यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 15 अप्रैल 2018

फिर कोई महत्व नहीं

संघर्ष भरा हो जब जीवन
 टूटा हुआ हो जिसका मन
उसके आगे सुख सागर का
रह जाता कोई महत्व नहीं

जब मन किसी का आहत हो
किसी के अप्रिय वचनों से
फिर बाद में बोले मृदु वचन
मन होगा कभी संतुष्ट नहीं

कहने को सभी अपने बनते
पर दुःख में साथ नहीं देते
फिर सुख में बने संबंधी जो
उस रिश्ते का औचित्य नहीं

जब फसलें सूखे जल के बिन
धरती की छाती भी फट जाए
फिर बरसे अंबर से पानी
उसका फिर कोई महत्व नहीं
@मीना गुलियानी

3 टिप्‍पणियां:

  1. 1true,but one who struggles in such times alone must have God on his side.

    2true,one should not leave his oblifaiory duty by the praise or denounce.Sh Krishna teaches in Gita.

    3all the relatives become your own,till one is useful to them.they donot help in the time of need.all who become your own are meaningless.
    all the good work should be done in time.if the work is not done in time,the dries up its essence.


    जवाब देंहटाएं