न जाओ ऐसे रूठकर मुझसे ओ हमसफ़र
देखो ज़रा पलटकर तेरी याद आ रही है
न जाने किस कसूर पे तुमने मुझे सज़ा दी
कभी न बताया मिलके किसलिए जफ़ा की
कभी शिकवा न किया है हर ग़म को सहा है
न जाने फिर क्यों दिल पे चोट दी जा रही है
हँसता हुआ था जो गुलशन तुमको पुकारता है
उजड़ा हुआ ये बागबां अब तुमको निहारता है
मुझको दिलासा दे दो थोड़ा सा ही मुस्कुरा दो
आ जाओ फिर पलटकर तेरी याद आ रही है
@मीना गुलियानी
देखो ज़रा पलटकर तेरी याद आ रही है
न जाने किस कसूर पे तुमने मुझे सज़ा दी
कभी न बताया मिलके किसलिए जफ़ा की
कभी शिकवा न किया है हर ग़म को सहा है
न जाने फिर क्यों दिल पे चोट दी जा रही है
हँसता हुआ था जो गुलशन तुमको पुकारता है
उजड़ा हुआ ये बागबां अब तुमको निहारता है
मुझको दिलासा दे दो थोड़ा सा ही मुस्कुरा दो
आ जाओ फिर पलटकर तेरी याद आ रही है
@मीना गुलियानी
सुन्दर रचना आदरणीया 👌
जवाब देंहटाएंThanks Anita Saini ji for ur comments
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