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रविवार, 29 नवंबर 2020

जब मनवा बेपरवाह होकर जीता है

जब मनवा बेपरवाह होकर जीता है 

उसी जिंदगी को सार्थक कहते हैं 

क्योंकि उसमें कोई लाग लपेट नहीं 

ईश्वर भी उसे ठंडी छाँव में रखता है 

जिसे वो कभी जान भी नहीं पाता है 

@मीना गुलियानी  

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