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मंगलवार, 23 जून 2020

नहीं तो

नहीं तो कहना है असम्भव कायर के लिए तो सम्भलना
सिर्फ पुरुषार्थी ही कर पाते  हैं हर परिस्थिति का सामना
जो कुछ भी दम्भ करते हैं वो तो निराश ही होते हैं लेकिन
जो भवण्डर आने पर भी पतवार से नाव खेते हैं वो ही
सागर के उस पार तक उतर पाते हैं मंजिल को पाते हैं
दम्भी लोग तो अपना सर धुनते हैं पछताते ही हैं
@मीना गुलियानी 

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