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मंगलवार, 5 सितंबर 2017

उन्नत पथ पर ले जाए कौन

बढ़ती जा रही हैं विडंबनाएँ
उनसे हमें  उबारे अब कौन
किनसे हम उंम्मीद लगाएं
सपने हमारे सँवारे कौन

सारी संवेदनाएँ सूख चली हैं
हृदय की भावना सिमट चली है
दिग्भ्रमित पीढ़ी हो चली है
राह सही बतलाये अब कौन

टूटी हैं मर्यादा आंतक का उत्पात मचा
अंधविश्वास से हरसू कोहराम मचा
अजब के गोरखधंधों में इंसान फंसा
संकट गहराया इतना उबारे अब कौन

है भरोसा युवा पीढ़ी पर आगे वो ही आएँ
धरती की उर्वरता को वो ही लहलहाएं
उनकी ही कर्मठता से बढ़ेंगी संभावनाएं
देश को अब उन्नत पथ पर ले जाए कौन
@मीना गुलियानी

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