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शुक्रवार, 17 जून 2016

भजनमाला ---42

किसका दर है कि जबीं आप झुकी जाती है 
दिले खुद्दार दुहाई कि खुदी जाती है 

आये जो तेरी शरण हमने तब ये पहचाना 
तेरे दर पे ही तो किस्मत जगाई जाती है 

ढाए दुनिया ने सितम हमको तुम न ठुकराना 
तेरे दर पे ही तो खुशियाँ लुटाई जाती है 

रूठे दुनिया चाहे सारी न तुम खफा होना 
तुझे पाने को ही हस्ती मिटाई जाती है 

अपने दासों पे कर्म मय्या आज फरमाना 
तेरे दर पे ही तो बिगड़ी बनाई जाती है 
@मीना गुलियानी 

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