कटता ही नहीं इक पल भी तुम बिन
काटूँ मैं कैसे ये ज़िन्दगी तुम बिन
तुमको भी अचानक यूँ ही जाना था
सोचा न तुमने कैसे जियेंगे तुम बिन
न तन्हा छोड़ा होता न नाता तोड़ा होता
थामते हाथ मेरा तो कट जाते पल छिन
बहुत दुर्गम है पथ बिछे हैं हर तरफ़ काँटे
बचाऊँ कैसे दामन विकट हालत तुम बिन
@मीना गुलियानी
काटूँ मैं कैसे ये ज़िन्दगी तुम बिन
तुमको भी अचानक यूँ ही जाना था
सोचा न तुमने कैसे जियेंगे तुम बिन
न तन्हा छोड़ा होता न नाता तोड़ा होता
थामते हाथ मेरा तो कट जाते पल छिन
बहुत दुर्गम है पथ बिछे हैं हर तरफ़ काँटे
बचाऊँ कैसे दामन विकट हालत तुम बिन
@मीना गुलियानी
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