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रविवार, 13 दिसंबर 2020

क्यों बार बार

क्यों बार बार निगाहें पलटकर 

फिर से तुम्हें देखना चाहती हैं 

क्यों  दिल की धड़कन तेज़ हो 

जाती है तुम्हारे बदन से चंदन 

की खुशबु मन में बस जाती है 

सारी शिकायतें भूल जाती हैं 

मन तुम्हें पुकारता है ख्यालों में 

तुम्हें बसाना चाहता है क्यों तुम्हें 

पता नहीं चलता रुक्ते  क्यों नहीं 

@मीना गुलियानी 

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