ये मन कर शत्रु मर्दन
@मीना गुलियानी

अधिकारी हैं

काम ,क्रोध ,लोभ ,मोह ,अहंकार
ईर्ष्या ,द्वेष ,आलस्य,छल,हठ
यही हैं अंतर के दस रावण जिन्हें
हराकर ही हम विजयपर्व ख़ुशी से
मनाकर दशहरे की शुभकामना
स्वीकार करने के अधिकारी हैं
@मीना गुलियानी 

दीवानापन है

यह कैसी उधेड़बुन है
मन को तेरी लगन है
मन को तेरी ही धुन है
कैसा ये पागलपन है
दिल सोच में मगन है
क्यों ये दीवानापन है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 7 अक्टूबर 2019

पीड़ा बढ़ाते हैं

किसी की पीड़ा को कौन समझे
केवल व्ही जान सकता है जिसने
इस दर्द को खुद कभी झेला हो
बाकी दुनिया तो मज़ाक उड़ाती है
सबसे अपना दर्द छुपाना चाहिए
उजागर होने पर दर्द नासूर बनता है
रह रह कर उसमें टीस उठती है
लोग भी कुरेदकर पीड़ा बढ़ाते हैं
@मीना गुलियानी 

सागर से सीखना होगा

अपने मन में सागर की गहराई रखना
जैसे सागर सब लहरें तूफ़ान झेलता है
कितनी भी विषम स्थिति हो सागर
हमेशा शांत ,धीर, गंभीर नज़र आता है
उसमे हर दुःख दर्द सहने की शक्ति है
सिर्फ हम लोग ही दर्द में कराहते हैं
हमें अपनी सहनशक्ति बढ़ानी होगी
यह गुण हमें सागर से सीखना होगा
@मीना गुलियानी 

उत्तर उसे दो

इस दुनिया में मेरा कौन है
यह प्रश्न मैं खुद से पूछती हूँ
मन तो कोई जवाब नहीं देता
चुपचाप सिर्फ सुनता रहता है
सबको साथी की ज़रूरत होती है
वरना जीना दूभर हो जाता है
साथी के सहारे वक्त कटता है
कोई साथी न मिले तो खुद ही
अपने साथी बनो खुद बात करो
खुद ही प्रश्नों के उत्तर उसे दो
@मीना गुलियानी 

रविवार, 6 अक्टूबर 2019

रोशन होता है

मिट्टी के हैं रंग निराले 
मिट्टी से ही जन्म लेते हैं 
मृत्यु आने पर सब ही 
मिट्टी में विलीन होते हैं 
तन माटी का दीपक है 
प्रेम इसकी बाती है 
दीपक तब तक जलता है 
जब तक इसमें तेल हो 
जब तक शरीर में साँस है
 दीपक रोशन होता है 
@मीना गुलियानी 


जैसे निखरे

गुलदस्ता परिवार का बँधा रहे
कभी भी ये न बिखरे
हर रंग के फूल हों खिले
उनकी सुगंध चहुँ ओर बिखरे
ओसकण हीरे जैसे निखरे
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 5 अक्टूबर 2019

सिर तो देना पड़ेगा

अपनी जिम्मेदारी को निभाना पड़ेगा
इससे कोई भी भाग नहीं सकेगा
हकीकत का सामना करना पड़ेगा
ओखली में सिर तो  देना पड़ेगा
@मीना गुलियानी 

सामना करता है

जो जीवन में चुनौती स्वीकारता है
वह किसी भी क्षेत्र में हारता नहीं है
हर कार्य को गम्भीरता से लेता है
हर कार्य को पूर्ण करना लक्ष्य है 
पूरी तन्मयता से एक योद्धा जैसे
हर मुसीबत का सामना करता है 
@मीना गुलियानी 

आज पराया

तुमने तन्हा रहकर देख लिया ना
क्या कुछ सुकूँ तुम्हें मिल पाया
हर तरफ इक सन्नाटा सा छाया
दूर हुआ तेरा अपना भी साया
हुआ मनमीत भी आज पराया
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2019

बड़े झूठे निकले

हकीकत तो खुल ही जाती है
सपने तो सपने ही होते हैं
वो हकीकत नहीं बन सकते
ऐसा एहसास होते हैं जिन्हेँ
आप सिर्फ महसूस करते हो
उन्हें आप छू नहीं सकते हो
जागृति में नहीं मन में देखो
बंद आँखों से अंतर्मन में देखो
नहीं तो फिर तुम ही कहोगे
कि दोनों ही बड़े झूठे निकले
@मीना गुलियानी 

फ़साना बन जाए

हाले दिल लिखा नहीं जाता
मन की आँखों से इसे पढ़ो
लफ़्ज़ों में लिखा नहीं जाता
जज़्बात जुबां पर आये तो
डर लगता हमें रुसवाई का
हर अश्क जो आँखों से आये
खुद एक फ़साना बन जाए 
@मीना गुलियानी 

पहिया चलता है

समय बहुत ही बलवान है
भगवान ने ये संसार रचा है
उत्पति और विनाश का
इसमें समन्वय किया गया है
ज़िन्दगी को जीना पड़ता है
यह सफर तय करना पड़ता है
समय का पहिया चलता है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

नाचता है

नए रिश्ते बनाने में वक्त लगता है
दिल इतनी जल्दी स्वीकारता नहीं
जिन्हें स्वीकारता है उन्हेँ भूलता नहीं
पल पल उनकी याद में खोया रहता है
पास न होने पर उदास बैठा रहता है
मिलने पर उमंग से भरकर नाचता है
@मीना गुलियानी 

ओझल हो घन

ज़िन्दगी को पता नहीं विधाता ने
न जाने किस स्याही से लिखा है
उसमे न जाने कितने ग़म लिखे
कितनी खुशियाँ लिख दी होंगी
जब सही वक्त आता है तब ही
पता चलता है सुख दुःख  तो
बारी बारी से आते जाते रहते हैं
सुख दुःख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो भरपूर कभी
घन में ओझल हो शशि तो
कभी शशि में ओझल हो घन
@मीना गुलियानी

बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

मदहोश किए जाए

मुझमें भी तो  इक जंगल है
जाने कितने पेड़ उगे हैं
कितने ही विचार उमड़े हैं
कितनी बेल लताएँ लहरायें
जिसमे मन मेरा झूमे जाए
किसकी ये बांकी चितवन है
तन को मेरे जो सिहरा जाए
दिल को मदहोश किए जाए
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019

मुहब्बत नहीं होती

यूँ तन्हा रहने से उदासी कम नहीं होती
बता कौन से दिन आँखें नम नहीं होती
दिल करता इंतज़ार मुलाक़ात नहीं होती
कहते सुनते बहुत हैं मनुहार नहीं होती
दिल घुटता है इज़हारे मुहब्बत नहीं होती
@मीना गुलियानी 

सबका जीवन

यही है प्रार्थना मेरी भगवन
खिला रहे खुशियों से आँगन
गुलों से महकता रहे गुलशन
ऋतु वसन्त का हो आगमन
मंगलमय हो सबका जीवन
@मीना गुलियानी