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सोमवार, 29 जून 2020

तेरी आवाज़

तेरी आवाज़ क्यों सुनाई न देती है
लगता है कि ये भी ख़फ़ा सी है
मेरी तो बस यही इक दुआ है
सबको ईश्वर खुश रखे मेरी
उससे केवल यही इल्तज़ा है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 28 जून 2020

वर्तमान में ही जीना है

हम सबको वर्तमान में ही जीना है
बीता कल तो बीत  गया है आने वाला
कल पता नहीं कैसा  होगा इसलिए हमें
हमेशा वर्तमान में जीने का अभ्यास तो
करना ही होगा तभी सफल हो पाएंगे
अपना लक्ष्य तय करो फिर सम्भावनाएं
तय करो हौंसला लेकर पुरुषार्थ करो
शिकवे गिले सब भूलकर नया इतिहास
वर्तमान में गढ़ना है खुश रहना है
सपनों को साकार करना है अपनी
चादर में ही पैर पसारना है नहीं तो बाद
में हाथो से  तोते उड़ने पर पछताना होगा
@मीना गुलियानी 

कुछ रिश्ते

कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं
जो ईश्वर स्वयं बनाता है
कुछ रिश्ते अपने आप ही
आपसे खुद जुड़ जाते हैं
उनके दिल में न वैर होता है
न ही कोई शिकवा शिकायत
प्रेम के बंधन में बंध जाते है
भाई बांधव बन जाते है
जीवन भर सुख दुःख में वो
हमेशा साथ निभाते हैं
हर परिस्थिति का सामना
करते हैं ईश्वर के दूत की तरह
जिंदगी को वो सहज बनाते हैं
ये रिश्ते सात्विक होते हैं भूले
हुए को भी राह पे लाते हैं
@मीना गुलियानी  

गुज़र जाते हैं

गुज़र जाते हैं कीमती पल
जब गुरुवर का हाथ सर पे
और मेरा ध्यान श्रीचरणों में
हो दिल में तेरी मूरत हो पल
पल स्वांस में तुम समाए रहो
इक यही तमन्ना है मेरे दिल की
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 27 जून 2020

याद ही बाकी है

याद ही बाकी है
तुम तो चले गए
मुझको अकेला छोड़
मेरी जिंदगी में न कोई मोड़
तेरी यादें ही दिल में बसती हैं
जमाने की न कोई हस्ती है
तुम थे तो स्वर्ग के थे नज़ारे
अब तो सिर्फ नफरत भरा
जहाँ है मेरा कोई न यहाँ है
कहाँ आवाज़ दूँ तू कहाँ है
@मीना गुलियानी 

प्रकृति तू रहम कर

प्रकृति तू हम पर रहम कर
अब न काटेंगे हरे भरे वृक्ष
रखेंगे पर्यावरण का ध्यान
ये ही है सम्यक ज्ञान 
@मीना गुलियानी

माजी की धूल

माजी की  धूल झाड़  दिया करो
मन का आईना दिखता सुंदर है
गहराई से देखें तो धूल से सना है
अपने शुभ कर्मों से हुवब संवार दे
जीवन शैली में परिवर्तन कर  लिया करो
मानव दुनिया  मे अपनी जगह खुद बनाये
@मीना गुलियानी 

तलाश जारी है

तलाश अब तक  जारी है
सारी दुनिया ही पैसे पर
मरती है जीवन की न हस्ती है
सिर्फ दौलत न साथ निभाएगी
ये कंचन काया मिटटी में मिल जायेगी
अभी देर न हुई है राम का नाम लो
जिंदगी को फिर से आरम्भ करो
सारा स्वर्ग प्रभु  के चरणों में है अपना
अहम उनको समर्पित करो सुख पाओ
@मीना गुलियानी

शुक्रवार, 26 जून 2020

मुझे स्वीकार कर लो

मुझे स्वीकार कर लो
कहती है हमको धरती
सूर्योदय की ये लाली
कितने ही फूल खिलाएगी
कितने ही श्रम धान्य
उगाकर मानवता पाठ
पढ़ाएगी धूमिल पड़े भविष्य
जिनको वो न बिसरायेगी
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 23 जून 2020

देखकर चलो

देखकर चलो तभी आगे कदम बढ़ाओ
सिर्फ ऊपर ही देखने वाला गिरता है
खुद का पाँव अपने धरातल पर रखो
अपना ध्येय ऊँचा रखो होंसला रखो
लक्ष्य को सदा अपने सामने रखो तो
तुम जरूर ही अपना झंडा फहराओगे
निश्चित रूप से सफलता पा जाओगे
@मीना गुलियानी 

नहीं तो

नहीं तो कहना है असम्भव कायर के लिए तो सम्भलना
सिर्फ पुरुषार्थी ही कर पाते  हैं हर परिस्थिति का सामना
जो कुछ भी दम्भ करते हैं वो तो निराश ही होते हैं लेकिन
जो भवण्डर आने पर भी पतवार से नाव खेते हैं वो ही
सागर के उस पार तक उतर पाते हैं मंजिल को पाते हैं
दम्भी लोग तो अपना सर धुनते हैं पछताते ही हैं
@मीना गुलियानी 

तुम जानते तो हो

तुम जानते तो हो कितना मुश्किल है सही पग धरना
हर कदम पे करना पड़ता है राही को इसका सामना
जो रखते हैं धैर्य और साहस वही जानते हैं सही चलना
कितना भी दुर्गम पथ हो उससे विचलित न कभी होना
तुम अपनी नाव की पतवार को ईश्वर को ही सौंप देना
करेगा तेरा बेड़ा पार फिर काहे को है तुझे अब डरना
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 22 जून 2020

जलती धरती मन मेरा

जलती धरती मन मेरा
सूरज का है इस पर पहरा
छाई है बदरिया काली
बरसे आंगन चले पुरवाई
महके उपवन फूला गुलशन
हर आंगन में खिले फूल
डाली डाली हुई मतवाली
चंदा आये चाँदनी साथ
थामे वो धरा का हाथ
अपनी चांदनी को बिखराये
सब लोग झूमे नाचे गायें
@मीना गुलियानी 

रविवार, 21 जून 2020

ये कैसी बेबसी है

ये कैसी बेबसी है
कैसी ये घड़ी है
क्यों आदमी का ही
दुश्मन आदमी है
कैसे स्वार्थ पे बात
ये अड़ रही है न जाने
बात कहाँ पर रुकी है
@मीना गुलियानी 

अभिव्यक्ति से मत घबराओ

अभिव्यक्ति से मत घबराओ
जूठ से पर्दा तुम ही उठाओ
सच्चाई को तुम गले लगाओ
सूरज तारे चाँद सितारे सब
अपने सौन्दर्य से अभिव्यक्त
कर रहे हैं कि वो कितने सुंदर हैं
इसलिए खुद को अभिव्यक्त
करना ही मानव का स्वभाव है
प्रकृति के शाश्वत सिद्धांत हैं
जिनसे धरा का रूप दिखता है
प्रकृति अभिव्यक्त करती है
@मीना गुलियानी 

पापा

पापा सबके हैं प्यारे
सबकी आँखों के तारे
हमको अपने गले लगाते
गले लगाकर प्यार जताते
सबके हृदय में वो बसते
सबका लालन पालन करते
सबकी चिंता को वो हरते
देते सबको अपना सहारा
उनका साथ है हमको प्यारा
उनकी अँगुली पकड़कर हम
चलते रहे बढ़ते रहे संभलते रहे
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 20 जून 2020

योग वो है

योग वो है जो दुःख भगा दे
आलस्य निद्रा को भगा दे
शरीर को तंदरुस्त बना दे
शरीर में नई ऊर्जा जगा दे
भव पीड़ा को वो मिटा दे
चुस्ती फुर्ती को जगा दे
शरीर को स्वस्थ बना दे
मन के विकारों को मिटा दे
सुप्त चेतना को जगा दे
मानसिक रोग भगा दे
कष्टों से मुक्ति दिला दे
@मीना गुलियानी 

तुम क्या जानो

तुम क्या जानो कितने रंग में रंगे हैं लोग
 लोगों को लुभाने की होड़ में रहते हैं लोग
अपने चेहरों पे वो नकाब ओढ़ लेते हैं लोग
सही शख्सियत कहाँ दिखाते हैं वो लोग
जो सबको भुलावे में हमेशा रखते हैं वक्त पे
नज़रें फेरके अपना मुँह छिपा लेते हैं लोग
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 19 जून 2020

आत्मा का श्रृंगार करो

आत्मा का श्रृंगार करो
शुद्ध तन मन को करो
अच्छे विचारों को भरो
बुरी बातों से दूर रहो
परनिंदा दुष्कर्मो से बचो
हमेशा सतकर्म ही करो
परोपकार करते ही रहो
आत्मा सुंदर होगी तो
ह्रदय रूप संवरेगा और
निखरेगा बुराई से बचो
@मीना गुलियानी 

तन्हाई का मंजर है

तन्हाई का मंजर है
वीरानी अंदर बाहर है
कोई न हमसफ़र है
वीराना सा सफर है
खो गई रहगुज़र है
बिछड़ा हमसफ़र है
तू न जाने किधर है
ढूँढती मेरी नज़र है
@मीना गुलियानी 

मेहँदी वाले हाथ

आज करुणा की सगाई होने  जा रही थी।  सूबेदार शमशेर सिंह के बेटे बिशनसिंह से उसका रिश्ता होने जा रहा था।  लड़के वालो के घर से मेहँदी का थाल और मिठाई आई थी साथ में दुल्हन की चूड़ियाँ उसका साज सिंगार का सामान भी भेजा गया था।  शाम को रस्म थी।  दुल्हन के घर गीत गाये जा रहे थे।  बिशनसिंह अभी पिछले महीने की फौज में भर्ती हुआ था।

  आज सुबह ही उसका बुलावा भी फौज के दफ्तर से आ गया था कि चीन का हमला हुआ है सबकी छुट्टियाँ रद्द कर दी हैं।  सबको तुरंत ही हेडक्वार्टर पहुँचना होगा।  अब बिशनसिंह को भी फौज का हुक्म बजाना ही था इसलिए वो सुबह ही सूचना मिलते ही रवाना हो तो गया।  सगाई की रस्म भी थी तो कुछ लोगों ने कहा कि फोटो देखकर ही पंडित जी सगाई  करवा देंगे।  इस तरह से वो तैयारियाँ भी ज़ोर शोर पर थीं।

  अब शाम का मुहूर्त था सब रिश्तेदार आये हुए थे।    इतने में ही किसी के फोन से सूचना मिली कि बिशनसिंह जिस टीम में था वहाँ के एनकाउंटर में वो दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गया था।   अब एकदम सब गाना बजाना रुक गया।  घर में मातम छा गया।  दुल्हन के मेहँदी वाले हाथ भी रीते ही रह गए।  
@मीना गुलियानी 

दोहा

कृपासिंधु इस जगत में , तुम ही खेवनहार
बाँह पकड़  तुम ले चलो, सागर के उस पार

सब कुछ दीन्हा  आपने , कैसे करूँ बखान
सतगुरु तुम्हरी प्रीत पर , मैं जाऊँ कुर्बान
@मीना  गुलियानी


कौन कबूल करता है

कौन कबूल करता है
सूखे हुए एक पेड़ को
लोग इसे जलाते हैं
फर्नीचर बनाते हैं
खिलौने बनाते हैं
गुलदान सजाते हैं
उसको भी उपयोग
लोग तरह तरह
से करना जानते हैं
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 18 जून 2020

शोर मचाता रहता है दिल

शोर मचाता रहता है दिल
हमेशा ही चिल्लाता रहता
ख़ामोशी में चुप न रहता
नहीं किसी की भी सुनता
अपनी ही ये धुन में रहता
किसी की परवाह न करता
अपनी मस्ती में वो गाता
प्यारे प्यारे बोल सुनाता
 @मीना गुलियानी

































भुला नहीं सकेंगे हम

भुला नहीं सकेंगे हम
तुम्हारा अदम्य शौर्य
तुम्हारा  धैर्य  साहस
खड़े थे चट्टान बनके
सीना तान बजाए डंके
किया सामना हिम्मत से
व्यर्थ न जाएगा बलिदान
याद करेगा ये हिन्दुस्तान
@मीना गुलियानी 

एक वही था

एक वही था जो सुनसान पथ पर
अकेला ही अपनी यात्रा पर निकला
बाकी काफिला तो उससे पिछड़ गया
उसमें अदम्य साहस आत्मविश्वास
भरा हुआ था जिसके बल पर चला
न किसी से डरा न वो पथभ्रष्ट हुआ
हिम्मत से अपनी नाव खेता चला
हर मुसीबत को अपना संबल बनाया
जीवन पथ पर इतिहास रच चला
@मीना  गुलियानी 

बुधवार, 17 जून 2020

बेनिशाँ

बेनिशाँ है मगर एहसास ये गहरा है
दिखता नहीं दिल पे घाव ये गहरा है
यादों का दिल पे एहसासों का पहरा है
हर पल दिल में होता विश्वास गहरा है
@मीना गुलियानी 

सुबह की लाली

सुबह की लाली ख़ुशी का कमल खिलाती है
दिल में आशा विश्वास का फूल खिलाती है
मन में उमंगों की हर पल बरसात करती है
आशाओं का नूतन ये संसार भी  रचती है
@मीना गुलियानी 

दोहे

कृपासिंधु इस जगत में तुम ही खेवनहार
बाँह पकड़ तुम ले चलो सागर के उस  पार

सब कुछ दीन्हा आपने कैसे करूँ बखान
सतगुरु तुम्हरी प्रीत पर मैं जाऊँ कुर्बान
@मीना गुलियानी 

दोहे

सतगुरु ने चुनरी रंगी खूब रंगी झकझोर
ओढ़ के मन नाचन लगा ज्यों नाचे बन मोर

सतगुरु कृपा कीजिये कभी न भूलूँ तोहि
कृपाकर सुध लीजिये मन भरमावे मोहि
@मीना गुलियानी 

करें क्या

करें क्या जब कोई दिल को बहुत पसंद हो
तब तकलीफ और भी बढ़ जाती है जब
वो बात भी न करे और करे नापसंद वो
बाजी हम जाएँ हार और वो हुनरमंद भी हो
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 16 जून 2020

थोड़ा थोड़ा करके ही

थोड़ा थोड़ा करके ही
ये घट भी भरता है
जीवन में रस भरता है
थोड़ा थोड़ा करके ही
धन संचय होता है
थोड़ा थोड़ा संयम से
फिर खर्च होता है
रिश्तों में प्यार बढ़ता है
थोड़े परिश्रम से फिर
मानव आगे बढ़ता है
जीवन का रथ थोड़ा
आगे फिर बढ़ता है
@मीना गुलियानी 

मुस्कुरा दिए थे तुम

मुस्कुरा दिए थे तुम
जब तन्हाई में मिले
बहुत शर्मा रहे थे तुम
दिल में उमंगें जवां थी
पर घबरा रहे थे तुम 
लहरें मचलती जैसे
बल खा रहे थे तुम
हँसते जो देखा तुम्हें
मुस्कुरा दिए थे तुम
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 15 जून 2020

किताबों की दोस्ती

किताबों की दोस्ती
सबसे अच्छी है होती
इनसे किस्मत संवरती
नहीं किसी की बुराई होती
मुश्किल में सहारा बनती
पक्की इसकी दोस्ती होती
कभी नहीं ये रूठा करती
सबसे प्यारी दोस्त होती
@मीना गुलियानी 

तुझे और क्या चाहिए जिंदगी

तुझे और क्या चाहिए जिंदगी
 मेरा सब कुछ तूने छीन लिया
अब बाकी कुछ न बचा देने को
सिर्फ अपने जज़्बात बाकी हैं
वो भी पता नहीं कितने लम्हों के
जाने वो लम्हें खत्म हों और तू
मुझसे खुद भी विदा मांग ले
तुझसे इतनी गुज़ारिश है कि
बेशक कुछ पल की ही हों पर
सबको तू खुशियों की सौगात दे
@मीना गुलियानी 

मौत तू जवाब दे

मौत तू जवाब दे तुझसे पूछते हैं हम
क्यों तू जब अचानक आती है तो सब
नाते रिश्ते तेरे साथ होते हैं वो खत्म
पर बात वो भी नहीं क्यों खुदकुशी भी
ज़रा सी बात पर करके ढाते हैं सितम
सारी दुनिया चाहती बिछड़ते एकदम
कुछ कहने को बचता नहीं निकला दम
@मीना गुलियानी 

रविवार, 14 जून 2020

दिन नया निकलता है

दिन नया  निकलता है
वक्त फिर बदलता है
ग़मों की धूप के बाद
सूरज ये ढलता ही है
सुबह सूरज की रश्मि
को साथ लेकर ये दिन
फिर नया निकलता है
वक्त कभी रुकता नहीं
ये हमेशा चलता ही है
अवसादों को चीरकर ये
दुःख फिर पिघलता है
सुख का दिन निकलता है
@मीना गुलियानी 

प्रिय सुशांत

अचानक ऐसा क्या हुआ
क्यों तू इस जहाँ से रूठा
क्यों इस तरह दुनिया से
रूठकर रिश्ता तोड़ गया
क्यों सबसे तूने नाता तोडा
क्यों सपनों को तूने तोडा
सबको रोता हुआ छोड़कर
तू स्तब्ध कर गया सबको
हम सभी का नमन तुझको
@मीना गुलियानी

बावरा मन - कहानी

रिशु और सुनील दोनों बचपन के साथी थे।  एक साथ पढ़े बड़े हुए।  अब वो कालेज की पढ़ाई कर रहे थे।  दोनों ही पढ़ने में बहुत ही निपुण थे।  उनकी कक्षा के सभी विद्यार्थीगण और अध्यापकगण बहुत ही प्रभावित थे।  दोनों ही खेलों में भी और कालेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे।   उन दोनों के परिवार के लोग अच्छे संस्कारों के लोग थे और वही संस्कार अपनी संतान को भी दिए थे।  रिशु तो बहुत ही खूबसूरत दिखती थी।  उसके कमर तक घुँघराले केश उसकी खूबसूरती को और बढ़ाते थे।  लाल रंग का दुपट्टा उसके सफेद रंग के सूट पर कंट्रास्ट करके उसने पहना हुआ था।  पैरों में काली चप्पल उसके गोरे गोरे पाँव की ख़ूबसूरती और बढ़ा रही थी। दोनों बस स्टाप पर बस की इंतज़ार में लाईन में खड़े प्रतीक्षा कर रहे थे।   सबकी निगाहें उन दोनों की जोड़ी पर टिकीं थीं।  तभी बस आई और उस पर चढ़ने की सबको जल्दी थी।  रिशु को आगे बढ़ने के लिए सुनील ने साईड से रास्ता बना दिया खुद वो उसके पीछे खड़ा हो गया।  अब वो जल्दी से बस में बैठ गई और साथ की सीट पर सुनील बैठ गया।  रिशु ने कहा - सुनील आज अगर तुम मेरे साथ न होते तो यह बस तो मिस हो ही जाती।  इतने रश में चढ़ना मुश्किल था मेरे लिए।  इसके लिए तुम्हें धन्यवाद।  सुनील बोला - माई गॉड इतने तकल्लुफ की क्या जरूरत है।  यह तो मेरा फर्ज बनता था आखिर हम बचपन के साथी हैं दोनों को साथ ही जाना था।    कालेज आ गया था और वो दोनों उतर  गए।

 आज उनकी परीक्षा थी ।  दोनों ने बहुत ही तैयारी करी हुई थी।  रिशु का पूरा ध्यान ही अपनी कॉपी पर था और उसकी सप्लिमेट्री कॉपी भी भर गई थी।  उसने सारे प्रश्नों के उत्तर सही लिखे थे।  पेपर बहुत अच्छा रहा था।  सुनील ने भी बहुत अच्छी तरह से पेपर किया था।  आज तो सुनील की ममी ने उसे घर से निकलते हुए दही में शक़्कर भी डाल कर खिलाई थी और कहा था - बेटा यह तो अच्छा शगुन होता है आज भगवान की कृपा से तुम्हारा पेपर अच्छा होगा।  सुनील ने जाते हुए ममी के पाँव छूकर आशीर्वाद लिया था।  अब लंच का समय हो गया था वो दोनों घर से अपना टिफिन लेकर आये थे।  दोनों ने इकट्ठे ही एक बैंच पर बैठकर खाना खाया।  फिर उनके कालेज से लौटने का वक्त हो चला था।  दोनों ही फिर से बस स्टाप पर आ गए। अब वो दोनों ही बस में बैठ गए।  बस अपने गंतव्य पर चल पड़ी।   घर आते ही दोनों बस से उतरे और अपने अपने घर की ओर चल पड़े।

रिशु के पिताजी एक सरकारी महकमे में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे।  सुनील के पिताजी एक मल्टीनेशनल कम्पनी में अच्छी पोस्ट पर कार्यरत थे।  दोनों परिवारों में अच्छा मेलजोल था।  हर त्यौहार पूरी कालोनी के लोग उसी कालोनी के कैम्पस में इकट्ठे होकर मनाते थे।  होली का दिन था रिशु तो अपने हाथों में पिचकारी भरकर सुनील को रंगने के लिए तैयार बैठी थी।  सुनील ने भी अपनी मुट्ठी में रंग भरा हुआ था जो उसने रिशु के सर पर डाल दिया रिशु का गोरा रंग और पूरे कपड़े उस रंग में रंग गए थे।   सुनील ने भी सफेद रंग का कुर्ता पायजामा पहना हुआ था जो पिचकारी से रंगीन हो चुका था।   दोनों ने सपरिवार मस्ती से होली खेली और फिर दोनों परिवारों ने एक दूसरे को मिठाई भी खिलाई।

अब सुबह होते ही दोनों ने जब अपने अपने चेहरे शीशे में देखे तो गुलाल का रंग तो छूट गया था पर दोनों के अंग में प्रीत का रंग भरा हुआ था।   आज उनके कालेज की छुट्टी थी।  दोनों ने ही फिल्म देखने के लिए ममी से इजाज़त ले ली।  फिल्म का नाम भी' होली आई रे 'था जो मिनर्वा पर लगी हुई थी।  दोनों के टिकट सुनील ने लिए और अंदर हाल में आ गए।  अब दोनों ने एक दूसरे का हाथ थाम रखा था।  सुनील बोला - क्या तुम मुझे भी उतना ही चाहती हो जितना कि मैं तुम्हें चाहता हूँ।   मेरा मन तो बिल्कुल तुम्हारे प्यार में बावरा मन हो चुका है। तुम बताओ कि तुम्हारे मन में मेरे प्रति कैसे विचार हैं।  अगर तुम मुझे पसंद करती हो तो मैं भी अपनी ममी से तुम्हारी ममी से कहकर तुम्हें हमेशा के लिए अपना बना लूँगा।  रिशु बोली - तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ पर पहले हम दोनों पढ़ाई पूरी कर लें फिर अच्छी नौकरी मिलने पर ही शादी करेंगे।  सुनील बोला - ठीक है मुझे तब तक का इंतज़ार रहेगा। अब दोनों ने फिल्म देख ली थी और वापिस घर लौट आये।  अब फिर उनकी परीक्षा खत्म हो चुकी थी।  दोनों का रिजल्ट भी अच्छा आया प्रथम श्रेणी में दोनों पास हुए।  दोनों की नौकरी भी मल्टीनेशनल कम्पनी  में लग गई।   अब सुनील ने  रिशु से कहा - तुम्हें अपना वादा याद है अब तो हम नौकरी भी साथ साथ कर रहे हैं अब तो मैं अपनी शादी की अर्जी तुम्हारी ममी जी के सामने रख दूँ।  रिशु ने शर्माते हुए कहा - ठीक है।  अब तो मौका मिलते ही छुट्टी के दिन सुनील ममी के साथ रिशु के घर आया।  रिशु की ममी ने उनका स्वागत किया।  सुनील की ममी ने बिना किसी भूमिका बांधे ही सुनील के लिए उनकी बेटी का रिश्ता मांग लिया।  दोनों के परिवार इस रिश्ते के लिए बिना दहेज के शादी करने पर  राज़ी थे इसलिए चट मंगनी और ब्याह वाली कहानी दोनों के रिश्ते पर भी लागू हुई। पंडित जी ने शुभ मुहूर्त के अनुसार दोनों का विवाह सम्पन्न करवाया।  अब रिशु और सुनील दोनों दूल्हा दुल्हन बन चुके थे।  दोनों के बावरे मन एक दूसरे को अपनाकर सदा के लिए एक दूसरे में खो गए उनके सपने सच हो गए।
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 13 जून 2020

प्रेम में ही डूबे रहो

प्रेम में ही डूबे रहो
आज कुछ न करो
सिर्फ हमें याद करो
मस्ती से जीते रहो
दिल में उमंगें भरो
वक्त को हसीं करो
दुखों से दूर तुम रहो
@मीना गुलियानी 

शहर की रात

शहर की रात कितना दिल लुभाती है
रोशनी से सारी कायनात झूम जाती है
रंग बिरंगे फ़ानूस झिलमिलाते हैं
दिल को मदहोश वो किये जाते हैं
कुछ लोग मयखानों का लुत्फ़ लेते हैं
जीने के तमाम रास्ते वो ढूंढ लेते हैं
हमको तो सिर्फ तेरी याद आती है
दिल में वो प्यार की शमा जलाती है
@मीना गुलियानी 

दर्द की धुन

दर्द की धुन जब शहनाई बजाती है
सबके दिलों में दर्द वो जगाती है
आँखों में अश्कों को भर लाती है
विदा की बेला समीप वो लाती है
 आँसू पलकों से वो छलकाती है
दिल के तारों को भी छेड़ जाती है
@मीना गुलियानी 

बात क्या है

बात क्या है क्यों तू मुझसे खफा है
क्यों तू बोलता नहीं गुमसुम हुआ है
क्या है तुझे ग़म क्यों तू ग़मज़दा है
 कोई नाकामियों का सिलसिला है
बता क्या है कुछ ऐसा जो जुड़ा है
 उदासी से किसी का भला न हुआ है  
तेरी खामोशी का फायदा भी क्या है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 12 जून 2020

किसी को कम मत आंको

किसी को कम मत आंको
हर कोई खुद में महान है
 कोई उसे जान नहीं पाता
व्यक्ति दूसरे से ज्यादा
अपने को ज्यादा समझता है
दूसरों को कम महत्व देता है
हकीकत में इसका उल्टा है
जिसे हम सुई समझते हैं
हाथी से ज्यादा शक्तिशाली है
@मीना गुलियानी 

गुंजाईश तो रहती है

गुंजाईश तो रहती है
रिश्तों में ये गुंजाईश
हमेशा बनी रहती है
चाहे कोई माने न माने
रिश्तों में गरमाईश तो
बनी ही रहती है तभी
तो रिश्ते टूटते हैं कभी
बनते बिगड़ते हैं पर
एक डोरी बाँधे रहती है
@मीना गुलियानी

मेरे भी कई ख़्वाब थे

मेरे भी कई  ख़्वाब थे
सोचा था स्कूल जाऊँगा
पढ़ कर अफ़सर बनूँगा
माँ बाप की सेवा करूँगा
खूब पैसे कमाऊँगा और
उन्हें काम से मना करूँगा
घर में राशन नहीं, फाके हैं
ख़्वाब तोड़ने पड़े बोझ को
ढोना ही पड़ा पता नहीं
कब ख़्वाब पूरे होंगे मेरे
बाल श्रमिक बनना पड़ा
@मीना गुलियानी 

प्यार ने सहेजकर रखा मुझे

प्यार ने सहेजकर रखा मुझे
इसका बहुत शुक्रिया है तुझे
वरना मैं इस काबिल नहीं था
ये सब तेरे प्यार का बल था
तुमने ही मुझे संवारा संभाला
खुद के तुमने काबिल बनाया
मुझे प्यार से जीना सिखाया
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 11 जून 2020

यूँ ही बेखबर मत रहो

यूँ ही बेखबर मत रहो
अपने होश में तुम रहो
दुनिया कर ने दे गाफ़िल
सोच समझके आगे बढ़ो
हर तरफ जाल है फैला
 संभल संभल के पाँव धरो
 शूल चुभ न जाए कोई
अपनी निगाहें तेज़ करो
हर तरफ देखते भी रहो
@मीना गुलियानी 

जिया नहीं गया हमसे

जिया नहीं गया हमसे
क्या बताऊँ मैं तुझसे
तुम बिन बोझिल साँसे
धड़कन थम गई जैसे
 पल जीना न गवारा है
जिंदगी मैं जिऊँ कैसे
@मीना गुलियानी 

चाहा नहीं था मगर मिल गया

कभी तुमसे दूर रहना





जुदाई में तड़पना
@मीना गुलियानी 

क्यों अधीर अब होता

रे मन तो क्यों अधीर अब होता
तेरे अंत:करण में बहता जीवन का सोता

निज चेतना जागृत कर
तू काहे निद्रा में सोता

उठ जाग त्याग भ्रम जाल
मत रह इनमें खोता

माया है कपट की चेरी
 फंसकर जीवन तू खोता
@मीना गुलियानी 

क्यों महामारी से डरे

रे मन तो क्यों महामारी से डरे
तेरे प्रभु जी साथ हैं तेरे
फिर क्यों चिंता करे

जीवन हे बीएस आना जाना
इसको तू मत भूल रे
हर पल जप ले नाम प्रभु का
हटेंगे दुःख के शूल रे
फिर काहे न भजन करे

सच्चा है ये नाता प्रभु का
बाकी रिश्ते हैं झूठे
माया मोह में फंसना न बंदे
ये कपटी तुझे लूटें
तुझे प्रभु जी पार करे
@मीना गुलियानी 

हमारे दरमियाँ अब हम नहीं है

हमारे दरमियाँ अब हम नहीं है
लेकिन फिर भी कोई गम नहीं है
भले ही तू दूर हमसे हुआ है फिर
भी दुआएँ हमारी कम तो नहीं हैं
कभी तो सुनेगा वो अर्ज हमारी
भरोसा उस पर हमें कम नहीं है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 10 जून 2020

हक तुम्हारा है

जीवन में सर्वश्रेष्ठ पाना हक तुम्हारा है
पर परिश्रम करना अधिकार तुम्हारा है
कुछ पाने को कुछ खोना भी पड़ता है
तभी जीवन में कोई आगे बढ़ सकता है
वरना जीवन की रेत मुट्ठी से फिसलेगी
 आशाएँ सफल होने में मुश्किल होगी
आलस्य त्यागकर आगे बढ़ते जाओ तुम
जो है लक्ष्य तुम्हारा उस पा जाओगे तुम 
@मीना गुलियानी 

रेखाएँ क्या कहती हैं

रेखाएँ क्या कहती हैं हमसे
सुनो ज़रा कुछ सीखो हमसे
पल पल आगे बढ़ना सीखो
नहीं किसी से डरना सीखो
 कभी समानांतर तो कभी
विषम पर बढ़ना भी सीखो
परिस्थति से निपटना सीखो
जो आज है कल न होगा फिर
कर्म प्रधान है इसको सीखो
@मीना गुलियानी 

अपनी जगह पर

अपनी जगह पर तुम भी सही हो
पर वक्त की नज़ाकत ही है ये
इसके अनुसार तुम्हें ढलना होगा
अपना निर्णय बदलना ही होगा
@मीना गुलियानी 

उसका अपराधी -कहानी

नितिन और उमा ने प्रेम विवाह किया था।  आज पूरे पाँच वर्ष बीत चुके थे।  आज उसे अस्पताल उमा को दिखाने के लिए जाना पड़ा तो उसे सुखद समाचार प्राप्त हुआ कि उमा ग़र्भवती  है।  घर पर जब उसने यह समाचार सुनाया तो उसके परिवार में भी हर्ष की लहर दौड़ गई।  उसकी माँ ने कहा अब तो उमा को घर के सभी कामों से आजादी मिलेगी।  सारा काम वो खुद कर लेगी और बाकी ऊपर का काम तो बाई आकर संभाल लेगी।   उमा तो सिर्फ अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखे।   आखिर वो शुभ दिन भी आ गया जब नितिन एक की बजाय दो     कन्याओँ का पिता बन गया।  उसे जुड़वाँ कन्याएँ प्राप्त हुईं।   पूरा परिवार खुश था थोड़ा सा वो उम्मीद कर रहे थे कि एक बेटा एक बेटी हो जाती तो ज्यादा अच्छा होत  पर होनी को कौन टाल सकता है। अब उमा ने भी दो तीन माह के पूरे आराम के बाद नौकरी पर जाना शुरू कर दिया था। अब तो दो कन्याएँ थीं दोनोँ को अकेले माँ जी भी नहीं संभाल सकती थीं तो एक बाई जो आती थी उसे सुबह से शाम तक का पूरा दिन काम पर रख लिया।

उमा सुबह घर का काम करके ऑफिस जाती थी तो वापिस आके घर को और बच्चों को संभालती थी।  माँ जी फिर रसोई देख लेती या वो बच्चों का ध्यान रखती तो उमा रसोई का काम कर लेती थी।  इस तरह मिल बाँट कर घर चल रहा था।  पर धीरे धीरे कुछ समय गुज़रने के बाद नितिन की माँ जी को भी अखरने लगा कि इस उम्र में वो घर के काम में पिसने लगी है तो उंसने कुछ समय बाद अपना दबा आक्रोश बहू पर निकालना आरम्भ कर दिया।  बात बात पर खीजना रोज़ का नियम बन गया।  बिना बात के कभी सब्जी में नमक ज्यादा डाल दिया तो कभी दाल में तरी ज्यादा हो गई या रोटी जल गई अथवा कच्ची रह गई।   इस तरह के ताने सुनकर उमा जो ऑफिस से थकी हारी लौटती थी माँ जी के व्यवहार से अंदर ही अंदर टूटने लगी।

नितिन भी किसी एक का  पक्ष नहीं ले सकता था वो भी अधर झूल में था कैसे यह समस्या सुलझे।  अब अगले साल माँ जी को फिर से बहू के गर्भवती होने की सूचना मिली तो उसने नितिन से कहा अगर इस बार बेटा हो जाए तो मैं भी गंगा नहा लूँगी।  तुम इसकी भ्रूण जाँच करवा लो तो नितिन के एक दोस्त का क्लीनिक था जहाँ से ख़ुफ़िया रूप से उसने पता कर लिया कि फिर से उसकी पत्नी को बेटी होने वाली है तो अब तो घर को माँ जी ने  घर सिर पर उठा लिया उन्होंने बहू से कहा कि वो गर्भपात करवा ले।  बहू ने सोचा इसमें आने वाले बच्चे का क्या कसूर है।  बेटी हे तो क्या वो तो अजन्मे बच्चे की हत्या नहीं करेगी।  माँ जी उसकी इस दलील से खुश नहीं थी वो एक दाई को घर ले आई थी बहू से कहा कि ये तुम्हारा काम आधे घंटे में कर देगी और तुम्हें भी प्रसव पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।  नितिन भी उमा के हक में कुछ कह नहीं पा रहा था।  वो न तो माँ जी को दोषी मान रहा था न ही उमा का साथ दे पा रहा था बस खुद को ही वो इन सब बातों के लिए अपराधी मान रहा था।  आखिर में उमा ने खुद ही अपने विवेकानुसार फैसला किया कि वो हर हालत में बच्ची को जन्म देगी चाहे इसके लिए उसे नौकरी ही क्यों न छोड़नी पड़े।  अब तो बहू की उस धमकी भरे कदम से सभी स्तब्ध रह गए।  उमा के विवेक की जीत हुई वो ख़ुशी से फूली न समा रही थी कि उसे हत्या के दोष से मुक्ति मिली।  नितिन को भी अपराध बोध से अब थोड़ी मुक्ति मिली।  माँ जी का तो चेहरा ही उतर गया था।  उमा का स्त्रीत्व जीत गया था। लेकिन फिर भी उमा का तो वो अपराधी ही खुद को मान रहा था कि थोड़ा सा ध्यान रखा होता तो उसे ये दर्द का सामना न करना पड़ता उसने उमा से कहा  मेरे ही कारण तुम्हें इस मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ा।  मैंने ही तुम्हें दुःख दिया जिसके लिए तुम्हारा अपराधी हूँ चाहो तो जो भी सजा दे दो। उमा बोली अब तो आप भी कुछ नहीं सोचो जो हो गया सो हो गया आप भी अपने मन को शांत कर लो।
@मीना गुलियानी 

शक्ल दिखाने आये हो

शक्ल दिखाने आये हो
मुझे बहलाने आये हो
झूठे वादे तुम करते हो
पर निभाने से डरते हो
ऐसे धोखे में नहीं आयेंगे
हम अपनी वफ़ा निभायेंगे
अपनी कसमें न तोड़ेंगे
टूटे रिश्तों को भी जोड़ेंगे
तेरे कूचे में फिर आयेंगे
जां तुझपे हम लुटायेंगे
देखना फिर पछताओगे
जब मुझको न पाओगे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 9 जून 2020

यदि आप चाहें

यदि आप चाहें रिश्ते फिर जुड़ सकते हैं
हम सभी भूलकर वापिस मुड़ सकते हैं
ये खिज़ा जिंदगी में फिर न आएगी
हमारी जिंदगी  झूमेगी मुस्कुराएगी
@मीना गुलियानी 

मेरे बस में नहीं

मेरे बस में नहीं करते रहना इंतज़ार
क्या मालूम कब बरसे बरखा बहार
गगन पे बादल छितराये बरसें अपार
आओ भीग जाएँ हम बरसे फुहार
आई रिमझिम लेके सपने हज़ार
@मीना गुलियानी 

अपना बना गया कोई

दिल पे दस्तक दे गया कोई
हमको अपना बना गया कोई

ख़्वाब में तुमको देख लेते हैं
अब तो नींदें उड़ा गया कोई

तेरी आँखों से जाम पीते हैं
आज इतनी पिला गया कोई

इतनी मसरूफ़ियत ठीक नहीं
सारे रिश्ते भुला गया कोई

इस कदर घूरना भी ठीक नहीं
दिल पे नश्तर चला गया कोई

दरम्यां फांसलों में चलते रहे
रिश्ते ऐसे निभा गया कोई

यूँ एहसास दिल में जिन्दा हैं
पीर ऐसी जगा गया कोई
@मीना गुलियानी


तन्हाई

जिंदगी की तन्हाई कम नहीं होती
तुम्हारी जुदाई भी सहन नहीं होती

सोचा न था हमें ऐसे जीना पड़ेगा
जियेंगे मगर घुट घुटके जीना पड़ेगा

जिंदगी के सफर पर हम चल पड़े हैं
राहों में कितने ही काँटे बिखरे पड़े हैं

दुनिया ने कितने जख्म हमको दिए हैं
उफ़ तक न की चुपके जख्म सिए हैं

राहों पे चलते चलते परछाइयाँ बोलती हैं
हम तो चुप रहते हैं  तन्हाईयाँ बोलती हैं
@मीना गुलियानी 

हूँ दिल

मैं
हूँ दिल
इसमें तुम हो
होकर एक जां
हुए एक दूजे में ग़ुम
@मीना गुलियानी 

कविता

मैं
तेरी कविता
बसी दिल में
धड़कन मैं तेरी बनकर
आओ तुम मेरी नज़्म बनकर
@मीना गुलियानी 

दिल

मैं
दिल हूँ
जो धड़कता है
सिर्फ तुम्हारे ही लिए
लेकिन तुम हो कितने बेखबर
@मीना गुलियानी 

है कोई यहाँ

है कोई यहाँ
सुने जो दास्तां
समझे जो यहाँ
खामोशी की जुबां
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 8 जून 2020

न बोले तुम न मैंने कुछ कहा

रचना भागती हुई बस के पीछे पीछे ऊपर चढ़ने के लिए कोशिश कर रही थी।  वो समय से ऑफिस पहुँचना चाहती थी क्योंकि आज उस ऑफिस में नौकरी का उसका पहला ही दिन था।  जल्दबाज़ी में उसका पाँव फिसला और अचानक एक अजनबी की बाहों ने उसे सहारा देकर गिरने से बचा लिया।  यह अरविन्द था जो उसी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर कार्य करता था।  रचना - थैंक्स आपने मुझे बचा लिया वरना पता नहीं मेरा क्या हाल होता।  अरविन्द ने कहा - मैडम आखिर इतनी जल्दी आप कहाँ जाना चाहती थी।  रचना-वो मेरा पहला दिन था मैं बॉस के सामने लेट नहीं होना चाहती थी नहीं तो मेरा फर्स्ट इम्प्रैशन ही गलत पड़ता।  अरविन्द बोला -अच्छा मैडम अब समझा लेकिन आगे से सावधानी रखनी होगी।  रचना -जी शुक्रिया ध्यान रखूँगी।  वैसे आप कहाँ जा रहे हैं। अरविन्द ने कहा - यहीं अहिंसा सर्किल जा रहा हूँ  वहीं मेरा ऑफिस है एक हाऊसिंग सोसाइटी का उसमें काम करता हूँ।  रचना बोली - मुझे भी वहीं जाना है।  चलो फिर साथ चलते हैं अरविन्द बोला  और साथ में कदम बढ़ाकर चलने लगा।  लिफ्ट में उनको सेकेण्ड फ्लोर पर जाना था दोनों ने ही बटन ऑन किया तो उनकी अँगुलियाँ आपस में टच हुईं।  दोनों ने एक दूसरे को सॉरी बोला। 

अब दोनों अपनी फ्लोर पर उतर गए।  अरविन्द के सामने की सीट ही रचना को अलॉट हुई।  दोनों अब अजनबी नहीं रह गए थे।  धीरे धीरे बातों का सिलसिला शुरू हुआ लेकिन रचना थोड़ी संकोची प्रवृति की थी यह अरविन्द समझ चुका था।  वो भी बहुत ही संक्षेप वार्तालाप करता था।   ऑफिस के  डेकोरम का भी सवाल था।  रचना यह बात से अच्छी  तरह से वाकिफ थी कि लोगों को तो मसाला मिलना चाहिए किसी के ऊपर छींटाकसी करने का। वो इसलिए भी ऑफिस में बहुत संयमित व्यवहार करती थी।  बाहर तो दोनों बस में आते जाते समय साथ होते थे।  रचना की एक सहेली कुसुम बन गई थी जो थोड़ी वाचाल थी।  लेकिन एक साथी की तो जरूरत थी ही दोनों इकट्ठे ही अपना खाना खाते थे चाय पीते थे।  दोनों की सीट साथ साथ ही थी।  कुसुम  भी अरविन्द से प्रभावित थी लेकिन अरविन्द उसे ज्यादा लिफ्ट नहीं देता था।  अरविन्द सिर्फ रचना की तरफ ही चुपके चुपके देखकर कभी कभी मुस्कुरा देता था।  एक दिन अचानक ही बहुत तेज़ बारिश हुई रचना छाता नहीं लाई थी अरविन्द ने उसे पूरा भीगने से बचाने के लिए अपना कोट उतार दिया जिसे रचना ने ओढ़ लिया।  यहीं से एक तरह से उनकी प्रेम कहानी का जन्म हुआ जो बिना कुछ कहे बिना किसी से कुछ सुने सिलसिला शुरू हुआ और आँखों ही आँखों  में प्यार का इज़हार हुआ इकरार हुआ। 
@मीना गुलियानी 

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं
इसलिए जो भी करो सोचो फिर
उसे सही अंजाम तक पहुँचाओ
हर चीज़ सोना नहीं हो सकती है
जो दिखता है वो एक मुखौटा है
उसके अंतर तक जाके उसे देखो
परखो फिर उस पर यकीन करो
निर्णय सोच समझकर ही करो
कई बार परिस्थितियों को भी
 देखना पड़ता है जल्दी न करो
@मीना गुलियानी 

खुद में तन्हा तन्हा हम

खुद में तन्हा तन्हा हम
जाने किस बात का ग़म
किस सोच में डूबे हैं हम
तुमसे महरूम हुए हम
तुम्हारी यादों का ग़म
तुमसे बिछड़ने का ग़म
सम्भालो निकले न दम
निष्ठुर न बनो अब तुम
सफ़ीना डूबने को सनम
तमन्ना बाहों में मरें हम
@मीना गुलियानी 

सबका कहना मेरा कहना


सबका कहना --
काम से
काम
रखना

मेरा कहना --
मिट जाना
पर
दगा न देना
@मीना गुलियानी 

प्यार का नगमा-- कहानी

शरद और सुधा का प्रेम विवाह हुआ था।  पिंकी उससे छोटी बहिन थी कभी कभी ननद भाभी की प्यार भरी नोंक झोंक हो ही जाया करती थी।  ममी ज्यादातर बहू का पक्ष लेती थी।  पिंकी कालेज की तैयारी कर रही थी इतने में ही शरद ने बोला -पिंकी पहले दो कप काफी बना दो , एक मेरे लिए और एक तुम्हारी भाभी के लिए। पिंकी बोली -भाभी से कह दिया होता मुझे कालेज जाने में भी देरी हो रही है।  शरद ने कहा -क्या बताऊँ अब उसके सिर में दर्द भी अभी होना था वरना वो बना देती। पिंकी बोली - ठीक है भाई ज्यादा सफाई देने की जरूरत नहीं है।  बना रही हूँ अभी लाती हूँ।  पिंकी ने तीन कप काफी बनाई उन दोनों और ममी  के लिए।  फिर वो कालेज चली गई।  आज उसे बस स्टाप पर राजेश मिलने वाला था पर काफी के कारण वो लेट हो गई थी तो शायद वो इंतज़ार करके जा चुका था।

कालेज पहुँचकर उसने सब तरफ क्लास में नज़र दौड़ाई तो राजेश पिछली सीट पर बैठा हुआ उसी को गुस्से से देख रहा था।  अब लंच टाइम पर दोनों मिले तो खूब शिकवे गिले एक दूसरे ने किये।  राजेश से उसने माफ़ी माँगी तब उसका मूड थोड़ा ठीक हुआ।  पुरुष हमेशा से अपना रुतबा कायम करने के लिए जरा सी बात को भी तूल दे देता है।  खैर अब दोनों शाम को साथ थे।  दोनों ने बस से उतरने के बाद काफी शाप से काफ़ी पी और अगले दिन  कालेज की तरफ से उन लोगों को पिकनिक मनाने के लिए दो दिन के लिए आगरा लेकर जा रहे थे। पिंकी ने भी ममी से जाने की इजाज़त ले ली।  आगरा पहुँचने पर सब लोगों ने अपने दोस्तों के साथ घूमना शुरू कर दिया।  राजेश और पिंकी भी घूम रहे थे।  ताजमहल को देखकर पिंकी ने राजेश से बोला - शाहजहाँ ने अपनी बेगम के लिए कितना प्यारा ताजमहल बनवाया।  कितना प्यार था उन दोनों में काश ऐसा प्यार सभी को नसीब हो।  राजेश ने कहा - तुम क्यों निराश हो रही हो मैं भी तो तुमको बहुत चाहता हूँ लेकिन पता नहीं कल क्या होगा।  कालेज के बाद हमारा भविष्य क्या होगा।

अब आगरा से पिकनिक से लौटने के बाद उनका रिजल्ट भी आ गया।  दोनों ही अच्छी डिवीज़न लेकर पास हुए। अब दोनों ने एक ही ऑफिस में नौकरी के लिए अप्लाई किया तो नौकरी भी लग गई।  अच्छी खासी तीस हज़ार रूपये से नौकरी की शुरुआत  इतनी बुरी भी नहीं थी। उसके बाद छह महीने बाद चालीस हज़ार होने वाली थी। अब दोनों ने ख्याली पुलाव भी बनाने शुरू कर दिए।  दोनों ने शादी के सपने देखने शुरू कर दिए थे।  उनके मुहल्ले में भी दोनों के इश्क की चर्चा शुरू हो चुकी थी।  शरद ने एक दो बार पिंकी को बताया भी था कि थोड़ा ध्यान रखो लेकिन प्यार में यही काम मुश्किल है। अब पिंकी ने राजेश से भी कहा - अब हम दोनों ज्यादा नहीं मिला करेंगे वरना लोग बहुत बातें बनायेँगे।  अब एक दिन राजेश की ममी को दिल का दौरा पड़ा तो राजेश भागा पिंकी को बताने आया।  दोनों एम्बुलेंस से ममी को लेकर अस्पताल गए।  डाक्टर ने कहा इनको बिल्कुल आराम की जरूरत है।

  पिंकी राजेश से बोली मैं ऑफिस जाने से पहले सारा खाना बना दिया करुँगी और वापिस आकर भी बना दूँगी।   राजेश बोला - पिंकी सो नाईस ऑफ़ यू।  इसलिए ही तो मैं तुम्हें चाहता हूँ कि मेरे रिक्वेस्ट करने से पहले ही तुमने मेरी परेशानी समझ ली।  राजेश की ममी बोली -बेटा तू जल्दी से इसे दुल्हन बनाकर घर ले आ।  कम से कम मेरी यह इच्छा तो पूरी करदे।  पता नहीं मेरी जिंदगी की डोर कब तक है।  दूसरे दिन पिंकी की ममी राजेश के घर उसका हाल चाल पूछने गई तो राजेश की ममी ने भी उनसे कहा मुझे तो आपकी बेटी पसंद है। ,मुझे कोई दहेज वगैरह भी नहीं चाहिये अगर आपको हमारा बेटा राजेश पसंद हो तो रिश्ता पक्का कर लो।  पिंकी के पापा भी एक वर्ष पूर्व किसी दुर्घटना के शिकार हो गए थे।  अब पिंकी की ममी को भी क्या एतराज़ हो सकता था।  राजेश की ममी बोली आप तो ग्यारह रूपये और एक नारियल देकर रिश्ता पक्का कर लीजिये।  पंडित  जी से मुहूर्त निकलवा लेंगे फिर जल्दी ही शादी कर  देंगे। पिंकी की ममी ने राजेश से शरद को बुलाने के लिए कहा।  शरद आया तो उसकी ममी ने नारियल मंगवाया और शरद के हाथ से राजेश को दिया। इस तरह रिश्ता पक्का हो गया अब मोहल्ले वालों की भी जुबान पर ताला लग गया।  पंडित जी ने भी दो सप्ताह बाद का शादी का मुहूर्त निकाला। पिंकी की भाभी ने उसे शादी के लिए अपने हाथों से सजाया।  राजेश से जयमाला के बाद फेरे हुए फिर पिंकी की उसने मांग भरने की आखिरी रस्म अदा की।   अब पिंकी अपनी ममी भाभी से लिपट कर खूब रोई।  राजेश बोला -तुम्हारा पीहर दूर नहीं है जब चाहो आकर ममी जी और भाभी से मिल लेना।  अब डोली राजेश के घर आई दोनों ने प्यार के नग्में गुनगुनाए।
@मीना गुलियानी



न जाने कब

न जाने कब मेरी किस्मत बदल जाए
ग़मों की ये शाम भी खुशी में ढल जाए
बदले ये रुत और तू मुझको  मिल जाए
बदरिया झूमके मेरे आँगन बरस जाए
इस  तड़पते दिल की प्यास मिट जाए
@मीना गुलियानी 

रविवार, 7 जून 2020

एक प्यार का नगमा है

एक प्यार का नगमा है
इसे तुम भी गा  लो ना
वीणा के सुर साधो और
संग इसे  भी बजा लेना
तुम देखो कोई भी सुर
खो जाये न ये तो कहीं
मेरे पास ही बैठके तुम
होले से गुनगुना लेना
भर लो थोड़ा सा इसमें
तेरे प्रेम का भी अमृत
 होठों पे छलका देना
ये रस तुम बरसा देना
@मीना गुलियानी 

मैं बादल बन जाऊँ

दिल चाहता है मेरा
 मैं बादल बन जाऊँ
तेरे मन के आँगन में
खुशी के फूल खिलाऊँ
तेरे तृषित ह्रदय कमल
को प्रेम से मैं हर्षाऊँ 
तेरे तपते हुए मन को
 बरस शीतल कर जाऊँ
@मीना गुलियानी 

इंसान सोचता है

इंसान सोचता है जो वह कर रहा है वो सही है
किन्तु ऐसा सोचना गलत है यह ठीक नहीं है
ईश्वर सब जानता है वो सही मार्ग दिखाता है
परन्तु इंसान फिर भी समझना नहीं चाहता है
अपनी हठधर्मी ही हमेशा दिखलाता रहता है
जब वो दुःख को प्राप्त करता है पछताता है
@मीना गुलियानी 

अभी कल की बात थी

अभी कल की बात थी
हम दोनों साथ साथ थे
अचानक क्या हुआ कि
तुम हमसे रूठ ही गए
तबसे मैं दरवाजे पर ही
रोज़  प्रतीक्षा करती हूँ
सुनो ज्यादा न सताओ
जल्दी ही तुम आ जाओ
तुम बिन रहा नहीं जाता
दुःख मुझसे सहा नहीं जाता
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 6 जून 2020

इतना इतराओ मत

इतना इतराओ मत
न धन है तेरा न तन
सब मिट्टी में मिलना
कोई नहीं ठिकाना है
सब यहीं छोड़ जाना है
न यौवन ही चिरस्थाई
भुलावे में न आना है
ये सब मिट जाना है
@मीना गुलियानी 

सच पूछो तो

सच पूछो तो ये सब
 सपना सा लगता है
तू कोई मेरा अपना
जैसा  ही लगता है
जो कभी बिछड़ा था
किसी मेले में और अब
मिला जैसे चंदा चकोर
@मीना गुलियानी 

मेरा सपना अधूरा रह गया

मेरा सपना अधूरा रह गया
तुमने मिलने का वादा किया
ऐन वक्त पर तुमने धोखा दिया
मैंने हर पल विश्वास किया पर
तुमने हर बार विश्वासघात किया
मेरे दिल से तुमने हर बार खेला
मुझे निराशा में तड़पते छोड़ा
तुमने मुझे कहीं का न छोड़ा
मेरे मीठे सपनों को तुमने तोडा
क्यों झूठे ख्वाबों के महल बनाये
क्यों फिर मुझे दिया बिसराये
मुझे छोड़ किसी से प्रीत लगाई
बेवफा तू तो निकला हरजाई
फिर भी मैंने तुझे ही अपना माना
जान गई थी कि हो गया तू बेगाना
कभी भूल से फिर शायद लौट आओ
बालम मेरी प्रीत यूँ न ठुकराओ
प्रीत के वादों को तुम आन निभाओ
मेरे सारे सपनों को सच कर जाओ
@मीना गुलियानी 

सच्चा झूठा




सच्चा मित्र
हितैषी होता है
बात का सच्चा होता है

झूठा मित्र
वक्त पर धोखा देता है
मौकापरस्त होता है
@मीना गुलियानी 

हर घड़ी

हर घड़ी मुझे तेरा इंतज़ार रहता है
क्या तू मिलने को बेकरार रहता है
दिन रात नाम तेरा लेती हूँ फिर भी
इस कहाँ दिल पे इख़्तेयार रहता है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 5 जून 2020

पीछे वालों की भी सुध लो

पीछे वालों की भी सुध लो
सभी का ध्यान रखके चलो
कोई पीछे छूट नहीं जाये
अपने कदम मिलाके चलो
जो है सब मिल बाँटकर खाओ
कहीं कोई भूखा प्यासा न रहे
जितना है उसी में संतुष्ट रहो
घर में सबका ही पालन करो
याचक को भी भरसक दो
@मीना गुलियानी 

मिलना तो दूर

मिलना तो दूर हम तो तुझे
जी भर देखने को तरस गए
 नैना सावन भादो बरस गए
दिल मिलने को तरस गए
@मीना गुलियानी 

मोल - कहानी

आजकल दहेज प्रथा बहुत प्रचलन में है।  युवा पीढ़ी कुछ इसके विरोध में भी है।  परन्तु अधिकतर लोग अभी भी पुरानी नीति अपनाये हुए हैं।  खासतौर पर कुछ विशेष जातियों में यह प्रथा बहुत धड़ल्ले से लागू है।  बाकायदा नारी समाज तो पूरा इससे दब गया है।  कई घर तो इसके कारण तबाह हो चुके हैं।  कितनी शदियाँ दहेज न होने के कारण रुक जाती हैं।  दुल्हे वाले लोग बिना वधू के ही बिना डोली वधू पक्ष द्वारा मांग पूरी न कर पाने के कारण लौट जाते हैं।  ऐसी ही एक घटना  हमारे पड़ौस में भी घटित हुई।  राधा और किशन बचपन से ही एक दूसरे को चाहते थे।  दोनों परिवार वालों ने शादी के लिए हामी भर ली थी।  किन्तु  ऐन वक्त पर जब बारात आई तो दूल्हे के पिता की तरफ से दहेज की माँग उसी समय की गई शादी की बात तय होते समय कोई जिक्र तक न किया गया था।  अब अचानक इतने सारे पैसे या गाड़ी की व्यवस्था कैसे हो पाती।  वो तो शादी की अन्य व्यवस्था करने पर भी भारी खर्च के बोझ के नीचे दब गए थे।  उन्होंने तो अपनी पगड़ी भी दूल्हे के पिता के पाँव में रख दी पर उन पर कोई असर न हुआ। बरात बिना दुल्हन के लौट गई  सारा खर्च भी कर्ज लिया था।  अब क्या हो सकता था।   कन्या पक्ष वाले बहुत दुखी थे। 

अचानक ही एक सुंदर सा युवक उन्हीं बारातियों के साथ आया था जो सारा तमाशा देख रहा था उसने कन्या के पिता जी से कहा मेरी जाति अलग है।  वैसे मैं पढ़ा लिखा अच्छा कमा लेता हूँ।  दो लोगों का पेट आसानी से भर सकता हूँ।  मेरे परिवार में अब कोई नहीं है।  माता पिता तो बचपन में ही गुज़र गए थे।  आप अनुमति दें तो आपकी कन्या से मैं शादी करने को तैयार हूँ।   कन्या पक्ष राजी हो गया।  उसी मंडप में उन दोनों की शादी सम्पन्न हो गई।  इसी तरह आज की पीढ़ी को दहेज प्रथा का विरोध करते हुए आगे कदम उठाना होगा ताकि किसी कन्या पक्ष  को बदनामी न सहनी  पड़े। इसी तरह दहेज प्रथा को समाप्त किया जा सकता है। यहदूल्हा  मोल बिकने कोई वस्तु नहीं है जिसे खरीदा जा सके। 
@मीना गुलियानी 

मेरा एक काम कर दो

मेरा एक काम कर दो
ये दिल तुम्हारा अब
हमारे नाम ही कर दो
जिंदगी के हसीन पल
कुछ हमारे नाम करदो
@मीना गुलियानी 

नीली आँखे --कहानी

नीलू अभी अपने घर के बगीचे में टहल रही थी तभी प्रकाश आया।  कहने लगा आज तो तुम गज़ब ढा रही हो।  किसी के कत्ल की साजिश तो नहीं है।  नीलू शर्मा गई बोली तुम मेरा हमेशा मज़ाक उड़ाते रहते हो जाओ मैं तुमसे बात नहीं करती। प्रकाश ने कहा नीलू कसम से मैं सच ही कह रहा हूँ एक तो तुमने बालों को आज खोल रखा है और फिरोज़ी सूट पहना हुआ है जो तुम पर बहुत जँच रहा है।  खूबसूरत तो तुम हो ही नीली आँखें भी गज़ब ढा रही हैं।  अच्छा अब बताओ मैं तो आज फ्री हूँ क्या प्रोग्राम है तुम्हारा आज का।  नीलू और प्रकाश दोनों स्कूल के समय से ही बचपन के साथी थे।  अब दोनों नौकरी करते हैं किसी मल्टीनेशनल कम्पनी में। दोनों के परिवार वाले भी इनकी दोस्ती को पसंद करते थे क्योंकि ये लोग मर्यादा में रहकर चलते थे।   प्रकाश ने नीलू से पूछा यदि आज तुम्हें कोई जरूरी काम नहीं है तो फिल्म देखने चलते हैं।   बहुत पुराने समय की जुड़वाँ बहनों पर आधारित एक सुंदर फिल्म है साधना और सुनीलदत की उसको देखकर तुम्हें भी मज़ा आ जायेगा।  नीलू ने कहा चलो तो चलते हैं बस मैं ज़रा ममी जी को बोलकर आती हूँ।  नीलू फटाफट पैरों में स्लीपर पहनकर तैयार थी।  अब वो दोनों फिल्म देखने के लिए रवाना हो गए।

नीलू बहुत खुश थी क्योंकि उसे भी प्रकाश का साथ अच्छा लगता था।  प्रकाश ने नीलू का हाथ अपने हाथों में ले रखा था।  दोनों इण्टरवल के समय कॉफी पीने के  लिए बाहर आये और पॉप कॉर्न भी खरीदा जिसे हाल के अंदर ले आये।  अब दोनों  एक दूसरे को खिलाकर खुश हो रहे थे।  शाम को फिल्म देखकर वो अपने अपने घर चले गए।  सुबह ऑफिस जाने के लिए बस स्टाप पर खड़े हो गए।   बस आते ही दोनोँ पास पास बैठ गए।   अब इधर उधर की बातें होने लगी।  प्रकाश ने पूछा तुम्हारी ममी ने तुम्हारे लिए  लड़का खोजना शुरू किया या नहीं।  कहो तो मैं भी लाईन में लग जाऊँ। शायद कोई पसंद कर ले।   अब तो थोड़ा सा तुम भी कोई हिंट दे दो कि मेरे जैसा लड़का तुम्हें शादी के लिए प्रोपोज़ करे तो तुम्हें कोई एतराज़ तो नहीं होगा।  नीलू बोली -नहीं तुम तो मुझे पसंद हो पर ममी जी की पसंद पता नहीं क्या पता उन्होंने कोई मेरे लिए चुन रखा हो। 

तुम अपनी ममी को साथ लेकर कभी आकर घर पर मेरी ममी से बात करना तो वो चाहेंगे तो रिश्ता हो जाएगा। अब एक दिन छुट्टी थी शाम के समय प्रकाश अपनी ममी जी के साथ नीलू के घर मिलने आ गया।   बातों बातों में ही शादी की चर्चा होने लगी।  नीलू ने फटाफट पनीर के पकोड़े और चाय बना दी साथ में थोड़ा सा चिवड़ा भी तैयार कर  लिया।   रिश्ते के लिए तो दोनों परिवार रजामंद थे बस अब मुहूर्त की देरी थी जो पंडित जी से कहकर वो भी निकलवा लिया।  दोनों परिवार सादगी से शादी करना चाहते थे वैसे ही तय कर दी।  आज दोनों के फेरे हो रहे थे कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे के होने जा रहे थे।  प्रकाश ने नीलू की मांग भरी और शादी सम्पन्न हो गई। नीली आँखों वाली नीलू प्रकाश को इतनी भा गई कि वो उससे शादी की हठ कर  ही बैठा और उससे शादी कर ली।अब  वो उसे छेड़ने लगा ओ तेरी नीली नीली आँखों के दिल पे तीर चल गए।
@मीना गुलियानी









गुरुवार, 4 जून 2020

अपने ऐब भी देखो

हमेशा दूसरों के ऐबों को मत ढूँढो 
अपने ऐबों को भी कभी तो देखो 
खुद पर नज़र मारो तो दिखते हैं 
उनको देखके हम सुधर सकते हैं 
 इंसान दूसरों की कमी देखता है 
अपनी गलतियाँ नहीं देखता है 
@मीना गुलियानी 

रात मेरी जान

रात मेरी जान है तू 
कितनी हसीन है तू 
मुझे जरूरत है तेरी 
तू मुझे सपने दिखाए 
सपनों में पिया आए 
नींदों से वो जगाये 
मुझे बावरी बनाये 
पहले वो बहुत सताये 
फिर वो कितना हँसाए 
@मीना गुलियानी 

याद रखूँ भूल जाऊँ

याद रखूँ वफाओं को



भूल जाऊँ ज़फाओं को 

एक दरवाज़ा

एक दरवाज़ा मैंने हरीश के घर हमेशा बंद सा देखा था।  कितनी बार उसके घर मेरा जाना हुआ पर हमेशा ही चाय पीकर आ जाती थी।  दरवाजे के ऊपर एक झालरनुमा पर्दा टंगा रहता था।  बहुत ही खूबसूरत सा दिखता था। हमेशा ही उसके घर का वो दरवाज़ा मुझे आकर्षित करता था।  किसी से कुछ पूछने का साहस ही कभी नहीं हुआ। एक दिन कुछ अजीब सा एक वाक़या उनके घर हुआ।  एक काली बिल्ली जो दिखने में डरावनी सी लग रही थी एकदम से वो मेरे पास पड़े स्टूल पर आकर कूदी।   मैं तो एकदम घबरा ही गई थी। मेरे हाथ से चाय का प्याला लगभग टूटने ही वाला था।  किसी तरह बचा लिया था।

घर के बाकी लोगों ने भी इसका एहसास किया था पर वो लोग नज़र अंदाज़ कर गए।   मैंने हरीश से बात करी कि क्या था।   उसने कहा  ऐसा तो कुछ भी ख़ास नहीं मैं तुम्हेँ फुरसत में बताऊंगा।   एक दिन हरीश ने बताया कि उसकी एक छोटी बहिन थी जिसका किसी कार से दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।  उसका अच्छी तरह से दाह संस्कार नहीं हो पाया था।   उस दरवाजे के पीछे वाला कमरा उसकी बहिन  का था जो हमेशा बंद ही रहता था। कभी कभी उस कमरे में से उसके चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई देती थीं।

कई लोगों से उसके परिवार वालों ने पंडितों से पूजा हवन करवाए थे।   उनके अनुसार तो पूजा उसकी छोटी बहिन की आत्मा को अभी मुक्ति नहीं मिली थी।  उसके लिए ही वो लोग रोज़ कुछ अनुष्ठान करवाते रहते थे। मुझे तो यह सब देखकर बहुत अचम्भा भी हुआ कि इस ज़माने में भी लोग इतना अंध विश्वास करते हैं।  एक दिन फिर से वो काली बिल्ली मुझे दुबारा से उनके घर दिखी वो घूर रही थी।   कमरे की लाइट भी अपने आप जलने बुझने लगी उन्होंने उस रोज़ किसी तांत्रिक को बुलाया था।  उसने कुछ मंत्र पढ़कर उस बिल्ली के ऊपर कुछ दाने फेंके तो ऐसा लगा जैसे वो तड़पने लगी हो।  फिर गोल गोल चक्कर खाकर वहीं गिर पड़ी।   उस तांन्त्रिक ने बोला अब उसकी आत्मा आप लोगों को परेशान नहीं करेगी।   उसने फिर उस कमरे का दरवाज़ा भी खुलवाया। मंत्र पढ़कर कुछ दाने उस कमरे में भी बिखेर दिए।   अब लगा जैसे कुछ धुआँ सा गोल आकार में ऊपर उठकर खिड़की के रास्ते से घर के बाहर चला गया था।   उस तांत्रिक के अनुसार उसे मुक्ति मिल चुकी थी।

फिर वो दरवाज़ा अब बंद नहीं हुआ हमेशा खुला ही रहता था।  कभी वो काली बिल्ली भी नज़र नहीं आई। इसे देखकर मुझे भी लगा कि व्यक्ति की आत्मा का जब तक दाह संस्कार न हो तब तक उसे मुक्ति नहीं मिलती और उसकी आत्मा भटकती रहती है।   अब तो उस दिन के बाद से मेरा जब भी हरीश के घर आना जाना हुआ तो दरवाज़ा खुला रहने के कारण कोई डर नहीं लगा।  सब सामान्य लगने लगा था। 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 3 जून 2020

क्या हुआ अगर

क्या हुआ अगर प्यार में कुछ बोल दिया
मेरी बात का तुमने बुरा क्यों मान लिया
ऐसा भी क्या कसूर तेरा मैंने है कर दिया
आगे से ध्यान रखेंगे दिल दुःखा दिया
अच्छा छोड़ो झगड़ा माफ़ करो शुक्रिया
@मीना गुलियानी

ओ चित्रकार


चित्रकार
जरा नीचे आ
है खाली कैनवास
पुकारे तुझे मेरा मन
आ तू भर दे थोड़े से रंग
उठाले तूलिका भर मन में रंग
रंग दे मुझको पिया के रंग
सब भूल जाऊँ दुनिया
ये झूठे हैं जो रंग
कुछ न चाहूँ मैं
चाहूँ तुझको
ले चल
मुझे
@मीना गुलियानी

शाम होते ही

शाम होते ही तेरे आगमन से पुलकित होता मन
मन उपवन भी महक जाता पाकर तेरी सुगन्ध
हृदय पल्लव  खिल उठता पाके तेरे शुभ दर्शन
दिवा रात्रि करती रहती हूँ प्रियतम तेरा चिन्तन
प्रतीक्षा की घड़ी शाम होते खत्म होती है प्रीतम
विरह वेदना सब मिट जाती व्याकुल था जो मन
@मीना गुलियानी

साथ वही है जो

साथ वही है जो जीवन भर साथ निभाए
खुशियों से जीवन बगिया को महकाए
दुर्गम पथ पर भी तनिक न वो घबराये
हर पल शूल चुने राहों के फूल बिछाए
लेकर दुखों के बादल खुशियाँ बरसाए
 बहने न दे आँखों से आँसू हमें हँसाये
करे प्यार हमेशा तनिक भी न बिसराये
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 2 जून 2020

लक्ष्य मेरा


है
लक्ष्य मेरा
गगन को छूना
धरा से उठना और
सितारों से बातें करना
आसमां की बुलंदियों को छूना
अपने हक की खातिर दुश्मन से टकराना
हिम्मत के बल पर ऊँचाइयों को छूना
करना जां कुर्बां लक्ष्य के लिए
नाकामियों से भी लड़ना
विजयी पताका को
लेकर फहराना
न डरना
मरना
है 

एक पल में दूसरे पल में

एक पल में
जिंदगी गुज़रती आशियाँ बनाने में
दूसरे पल में
खुशियाँ खो जाती रूठों को मनाने में
@मीना गुलियानी

सागर के बीच में

 चलो आशियाना बनायें 
सागर के बीच में
लहरों के साथ
अठखेलियाँ करें
आओ झूमें नाचें गायें

गगन सितारों से भरे
धरा चूनर ओढ़े
दुल्हन सी सजे
चंदा की चाँदनी आये
हमको वो झूला भी झुलाये

रिमझिम बारिश की रात
तेरा और मेरा साथ
हाथों में हों हाथ
कभी छूटे न साथ
गीत मधुर मिलन के गायें

दूर बरगद का पेड़
नाचता जहाँ मोर
चंदा को देखे  चकोर
खुशियाँ चहुँ ओर
सागर के बीच में तराने गायें
@मीना गुलियानी 

दर्द की एक भाषा होती है

दर्द की एक भाषा होती है
सभी को समझ नहीं आती
आँखों से वो पढ़ी जाती है
सिर्फ एक एहसास होता है
जो दिल में छुपा रहता है
यह एक मूक भाषा होती है
दिलवाला इसे जान लेता है
वो इसे खूब पहचान लेता है
सीने से एक आह होती है
दर्द तो  बेजुबान होती है
 सिसकी भी साथ होती है
होठों पे शिकवा दिल में तो
बस इक फरियाद होती है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 1 जून 2020

गर्व किस बात का है

गर्व किस बात का है
ये तन भी मिट्टी का है
धन छोड़ यहीं जाना है
पल का न ठिकाना है
इक पल का न भरोसा है
ये दुनिया सिर्फ धोखा है
 उसका ही नाम सच्चा है
जप लो उसको मौका है
@मीना गुलियानी 

आँखों से ओझल रहता है

आँखों से ओझल रहता है
धड़कन में मेरी बसता है
मुँह से मगर चुपचाप है
दिल में मगर वो हँसता है
पलकों में समाया रहता है
ख्वाबों में वही तो रहता है
मेरे जीने की इक आस है 
मेरा जहाँ वहीं बसता है
@मीना गुलियानी 

इकरार बाकी रहा -कहानी

राधा और प्रीतम एक ही ऑफिस में काम करते थे।  दोनों ही साथ साथ आया जाया करते थे।  उनके बॉस का नाम अनिल था।   सारा स्टाफ अनिल  सर कहकर बात करता था।  राधा कनखियों से प्रीतम को देख लेती थी। प्रीतम भी मन ही मन उसको पसंद करता था पर दोनों के होठों तक आते आते बात रुक जाती थी।  सिर्फ एक लाईन ही तो बोलनी थी 'आई लव यू 'पर दोनों की जुबान लड़खड़ाने लगती थी।  राधा अपने लैपटॉप पर लैटर टाईप कर रही थी जो अनिल सर ने अभी डिक्टेट करा था।   प्रीतम ने चाय पीने का इशारा किया उसने सिर हिलाकर मना कर  दिया। राधा की नज़रों में काम का महत्व बातों से ज्यादा था।  अब लैटर खत्म हो गया तो वह पूछने लगी क्या बात है कोई काम वाम नहीं है जो सुबह से घूरे जा रहे हो।  प्रीतम बोला - आज तो तुम बला की खूबसूरत लग रही हो घर पर जाकर अपनी नज़र उतरवा लेना।  इसलिए ही तो मेरी नज़र तुम पर से हटी ही नहीं।  राधा ने कहा - ये ऑफिस है थोड़ा सीरियस रहना भी सीखो।  कभी अनिल सर ही तुमको डाँट लगा देंगे।

प्रीतम बोला - जो हुकुम मेरे आका। शाम को बस  स्टाप पर दोनों मिले तो प्रीतम ने कहा -तुम्हारे घर में कौन कौन है।  राधा ने कहा -क्यों पूछ रहे हो क्या इरादा है तुम्हारा।   हर किसी को हम घर का कोई भेद नहीं बताते। तुम कोई रिश्तेदार भी तो नहीं हो। प्रीतम ने कहा - दोस्त तो मानती हो या वो भी नहीं कल को आगे दोस्ती बढ़ भी तो सकती है हो सकता है वो रिश्तेदारी में बदल जाए।  राधा बोली ओह तो यह बात है।  जनाब कहाँ तक उड़ान भरने लगे। हालांकि दिल से राधा भी यही चाहती थी कि कैसे हमारा रिश्ता तय होगा।  लेकिन पहल कौन करे।  कोई  लड़की तो आगे बढ़के थोड़ी कह देगी आई लव यू। बस में दोनों को साथ में सीट मिल गई तो प्रीतम थोड़ा सट कर  बैठ गया।  राधा के दिल की धड़कन और साँसों की रफ्तार ऊपर नीचे होने लगी।  लेकिन इतने में ही उनका स्टाप आ गया।   आज भी बात मुँह तक आते आते रुक गई।  प्रीतम ने सोचा चलो कोई बात नहीं ये तो रोज की बात है।   आज नहीं तो कल कह दूँगा पर इस बार मैं बिल्कुल हिचकिचाऊंगा नहीं। 

सुबह राधा को देखकर प्रीतम ने कहा गुड़ मॉंर्निंग कल कैसा रहा।  प्रीतम बोला मैं तो रात भर तुम्हारे ही ख्यालों  में खोया रहा एक पल भी नींद नहीं आई।  राधा बोली - शाम को बात करेंगे अभी अनिल सर आने वाले हैं तुम अपनी सीट पर जाकर बैठ जाओ। प्रीतम जाकर बैठ गया और अपनी चाय का ऑर्डर दे दिया उसका सिर दर्द कर रहा था।   ऑफिस का अनमने ढंग से काम निपटाया और शाम का इंतज़ार करने लगा।  आज तो राधा भी उससे बात करना चाहती थी पर वो यही चाहती थी कि इकरार वो करे।   दोनों बस स्टाप पर आए और साथ साथ ही बैठ गए प्रीतम ने उसका हाथ धीरे से अपने हाथ में लेकर कहा -राधा आई लव यू।  राधा ने कहा मैं ऐसे कैसे कहदूँ शादी से पहले प्यार थोड़ा मुश्किल काम है।  इसमें घर वालों की रजामंदी होनी जरूरी है।   प्रीतम ने तो अपने प्यार का इज़हार कर दिया था लेकिन अब मामला घर वालों की रजामंदी पर अटक गया।   अब उसने राधा से कहा -आज तो बतादो तुम्हारे घर में कौन कौन हैं।

  आज राधा ने बताया  माँ पिताजी भाई और मैं बस हम चार ही प्राणी हैं। भाई कालेज जाता है।  माँ स्कूल में टीचर है और पिताजी सरकारी ऑफिस में क्लर्क हैं।  प्रीतम भी मध्यम आय वर्ग से संबंध रखता था.  अब उसे भी कोई अड़चन नहीं नज़र आ रही थी।  उसने राधा से कहा -हम लोग रविवार के दिन चाय पीने शाम को तुम्हारे घर आयेंगे।  अब रविवार भी आ गया और प्रीतम के घर के लोग भी आए थे।  उसने जल्दी से पनीर के पकौड़े चाय के साथ बना दिए। अब दोनों परिवारों की आपस में बातें होने लगी।  प्रीतम की ममी ने रिश्ता मांग लिया।  राधा की ममी से बोल दिया कि हम सिर्फ घर के ही लोग आयेंगे और सादगी से दुल्हन घर ले आयेंगे।  मुझे तो ये जोड़ी पसंद है।   आप लोग तो जल्दी से तैयारी कर लो तो मुहूर्त भी निकल जायेगा।  अब तो राधा के मन में भी हलचल मचने लगी।  वो धीरे धीरे मुस्कुराकर प्रीतम को देखने लगी। अब वो चले गए और अगले महीने शादी का मुहूर्त भी निकल गया।  आज वो शुभ दिन भी आ पहुँचा।   प्रीतम के घर से कुल 10 लोग ही दो कार से आये थे और सारी  रस्में हुईं।  जयमाला , फेरे ,कन्यादान और अब विदाई भी कार से हो गई।  अब प्रीतम के मन में वो राधा का जवाब सुनने की उत्सुकता थी सो प्रीतम ने पूछा राधा आज तो बता दो यह मौका भी है दस्तूर भी। तुम्हारे कहने के अनुसार मैंने अपना वचन भी निभाया है अभी  तुम्हारा इकरार बाकी है।  राधा ने कहा -प्रीतम आई लव यू टू।
@मीना गुलियानी 

विदा किया

विदा किया जा तुझे विदा किया
इस नफरत भरे जहाँ से
ग़मग़ीन आसमां से
बेवफा इस जहान से
फिर से आशा के सेतु बाँधो
जीवन यात्रा आरम्भ करो
जीवन नदिया की धारा है
जीवन के सपने और हकीकत
इस धारा में मिलने को आतुर हैं
जीवन और नदिया मुड़ते  हैं
जीवन को नया  आयाम देते हैं
अंत में नदिया अनंत
 सागर में लीन हो जाती है
@मीना गुलियानी