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शुक्रवार, 21 जून 2019

बढ़ी जा रही है

नदिया की कल कल ध्वनि आ रही है
एक मधुर संगीत की लय भा रही है
बहते झरने धरा से कुछ कह रहे हैं
चंद्रकिरणें पत्तों से छनकर आ रही है

बादल भी उमड़ घुमड़कर छाने लगे हैं
गगन के तारे भी चमक दिखाने लगे हैं
धीमे से पुरवइया कुछ गुनगुना रही है
सुनके धरा भी जिसे सकुचा रही है

मंन का मयूरा देखो कैसे इतरा  रहा है
पपीहा भी पीहू पीहू की रट लगा रहा है
मधुर मिलन की नैनो में प्यास लिए
धरती गगन की ओर बढ़ी जा रही है
@मीना गुलियानी 

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