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रविवार, 24 मई 2015

(02- माता की भेंट (02)



मै दर तेरे ते आया शेरां वालडिये  मै सजदे शीश नवाया शेरां वालडिये 

गुफा तेरी माँ विच पहाड़ा , जांदे भगत ने बणके कतारा 
ओथे कंजकां झुरमुट पाया शेरां वालडिये 

मै गुनहगार माँ बंदा तेरा , कर मंजूर माँ सज़दा मेरा 
मै आजत बनके आया शेरां वालडिये 

भगत तेरे जो दर ते आन्दे ,ध्वजा नारियल भेंट लियांदे 
मै अथरू भेंट ले आया शेरां वालडिये 

जग कहंदा माँ शेरां वाली ,तेरा रुतबा सब तो आली 
मै बनके सवाली आया शेरां वालडिये 


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