यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 25 नवंबर 2018

हाय रे हालात

उन्मुक्तता का छलावा
व्यर्थ का दिखावा
बातों में रुझान
आँखों में तूफ़ान
दिल है पशेमान
बोझिल हैं सांसें
रूकने को सांसें
दर्द की दास्तां
डूबती है जां
स्याह है रात
कैसे हैं जज़्बात
हाय रे हालात
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें