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मंगलवार, 13 जून 2017

जीवन ज्योति जगाओ तुम

ये जीवन इक समरांगण है
 हार जीत होती है जीवन में

थक के बैठ न जाना तुम
आगे कदम बढ़ाना तुम

जीवन का आनन्द मिलेगा
जब उतरोगे रण में तुम

बहेगी फिर प्रेम की गंगा
जीवन को महकाओ तुम

बंजर धरती सोना उगले
ऐसी धरा बनाओ तुम

माथे से मेहनत का पसीना
आज अपने बहाओ तुम

छोडो नैराश्य मिटाओ वैमनस्य
जीवन ज्योति जगाओ तुम
@मीना गुलियानी 

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