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मंगलवार, 14 मई 2019

छेड़ जाती है अब भी

मिट्टी के घर याद आते हैं 
प्यार हमेशा बरसता जहाँ था
खुशियों भरा सारा आलम जवां था
ग़म का जहाँ न नामोंनिशां था
नफरत की कभी न थी दीवारें
हर तरफ प्रेम ही पसरा वहाँ था
मिट्टी की सौंधी खुशबु आती है अब भी
दिल के मेरे तार छेड़ जाती है अब भी
@मीना गुलियानी 

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