यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 14 मई 2019

जन्म मिले न बारम्बार

आया है होली का त्यौहार
रंगों की लेके आया फुहार

मैंने अपना हे तुमको बनाया
रंगो अपने रंग में छूटे अहंकार

जो सुख दुःख में सम रहता
उसके ही मन में आए बहार

जब ये चित्त शान्त हो जाए
मनवा तब भूले सब संसार

आओ मिलकर सब रंग लगायें
मानुष जन्म मिले न बारम्बार
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें