जीवन की वीणा बाजे ना
पड़ गए झूठे तार
बिगड़े ठाठ से काम बने क्या
मेघ बजे न मल्हार
पंचम छेड़ो मद्धम बाजे
खरज बने गन्धार
इन तारों तरबों को फेंको
उत्तम तार से नया होए सिंगार
इसमें जो सुर अब बोलेंगे तो
गूँज उठेगा संसार
@मीना गुलियानी
पड़ गए झूठे तार
बिगड़े ठाठ से काम बने क्या
मेघ बजे न मल्हार
पंचम छेड़ो मद्धम बाजे
खरज बने गन्धार
इन तारों तरबों को फेंको
उत्तम तार से नया होए सिंगार
इसमें जो सुर अब बोलेंगे तो
गूँज उठेगा संसार
@मीना गुलियानी
बहुत खूब सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ... अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंThanks Ritu ji and atoot badhan ji for ur comments
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