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रविवार, 19 मार्च 2017

नश्तर दिल में उतर जाएगा

मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं अभी
मत कुरेदो उन्हें लहू निकल आएगा

दिल क्या उबर पायेगा गमों से कभी
आशियाँ उजड़ा क्या वो बस पायेगा

मैंने अक्सर तलाशा बीते लम्हों को
वैसा नक्श क्या फिर उभर पायेगा

भर गया दिल मेरा तेरी बेरुखी देखकर
याद करके नश्तर दिल में उतर जाएगा
@मीना गुलियानी 

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