तेरे काजल की रेखा चमकने लगी है
बादल से बिजुरिया दमकने लगी है
तेरे होंठ कहते हैं गुज़री कहानी
अलसाई शाम महकने लगी है
पत्ता पत्ता बूटा बूटा सुनाएगा दास्तां
शबनम मोती बनके दमकने लगी है
क्या पता लौटना फिर न हो दुबारा
उमंगें सावन में बहकने लगी हैं
@मीना गुलियानी
बादल से बिजुरिया दमकने लगी है
तेरे होंठ कहते हैं गुज़री कहानी
अलसाई शाम महकने लगी है
पत्ता पत्ता बूटा बूटा सुनाएगा दास्तां
शबनम मोती बनके दमकने लगी है
क्या पता लौटना फिर न हो दुबारा
उमंगें सावन में बहकने लगी हैं
@मीना गुलियानी