वक्त तू क्यों
रेत सा बनकर
,मेरे हाथों से
फिसला जाता है
क्यों रुकता नहीं
तू पल भर भी
कितना तड़पाता है
मेरे साथ चल
मत आगे निकल
न बन निष्ठुर
मत कर व्याकुल
दिल पस्त हुआ
तू मस्त हुआ
बढ़ती धड़कन
रूकती साँसे
कहती तुझसे
आ मिल मुझसे
@मीना गुलियानी
रेत सा बनकर
,मेरे हाथों से
फिसला जाता है
क्यों रुकता नहीं
तू पल भर भी
कितना तड़पाता है
मेरे साथ चल
मत आगे निकल
न बन निष्ठुर
मत कर व्याकुल
दिल पस्त हुआ
तू मस्त हुआ
बढ़ती धड़कन
रूकती साँसे
कहती तुझसे
आ मिल मुझसे
@मीना गुलियानी
वाह क्या बात है मीना जी।
जवाब देंहटाएंथाम कर खडा कर दूं ऐ वक्त तूझे
और मै गूजर ता रहूं दरमिया तूझ से।
shi baat-ashok
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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