यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

सुकूँ न मिल पायेगा

पास से वो गुज़र गए
हम तो वहीं ठहऱ गए
पेड़ों से पत्ते झड़ गए
सब फूल भी बिखर गए
पल भर जो रुकते वो पास
न होता मन हमारा उदास
क्यों चेहरे पे है बेचारगी
ऐसी भी क्या है नाराज़गी
ये गुलशन अगर मुरझायेगा
तुमको सुकूँ न मिल पायेगा
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें