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बुधवार, 22 मई 2019

चौपाई


रिमझिम  के गीत सावन गाए      -      16   मात्राएँ

गाए  भीगी भीगी  रात में             -       16   मात्राएँ

होंठों पे बात दिल की आए            -        16   मात्राएँ

आए भीगी भीगी रात में               -        16   मात्राएँ

@मीना गुलियानी 

सब बिखरा होता

सारा दोष हमारा ही था
न तुम्हें दिल में बसाया होता
न ही पलकों में छिपाया होता
न ख़्वाबों में ही बुलाया होता
न सपनों का महल बनाया होता
न काँच सा वो सब बिखरा होता
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 21 मई 2019

चौपाई

सुन जननि सोइ सुत बड़ भागी  -   16   मात्राएँ
जो पितु मातु वचन अनुरागी     -    16   मात्राएँ
तनय मातु पितु तोषनहारा        -   16   मात्राएँ
दुर्लभ जननि सकल संसारा       -    16   मात्राएँ
@मीना गुलियानी




आगे कदम बढ़ाना

जीवन है सुख दुःख का खेला
तू है इस मेले में अकेला
धूप छाया जीवन का गहना
गुणीजनों का है ये कहना
पर तू इससे मत घबराना
राही तू आगे कदम बढ़ाना
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 20 मई 2019

सदा ही खुश रहती मुझसे

फिर आई पूनम की रात
लेके सितारों की बारात
हमें तुम्हारा मिला है साथ
पिया न छोड़ना मेरा हाथ
रात है ये इक बनी पहेली
मेरी पर वो पक्की सहेली
झूठ नहीं कहती वो मुझसे
सदा ही खुश रहती मुझसे
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 14 मई 2019

छेड़ जाती है अब भी

मिट्टी के घर याद आते हैं 
प्यार हमेशा बरसता जहाँ था
खुशियों भरा सारा आलम जवां था
ग़म का जहाँ न नामोंनिशां था
नफरत की कभी न थी दीवारें
हर तरफ प्रेम ही पसरा वहाँ था
मिट्टी की सौंधी खुशबु आती है अब भी
दिल के मेरे तार छेड़ जाती है अब भी
@मीना गुलियानी 

मेरी क्या हस्ती है

दिल हर पल तुझे ही याद करता है
हर पल तेरा शुक्रिया अदा करता है

तुझसे ही सब कुछ पाया है मैंने
क्या मेरी औकात कहाँ पहुँचाया तूने

मेरे दिल के तार तेरा ही नाम गाते हैं
पाया तुझसे सब कुछ भूल न पाते हैं

तेरी रहमतों से रोटी आँखें हँसती हैं
कैसे बिसरा दूँ तुम्हें मेरी क्या हस्ती है
@मीना गुलियानी 

जन्म मिले न बारम्बार

आया है होली का त्यौहार
रंगों की लेके आया फुहार

मैंने अपना हे तुमको बनाया
रंगो अपने रंग में छूटे अहंकार

जो सुख दुःख में सम रहता
उसके ही मन में आए बहार

जब ये चित्त शान्त हो जाए
मनवा तब भूले सब संसार

आओ मिलकर सब रंग लगायें
मानुष जन्म मिले न बारम्बार
@मीना गुलियानी 

विकट हालत तुम बिन

कटता ही नहीं इक पल भी तुम बिन
काटूँ मैं कैसे ये ज़िन्दगी तुम बिन

तुमको भी अचानक यूँ ही जाना था
सोचा न तुमने कैसे जियेंगे तुम बिन

न तन्हा छोड़ा होता न नाता तोड़ा होता
 थामते हाथ मेरा तो कट जाते पल छिन

बहुत दुर्गम है पथ बिछे हैं हर तरफ़ काँटे
बचाऊँ कैसे दामन विकट हालत तुम बिन
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 7 मई 2019

मुझे हैरान करती हैं

जीवन की यह दौड़धूप परेशान करती है
कभी कभी तो यह बहुत हैरान करती है

थक जाता हूँ मैं दस कदम भी चलके
सफ़ऱ में तन्हाई भी परेशान करती है

साथी हो कोई तो मुश्किल आसां हो जाए
तमाम उलझने दिल को पशेमान करती हैं

कभी तो ऐसा हो कट जाए सुकूँ से रहगुज़र
ये स्याह बयाबान राहें मुझे हैरान करती हैं
@मीना गुलियानी 

झुकाने और कहाँ जाते

न मिलते तुम तो दिल को बहलाने कहाँ जाते
ये दुनिया सारी मतलब की बतलाने कहाँ जाते

तुम्हीं अपने हो जिसने मेरा दर्द तो समझा
कटा कैसे सफर तन्हा मेरे ग़म को समझा
नहीं तो तेरी महफ़िल में ये दीवाने कहाँ जाते

जहाँ को मार दी ठोकर तभी तुमको है पाया
तुम्हीं को मानते अपना तू ही मेरा हमसाया
तेरी ही जुस्तजू दिल को समझाने कहाँ जाते

तेरी उल्फत में दर दर ख़ाक छानी थी  हमने
तुझे पाकर जहाँ की सारी दौलत लूट ली हमने
ये दिल मेरा है सज़दे में झुकाने और कहाँ जाते
@मीना गुलियानी