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गुरुवार, 28 मार्च 2019

प्रेम बन्धन है

कहते हैं मन तो आईना है
यह हमेशा सच बोलता है
हँसी ग़म के भेद खोलता है
क्यों उदास हैं क्यों मन टूटता है
आज आँगन में नेह के बादल
बिन बरसे ही गुज़र गए
फूल भी खिलने को तरस गए
सूरज की किरणें भी आज
बदली में कैद हो गईं
हर आँख का इक सपना है
रिश्तों की प्रेम डोर न टूटे
यही तो प्रेम बन्धन है
@मीना गुलियानी

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