यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

भजनमाला -------108

बोओगे जैसा भी बीज तरु वैसा लहरायेगा 
जैसा तुम करोगे वैसा फल भी आगे आएगा 

कुएँ में इक बार कुछ भी बोलके तो देखिये 
जैसा कहोगे आपको वैसा ही वो भी सुनाएगा 

जोड़ोगे तुम हाथ खुद तो दर्पण बिम्ब भी जोड़ेगा 
चांटा दिखाओगे अगर तो झट चांटा दिखलायेगा 

काँटा बनोगे तुम किसी की राह में उड़कर अगर 
काँटा बनकर एक दिन तुमको वो भी सताएगा 

थूकोगे गर नादाँ होकर आप आफताब पर 
वापिस गिरेगा मुँह के आगे जग हँसी करवाएगा 

चाहते है लोग तुमको जानना तुमको अगर 
अपने दिल से पूछिए वो खुद बी खुद बतलायेगा 
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें