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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

बहकने लगी हैं

तेरे काजल की रेखा चमकने लगी है
बादल से बिजुरिया दमकने लगी है

तेरे होंठ कहते हैं गुज़री कहानी
अलसाई शाम महकने लगी है

पत्ता पत्ता बूटा बूटा सुनाएगा दास्तां
शबनम मोती बनके दमकने लगी है

क्या पता लौटना फिर न हो दुबारा
उमंगें सावन में बहकने लगी हैं
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

जा चला जा उसके पीछे

ओ  चंदा तू समझ ले मत झाँक तू इधर रे
जब आएँ मोरे सैंया तभी आना तू नज़र रे

बदरी में जाके छुप जा कहीं पर्वतों के पीछे
काहे छुपके मुझे देखे तू नज़र झुकाके नीचे

ये नज़ारे प्यारे प्यारे किस काम के हैं सारे
जब  संग पिया नहीं हो बेकार सब इशारे

चुपके से आके पीछे क्यों जिया को मोरे खींचे
तुझे चाँदनी पुकारे जा चला जा उसके पीछे
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 28 नवंबर 2018

ग़म हम भूल जाएँ

चलो फिर से बचपन को लौटा लाएँ
अपनी हथेली में किरणों को समेटें
फूलों पे बैठी तितली को पकड़ें
ताज़ी हवा में चलो घूम आएँ
नन्ही नन्हीं कोंपलों को छुएँ
कोई गीत मस्ती में गुनगुनाएँ
 मुँह में हवा भरके गुब्बारे फुलाएँ
नर्म नर्म घास पर पैदल चलें हम
थोड़ी बहुत सेहत हम भी बनाएँ
बच्चों के साथ मस्ती करें हम
उनके ही जैसे बच्चे बन जाएँ
कभी रूठें पल में कभी मान जाएँ
खेलें कभी हँसें और खिलखिलाएँ
आसमाँ के तारे अँगुली पे गिनें
कभी सारी गिनती ही भूल जाएँ
कागज़ की इक नाव बनाकर
थोड़े से पानी में हम उसे तैरायें
बच्चों की किलकारी में खुश होकर
सारे जहाँ के ग़म हम भूल जाएँ
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 27 नवंबर 2018

तेरी याद आ रही है

न जाओ  ऐसे रूठकर मुझसे ओ हमसफ़र
देखो ज़रा पलटकर तेरी याद आ रही है

न जाने किस कसूर पे तुमने मुझे सज़ा दी
कभी न बताया मिलके किसलिए जफ़ा की
कभी शिकवा  न किया है हर ग़म को सहा है
न जाने फिर क्यों दिल पे चोट दी जा रही है

हँसता हुआ था जो गुलशन तुमको पुकारता है
उजड़ा हुआ ये बागबां अब तुमको निहारता है
मुझको दिलासा दे दो थोड़ा सा ही मुस्कुरा दो
आ जाओ फिर पलटकर तेरी याद आ रही है
@मीना गुलियानी

सोमवार, 26 नवंबर 2018

अगाध की ओर

विधाता ने रचा
उसे प्रेम से
कल्पना से
कामना से
फ़ुरसत में
वह  मुझमें  है
उसकी हँसी
कुसुमित होती है
पलाश में
अमलतास में
हेमंत में
वसन्त में
बढ़ती जाती है
अगाध की ओर
@मीना गुलियानी 

रविवार, 25 नवंबर 2018

हाय रे हालात

उन्मुक्तता का छलावा
व्यर्थ का दिखावा
बातों में रुझान
आँखों में तूफ़ान
दिल है पशेमान
बोझिल हैं सांसें
रूकने को सांसें
दर्द की दास्तां
डूबती है जां
स्याह है रात
कैसे हैं जज़्बात
हाय रे हालात
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 24 नवंबर 2018

तुम्हारे आने से

सुरमई शाम हुई है तुम्हारे आने से
फ़िज़ा ने रंग बदला तुम्हारे आने से

काली घटाएँ जो छाई थीं चेहरे पे
 वो सब छंट गईं तुम्हारे आने से

सुकून छीन लिया था तेरी जुदाई ने
मिला है दिल को सुकूँ तुम्हारे आने से

कसक उठती थी जब धड़कता था दिल
मिली दिल को तसल्ली तुम्हारे आने से
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

फिर से तड़पा जाता है

न मालूम कितने लम्बे
होते हैं ये जुदाई के पल
दिल कहता है तू सम्भल
लेकिन ये पागल मन है
जो फिर भी जाता मचल
हर पल फिर से दिल में
होने लगती है हलचल
ये सुनकर कि तुम आओगे
दिल को कुछ करार आता है
लेकिन ये लम्बा इंतज़ार
फिर से तड़पा जाता है
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 22 नवंबर 2018

मैं मिटाना चाहता हूँ

मेरा कोई नहीं है तेरे सिवा
सुनले पुकार मत देर लगा
तुम सुनके सदा मेरी आ जाओ
आ जाओ   आ जाओ  आ जाओ

गुलशन के सारे फूल भी तेरा नाम ले रहे हैं
हवा के मस्त झोंके भी जुल्फों को छू रहे हैं
रेशम से भी मुलायम तेरा हाथ छू रहे हैं

मिल जाएँ सारी खुशियाँ मिले साथ जो तुम्हारा
तेरे सिवा न इक पल मुझे जीना भी गवारा
तू ही है मेरा साहिल तू ही मेरा किनारा

तेरे दिल में इक जहाँ मैं बनाना चाहता हूँ
तुझे आज तो अपना मैं बनानां चाहता हूँ
तेरे ग़म को हमेशा मैं मिटाना चाहता हूँ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 21 नवंबर 2018

प्रेम का बन्धन

कैसा है ये प्रेम का बन्धन
जिसमे बंध गया आज मेरा मन
जो पहले मुक्त गगन में
पंछी बन विचरता फिरता था
अब एक पिंजरे में कैद हो गया
लेकिन ये कैद भी न मालूम
क्यों सुखद महसूस होती है
पंछी को पिंजरे से मोह हो गया
कितना विरोधाभास है
किन्तु ये सच है क्योंकि
जिस मंजिल की उसे तलाश थी
वो मिल गई है
और अपने पाँव में खुद
उसने जंजीरें बांध ली हैं
@मीना गुलियानी


मंगलवार, 20 नवंबर 2018

खुद के सताये बैठे हैं

तू आये न आये तेरी ख़ुशी
हम आस लगाए बैठे हैं

कभी परवाह नहीं की दुनिया की
हर हाल में हम तो खुश ही रहे
जैसा तुमने चाहा था हमसे
हम वैसे ही बनकर के रहे
अब और भला क्या मर्जी तेरी
हम खुद को लुटाये बैठे हैं

दिल हमने फना किया तुझ पर
दुनिया से न पूछा था हमने
दुनिया ने सितम लाखों ही किए
अफ़सोस मगर न किया हमने
पर तुम हमको इल्ज़ाम न दो
हम खुद के सताये बैठे हैं
@मीना गुलियानी


जब सारा जग सोता है

कभी इस दिल ने पुकारा जो तुम्हें
पलटकर इक बार तो लौट आना
ये माना कि मुश्किल तो बहुत है
पर आसां नहीं दिल को समझाना
 ख्वाहिशें इंसान को ज़िंदा रखती हैं
 आसां होता है ऐसे हाल में मर जाना
दिल धड़कता हे जब किसी के सीने में
रहता है उसका ऐतबार जिंदा दिल में
करता है पल पल किसी का इन्तज़ार
रहता है  सदा उसके लिए वो बेकरार
देता खुद दलीलें दिल को समझाता है
दिल है कमबख़्त कब समझ पाता है
हर आहट पे उसके आने का गुमा होता है
जागता रहता है जब सारा जग सोता है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 18 नवंबर 2018

पाया उसका साथ

जिंदगी भर के लिए माँगा मैंने तेरा ही साथ
अब चाहे जान चली जाए न छूटेगा ये हाथ

उसने जब आँखों ही आँखों में इज़हार किया
दिल मेरा डूब गया इतना मुझे प्यार किया
गम न याद आये ऐसी थी वो हालात की रात

सुर्ख आँचल था वो उसका जो लहराता गया
मेरे जिस्म और रूह को भी महकाता गया
शोख नज़रों से थी बिजली गिराने की रात

नरम नाज़ुक वो फूलों की तरह कोमल वो हाथ
पंखुड़ी जैसे कंपकंपाते से धड़कते दिल का साथ
डूबते राही को मंजिल मिली पाया उसका साथ
@मीना गुलियानी


शनिवार, 17 नवंबर 2018

तुमको बताने आ गया

इस भरी दुनिया से खाली आ गया
आ गया दर पे सवाली आ गया

क्या पता था फूल में भी ख़ार है
ख़ुदपरस्ती का यहाँ बाज़ार है
प्यार में व्यापार धोखा खा गया

ज़र ज़मी जोरू जवानी का खुमार
बेख़बर था आपसे परवरदिगार
क्या करूँ इज़हार मैं शर्मा गया

जानकर अनजान मैं बनता रहा
छोड़कर नेकी बदी करता रहा
होश में आया तो मैं घबरा गया

जो भी चाहो दो सज़ा गुनहगार हूँ
है हकीकत इसलिए लाचार हूँ
हाले दिल तुमको बताने आ गया
@मीना गुलियानी 

बाग़ सारा मिल गया

मेरी उम्मीद से बढ़के था करम तेरा हुआ
तलब बूँद की थी और दरिया मिल गया

जब रहमत तेरी मिली मौज कश्ती बन गई
डूबने वाले को तिनके का सहारा मिल गया

झड़ गए वो सूखे पत्ते पेड़ सब्ज़ बन गया
जितना उसका लुटा उससे ज्यादा मिल गया

अब बाकी कहने को बचा क्या चैन मिल गया
फूल हाथ आया समझो बाग़ सारा मिल गया
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 15 नवंबर 2018

इक हसीन ज़हमत है

होश में तुम बातें मत किया करो
होश की बात करना तो वहशत है

सब यहाँ रोज़ मर मरके जीते हैं
फिर भी और जीने की हसरत है

सर पर सभी बोझ उठाके चलते  हैं
यह जिंदगी भी इक  हसीन ज़हमत है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 14 नवंबर 2018

गूँज उठेगा संसार

जीवन की वीणा बाजे ना
पड़ गए झूठे तार

बिगड़े ठाठ से काम बने क्या
मेघ बजे न मल्हार

पंचम छेड़ो मद्धम बाजे
खरज बने गन्धार

इन तारों तरबों को फेंको
उत्तम तार से नया  होए सिंगार

इसमें जो सुर अब बोलेंगे तो
गूँज उठेगा संसार
@मीना गुलियानी


सोमवार, 12 नवंबर 2018

समझ लो उसे जीना आ गया

प्यार में जिसे जलना आ गया
समझ लो उसे जीना आ गया

उल्फत की यही रीत है यारो
कोई न किसी का मीत है यारो
प्रेम में ज़हर जिसे पीना आ गया
समझ लो उसे जीना आ गया

कब सुनते हैं इश्क में जलने वाले
कब सुनते दिल के नाले दुनिया वाले
काँटों से गुज़रके जिसे जीना आ गया
समझ लो उसे जीना आ गया

इश्क  में करते खुद को फ़ना दिल वाले
ये दिल वाले भी होते हैं कुछ मतवाले
 जिगर का लहू जिसे पीना आ गया
समझ लो उसे जीना आ गया
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

मुझे ढूँढ ही लेगा

मेरा दिल आज कहीं पर खो गया है
देखना तुम्हारे आस पास तो नहीं
मिल जाए तो मुझे संदेशा दे देना
हवा के झोंके आके मुझे बता देंगे
पवन की सुरभि भी मुझे बता देगी
नभ के तारे भी उसे ढूँढ़ ही लेंगे
जुगनु अपनी चमक से राह बतायेंगे
सुबह की ओस की बूँदें उसे नहला देंगी
गुलशन के फूल पत्ते उसे सजा देंगे
तुम तनिक भी उसकी चिंता न करना
वो खुद भी अपना आशियाना जानता है
कहीं न कहीं से वो मुझे ढूँढ ही लेगा
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

इस दाव में तेरी जीत नहीं

भक्ति की यह तो रीत नहीं
मन और कहीं तन और कहीं

मोहमाया ने पर्दा डाला
लहराती आँखों में माया
तू हाथ में माला ले बैठा
मन में भगवान की प्रीत नहीं

मनवा विषयों में झूम रहा
मनवा पापों में घूम रहा
मन को तू कैसे समझाए
इस दाव में तेरी जीत नहीं
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 5 नवंबर 2018

न जाने तुम कब आओगे

सहर अब शाम बन चुकी
न जाने तुम कब आओगे
फ़िज़ा भी रंग बदल चुकी
न जाने तुम कब आओगे

सितारे न जाने कहाँ खो गए
नज़ारे सब खामोश क्यों हो गए
हवा भी अब तो बदल चुकी
न जाने तुम कब आओगे

शमा हर महफ़िल में जल गई
ये रंगत पल भर में बदल गई
धुएँ में शब ये ढल चुकी
न जाने तुम कब आओगे
@मीना गुलियानी 

रविवार, 4 नवंबर 2018

कैसे विजय को पाना

कठिन हैं राहें और रास्ता अनजाना
ऐ मुसाफिर तू कदम धीरे से बढ़ाना

रखना हमेशा हौंसला तू लांघ लेगा पर्वत
ऊँची चोटी देखके बिल्कुल नहीं घबराना

हर राह आसान हो जाती है चाहे हो मुश्किल
कर विश्वास तू खुद पे नहीं पड़ेगा पछताना

हर फैंसले से पहले बाज़ू भी आज़मा लेना
ऐसा न हो राह में दुश्मन बने ये ज़माना

सह सह के मुश्किलों को संवरेगी तेरी जिंदगी
लेकिन तू हर कदम को  हँसके आगे बढ़ाना

हों नेक जिनके इरादे वो फिर क्यों घबरायें
हर मुश्किल से सीखें कैसे विजय को पाना
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 3 नवंबर 2018

मेरे जख्मों पे तुम मरहम

ज़माना दिए जा रहा ग़म पे ग़म
संभालो ऐ माँ न निकल जाए दम

सताया गया हूँ मैं संसार से
उठा लो मुझे ज़रा प्यार से
बड़ा होगा मुझपे तुम्हारा करम

मेरी नाव है डूबती जा रही
किनारा कहीं भी नहीं पा रही
खत्म होने को है मेरा ये जन्म

मुसीबत में हूँ माँ मैं लाचार हूँ
तुम्हारी दया का तलबगार हूँ
उठाले मुझे गोद में कम से कम

मेरा दिल मैया आज घायल हुआ
नहीं रास आई कोई भी दवा
लगाओ मेरे जख्मों पे तुम मरहम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

अब तो दर्श दिखा जा रे

सांझ भई घर आजा रे पिया सांझ भई घर आजा रे
तुम्हरे दर्श को तरसे नैना अब तो दर्श दिखा जा रे

तुम बिन कल नहीं पावत मोरा जियरा
तड़पत निशदिन समझत नहीं जियरा
अब तो इसे समझा जा रे

कैसे भेजूँ तुमको मैं पाती
आँसू कारण लिख न पाती
दिल को धीर बँधा जा रे

जल्दी से आओ प्रीतम प्यारे
नैनो  के दीपक बाट निहारे
अब तो दर्श दिखा जा रे
@मीना गुलियानी 

पहिया चलता रहता है

 जिंदगी दो पल की है
उसे हँसकर जीना सीखो
वक्त के साथ चलना सीखो
वो खुद ही बदल जाएगा
यूँ घुट घुट कर मत जियो
खुली हवा में हँसकर जियो
जो बातें तेरे बस में नहीं
उनको ईश्वर पर छोड़ दो
वो ही सब उलझनें मिटायेगा
ख़ुशी और ग़म दो पहलू हैं
इनका समन्वय होना जरूरी है
दोनों साथ साथ नहीं आते
सुख है तो दुःख भी होगा
वक्त पल पल बदलता है
इसका पहिया चलता रहता है
@मीना गुलियानी