जिंदगी भर के लिए माँगा मैंने तेरा ही साथ
अब चाहे जान चली जाए न छूटेगा ये हाथ
उसने जब आँखों ही आँखों में इज़हार किया
दिल मेरा डूब गया इतना मुझे प्यार किया
गम न याद आये ऐसी थी वो हालात की रात
सुर्ख आँचल था वो उसका जो लहराता गया
मेरे जिस्म और रूह को भी महकाता गया
शोख नज़रों से थी बिजली गिराने की रात
नरम नाज़ुक वो फूलों की तरह कोमल वो हाथ
पंखुड़ी जैसे कंपकंपाते से धड़कते दिल का साथ
डूबते राही को मंजिल मिली पाया उसका साथ
@मीना गुलियानी
अब चाहे जान चली जाए न छूटेगा ये हाथ
उसने जब आँखों ही आँखों में इज़हार किया
दिल मेरा डूब गया इतना मुझे प्यार किया
गम न याद आये ऐसी थी वो हालात की रात
सुर्ख आँचल था वो उसका जो लहराता गया
मेरे जिस्म और रूह को भी महकाता गया
शोख नज़रों से थी बिजली गिराने की रात
नरम नाज़ुक वो फूलों की तरह कोमल वो हाथ
पंखुड़ी जैसे कंपकंपाते से धड़कते दिल का साथ
डूबते राही को मंजिल मिली पाया उसका साथ
@मीना गुलियानी
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