इस भरी दुनिया से खाली आ गया
आ गया दर पे सवाली आ गया
क्या पता था फूल में भी ख़ार है
ख़ुदपरस्ती का यहाँ बाज़ार है
प्यार में व्यापार धोखा खा गया
ज़र ज़मी जोरू जवानी का खुमार
बेख़बर था आपसे परवरदिगार
क्या करूँ इज़हार मैं शर्मा गया
जानकर अनजान मैं बनता रहा
छोड़कर नेकी बदी करता रहा
होश में आया तो मैं घबरा गया
जो भी चाहो दो सज़ा गुनहगार हूँ
है हकीकत इसलिए लाचार हूँ
हाले दिल तुमको बताने आ गया
@मीना गुलियानी
आ गया दर पे सवाली आ गया
क्या पता था फूल में भी ख़ार है
ख़ुदपरस्ती का यहाँ बाज़ार है
प्यार में व्यापार धोखा खा गया
ज़र ज़मी जोरू जवानी का खुमार
बेख़बर था आपसे परवरदिगार
क्या करूँ इज़हार मैं शर्मा गया
जानकर अनजान मैं बनता रहा
छोड़कर नेकी बदी करता रहा
होश में आया तो मैं घबरा गया
जो भी चाहो दो सज़ा गुनहगार हूँ
है हकीकत इसलिए लाचार हूँ
हाले दिल तुमको बताने आ गया
@मीना गुलियानी
बहुत खूबसूरती से अर्ज किया आपने ,
जवाब देंहटाएंअब गाफिल न रह ऐ दिल ।
खूब सूरत रचना
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