न मालूम कितने लम्बे
होते हैं ये जुदाई के पल
दिल कहता है तू सम्भल
लेकिन ये पागल मन है
जो फिर भी जाता मचल
हर पल फिर से दिल में
होने लगती है हलचल
ये सुनकर कि तुम आओगे
दिल को कुछ करार आता है
लेकिन ये लम्बा इंतज़ार
फिर से तड़पा जाता है
@मीना गुलियानी
होते हैं ये जुदाई के पल
दिल कहता है तू सम्भल
लेकिन ये पागल मन है
जो फिर भी जाता मचल
हर पल फिर से दिल में
होने लगती है हलचल
ये सुनकर कि तुम आओगे
दिल को कुछ करार आता है
लेकिन ये लम्बा इंतज़ार
फिर से तड़पा जाता है
@मीना गुलियानी
सही कहा मीना जी चाहे कितना संभालो
जवाब देंहटाएंपरंतु अपनों की जुदाई में तड़ प ही जाता है दिल
सुन्दर रचना सखी
जवाब देंहटाएंThanks Ritu Asooja ji and Anita Saini ji for ur beautiful comments
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