यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 8 जून 2020

प्यार का नगमा-- कहानी

शरद और सुधा का प्रेम विवाह हुआ था।  पिंकी उससे छोटी बहिन थी कभी कभी ननद भाभी की प्यार भरी नोंक झोंक हो ही जाया करती थी।  ममी ज्यादातर बहू का पक्ष लेती थी।  पिंकी कालेज की तैयारी कर रही थी इतने में ही शरद ने बोला -पिंकी पहले दो कप काफी बना दो , एक मेरे लिए और एक तुम्हारी भाभी के लिए। पिंकी बोली -भाभी से कह दिया होता मुझे कालेज जाने में भी देरी हो रही है।  शरद ने कहा -क्या बताऊँ अब उसके सिर में दर्द भी अभी होना था वरना वो बना देती। पिंकी बोली - ठीक है भाई ज्यादा सफाई देने की जरूरत नहीं है।  बना रही हूँ अभी लाती हूँ।  पिंकी ने तीन कप काफी बनाई उन दोनों और ममी  के लिए।  फिर वो कालेज चली गई।  आज उसे बस स्टाप पर राजेश मिलने वाला था पर काफी के कारण वो लेट हो गई थी तो शायद वो इंतज़ार करके जा चुका था।

कालेज पहुँचकर उसने सब तरफ क्लास में नज़र दौड़ाई तो राजेश पिछली सीट पर बैठा हुआ उसी को गुस्से से देख रहा था।  अब लंच टाइम पर दोनों मिले तो खूब शिकवे गिले एक दूसरे ने किये।  राजेश से उसने माफ़ी माँगी तब उसका मूड थोड़ा ठीक हुआ।  पुरुष हमेशा से अपना रुतबा कायम करने के लिए जरा सी बात को भी तूल दे देता है।  खैर अब दोनों शाम को साथ थे।  दोनों ने बस से उतरने के बाद काफी शाप से काफ़ी पी और अगले दिन  कालेज की तरफ से उन लोगों को पिकनिक मनाने के लिए दो दिन के लिए आगरा लेकर जा रहे थे। पिंकी ने भी ममी से जाने की इजाज़त ले ली।  आगरा पहुँचने पर सब लोगों ने अपने दोस्तों के साथ घूमना शुरू कर दिया।  राजेश और पिंकी भी घूम रहे थे।  ताजमहल को देखकर पिंकी ने राजेश से बोला - शाहजहाँ ने अपनी बेगम के लिए कितना प्यारा ताजमहल बनवाया।  कितना प्यार था उन दोनों में काश ऐसा प्यार सभी को नसीब हो।  राजेश ने कहा - तुम क्यों निराश हो रही हो मैं भी तो तुमको बहुत चाहता हूँ लेकिन पता नहीं कल क्या होगा।  कालेज के बाद हमारा भविष्य क्या होगा।

अब आगरा से पिकनिक से लौटने के बाद उनका रिजल्ट भी आ गया।  दोनों ही अच्छी डिवीज़न लेकर पास हुए। अब दोनों ने एक ही ऑफिस में नौकरी के लिए अप्लाई किया तो नौकरी भी लग गई।  अच्छी खासी तीस हज़ार रूपये से नौकरी की शुरुआत  इतनी बुरी भी नहीं थी। उसके बाद छह महीने बाद चालीस हज़ार होने वाली थी। अब दोनों ने ख्याली पुलाव भी बनाने शुरू कर दिए।  दोनों ने शादी के सपने देखने शुरू कर दिए थे।  उनके मुहल्ले में भी दोनों के इश्क की चर्चा शुरू हो चुकी थी।  शरद ने एक दो बार पिंकी को बताया भी था कि थोड़ा ध्यान रखो लेकिन प्यार में यही काम मुश्किल है। अब पिंकी ने राजेश से भी कहा - अब हम दोनों ज्यादा नहीं मिला करेंगे वरना लोग बहुत बातें बनायेँगे।  अब एक दिन राजेश की ममी को दिल का दौरा पड़ा तो राजेश भागा पिंकी को बताने आया।  दोनों एम्बुलेंस से ममी को लेकर अस्पताल गए।  डाक्टर ने कहा इनको बिल्कुल आराम की जरूरत है।

  पिंकी राजेश से बोली मैं ऑफिस जाने से पहले सारा खाना बना दिया करुँगी और वापिस आकर भी बना दूँगी।   राजेश बोला - पिंकी सो नाईस ऑफ़ यू।  इसलिए ही तो मैं तुम्हें चाहता हूँ कि मेरे रिक्वेस्ट करने से पहले ही तुमने मेरी परेशानी समझ ली।  राजेश की ममी बोली -बेटा तू जल्दी से इसे दुल्हन बनाकर घर ले आ।  कम से कम मेरी यह इच्छा तो पूरी करदे।  पता नहीं मेरी जिंदगी की डोर कब तक है।  दूसरे दिन पिंकी की ममी राजेश के घर उसका हाल चाल पूछने गई तो राजेश की ममी ने भी उनसे कहा मुझे तो आपकी बेटी पसंद है। ,मुझे कोई दहेज वगैरह भी नहीं चाहिये अगर आपको हमारा बेटा राजेश पसंद हो तो रिश्ता पक्का कर लो।  पिंकी के पापा भी एक वर्ष पूर्व किसी दुर्घटना के शिकार हो गए थे।  अब पिंकी की ममी को भी क्या एतराज़ हो सकता था।  राजेश की ममी बोली आप तो ग्यारह रूपये और एक नारियल देकर रिश्ता पक्का कर लीजिये।  पंडित  जी से मुहूर्त निकलवा लेंगे फिर जल्दी ही शादी कर  देंगे। पिंकी की ममी ने राजेश से शरद को बुलाने के लिए कहा।  शरद आया तो उसकी ममी ने नारियल मंगवाया और शरद के हाथ से राजेश को दिया। इस तरह रिश्ता पक्का हो गया अब मोहल्ले वालों की भी जुबान पर ताला लग गया।  पंडित जी ने भी दो सप्ताह बाद का शादी का मुहूर्त निकाला। पिंकी की भाभी ने उसे शादी के लिए अपने हाथों से सजाया।  राजेश से जयमाला के बाद फेरे हुए फिर पिंकी की उसने मांग भरने की आखिरी रस्म अदा की।   अब पिंकी अपनी ममी भाभी से लिपट कर खूब रोई।  राजेश बोला -तुम्हारा पीहर दूर नहीं है जब चाहो आकर ममी जी और भाभी से मिल लेना।  अब डोली राजेश के घर आई दोनों ने प्यार के नग्में गुनगुनाए।
@मीना गुलियानी



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें