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शनिवार, 30 अप्रैल 2016

रुत ये बदल जायेगी


पास बैठो तो रुत ये बदल जायेगी
मौत की हर घड़ी आज टल जायेगी

                   तुम न आँचल को यूँ लहराया करो
                   गेसुओं से न चेहरा छुपाया करो
                   चेहरा रोशन करो रुत मचल जायेगी

दर्दे दिल को न अपने दबाया करो
आँसुओ को न अपने छुपाया करो
तेरे इक कतरे से  जां निकल जायेगी

                  आज हँस दो ज़रा तो बहार  आएगी
                  रुत ये सारी  सुहानी नज़र आएगी
                   वरना  दिन में ही ये शमा जल जायेगी

देखो फूलों पे कितना निखार आ गया
तेरा यूँ मुस्कुराना जी को भा  गया
दिल की हर इक तमन्ना निकल जायेगी
@मीना गुलियानी


कहाँ हो तुम

प्यार हुआ तुमसे कहाँ हो तुम
 झूमती बहार है कहाँ हो तुम
दिल ने फिर पुकारा है कहाँ हो तुम
ढूँढती निगाहें है कहाँ हो तुम

                   आज दिल की शमा क्यों उदास है
                   दिल मेरा तो तेरे आस पास है
                   आवाज़ दे दो जहाँ हो तुम

गुम हो आज तुम किसी ख्याल में
मन मचल रहा मेरा सवाल में
मेरे लिए मेरी जां हो तुम

                  दिल के सारे राज़ मुझपे खोल दो
                  यूँ न चुप रहो  कुछ तो बोल दो
                   मेरे लिए मेहरबाँ हो तुम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

कोई आता है

धीरे धीरे तू चल ठण्डी ठण्डी फुहार कोई आता है
यूँ न मचल आज मन थोड़ा कर  इंतज़ार --------------------- कोई आता है

 उसके आने की खुशबु हवाओं में है
उसकी आहट भी चंचल फिज़ाओ में है
आज करने दे मुझको भी थोड़ा सिंगार ------------------------ कोई आता है -

पहले उसको थोड़ा सा सताऊँगी मै
जब मनाएगा वो मान जाऊँगी मै
दिल पे रहता है ऐसे में कब इख्तेयार ------------------------- कोई आता है

आज आंचल को मेरे तुम लहराने दो
मुझको यादों में उसकी तुम खो जाने दो
आज बगिया में मेरे तो आई बहार ----------------------------- कोई आता है
@मीना गुलियानी

अपनी सुध बुध खो बैठे


हम तेरे प्यार में अपनी सुध बुध खो बैठे खो बैठे
अब तुम्हीं बताओ कैसे तुमको भूल जाएँ भूल जाएँ

तुमसे ही पहला प्यार हुआ आँखों से ही इज़हार हुआ
दिल अपना सब कुछ खो बैठा मन पर आँखों का वार हुआ
अब अपना हमारा कुछ भी नहीं है हम तो तुम्हारे हो बैठे

दिल अपना तो दीवाना था इस प्यार से वो बेगाना था
जब तुमसे वो अंजाना था हर हाल में बस दीवाना था
अब तुम ही बताओ कैसे कहें जब हम ही बेगाने हो बैठे
@मीना गुलियानी 

पायलिया छमछम गाने लगी



पायलिया छमछम गाने लगी
गीत गाके वो मुस्कुराने लगी

मन में जागी एक अगन सी
दिल में उठी है एक लहर सी
आशा तृष्णा जियरा जलाए
मन मोरा यूँ ही तड़पाए
पायलिया छमछम गाने लगी

व्याकुल मनवा इत उत डोले
दिल मोरा खाये हिचकोले
बागों में जब बोले मयूरा
और पपीहा पीहू पीहू बोले
पायलिया छमछम गाने लगी
@मीना गुलियानी


ऐ री पवन

ऐ री पवन तू बन जा सहेली
मै हूँ अकेली अलबेली
संग मेरे तू चलदे साथिया

मेरा आँचल तू थाम ले
बनके सहारा मुझे छाँव दे
साथी है सारे नाम के
रास्ते अनजाने इस गाँव के
चल दे तू संग, बनके मेरी छैंया --------------मै हूँ अकेली अलबेली

रास्ते ये कितनी दूर है
पाँव चलने को मजबूर है
पर्वत के पीछे मेरा गाँव है
यहाँ की सुहानी शाम है
है न कोई गम ,तेरी ले लूँ बलैया ---------------मै हूँ अकेली अलबेली

झरने सुहाने इस गाँव के
आम भी रसीले इस गाँव के
छू लूँ आज मै गगन
होके मस्ती में मगन 
झूमूँ तेरे ही संग,बनके पुरवईया ---------------मै हूँ अकेली अलबेली
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

तुझको मेरा दिल पुकारे

मस्त हवाओं में इन फ़िज़ाओं में तुझको मेरा दिल पुकारे
आ जा आ जा रे तुझको मेरा दिल पुकारे
जल्दी आओ देर न करना दिल मेरा तुझको ही पुकारे
आ जा आ जा रे तुझको मेरा दिल पुकारे

                   कितना सुहाना आज समा है  मौसम भी कितना ही जवां है
                    हरसू है सूरज  की लाली फूलों से महका ये बागबाँ है
                    आ जाओ इक बार सनम तुम फिर चाहे सौ बार पुकारें

मेरी सदाएं तुमको पुकारें लौट न जाना दिल ये सदा दे
देर न करना आने की तुम दिल मेरा मिलने की दुआ दे
आज खुदा  भी मेहरबाँ है दिल वीणा का तार पुकारे

                   रूठ न जाना ऐसा मौसम जाने फिर आये न आये
                  रुत ये सुहानी आई है जैसी क्या पता फिर जाके न आये
                  फूलों की हर  डाली पुकारे कजरे की ये धार पुकारे
@मीना गुलियानी 

दिन और रात ढलते है

याद में तेरी जागकर ओ सनम मेरे दिन और रात ढलते है
हर सुबह लब पे होता नाम तेरा शाम तक जिसको न बदलते है

तूने मुझसे करार जबसे किया तू है मेरा नसीब अब तो मेरा
तेरे वादे की हर कसम लेकर अपने रास्ते पे हम तो चलते है

तेरी ख्वाहिश मुझे सदा से थी तेरी चाहत पे ऐतबार मुझे
क्या कहें दिल का मगर हम भी दिल के गम आंसुओ में ढलते है

बिन तेरे अब रहा नहीं जाता कुछ मुझसे कहा नहीं जाता
करो ऐतबार मेरा अच्छा है वरना  दुनिया से हम तो चलते है
@मीना गुलियानी 

बुला रही है तुम्हें


ये वादियाँ ये हवाएँ बुला रही है तुम्हें
फ़िज़ा की मस्त सदाएं बुला रही है तुम्हें

               कैसे बताएं तुम्हें हम क्या क्या हमपे गुज़री है
               इन आँसुओ की सदाएं बुला रही है तुम्हें

आ जाओ देख तो लो फिर पलट के हाल मेरा
खामोश दिल की सदाएं बुला रही है तुम्हें

              इस तरह रूठ के जाना मुझे गंवारा नहीं
               मेरे दिल की ये सदाएं बुला रही है तुम्हें

चले भी आओ इधर आके देख लो तुम भी
मेरे लबों की दुआएं बुला रही है तुम्हें
              @मीना गुलियानी 

मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

प्रेम का पौधा

किसी ने मुझसे कहा प्रेम का पौधा 
जमी देखके लगाना पड़े न पछताना 
मैने कहा ये ज़मी पर लग नहीं सकता 
दिलों का प्रेम ज़मी पर उग नहीं सकता 
ये तो दिलों की बात है 
दिलों से होती शुरुआत है 
वो लोग कुछ और ही होते है 
जो कुछ करने से पहले सोचते है 
प्रेम तो न खेतों में उगता है 
न किसी हाट,बाज़ार में बिकता है 
ये तो बहुत अनमोल सौगात है 
दुनिया में किसी विरले के पास है 
राजा  या रंक किसी का भी हो जाता है 
जो इसे अपना ले उसी का हो जाता है 
इसके कुछ अपने असूल होते है 
हर किसी को मालूम नहीं होते है 
यहाँ ज़ज्बातों की दुनिया बसती है 
मौत यहाँ बहुत ही सस्ती है 
खुशियाँ यहाँ पाई जाती है 
और लुटाई भी जाती है 
यहाँ हर पल  इक इम्तहाँ होता है 
हर किसी का जज़्बा फना होता है 
हर कोई यहाँ खिलाड़ी नहीं होता 
ऊपर वाला हर किसी पे मेहरबाँ नहीं होता 
झोलियाँ वो मुरादों से भराके जाता है 
वही जो उम्मीद लेके उसके दर पे आता है 
@मीना गुलियानी 

रेशम जैसी जुल्फें

 तेरी रेशम जैसी जुल्फों पर दिल डोला तो क्या है कसूर
है इतनी प्यारी ये जुल्फें खुल जाएँ तो छा जाए नूर

                         इनको हवा से बचाया करो
                         आंचल में ही छुपाया करो
बादल भी है आशिक इनका
रूप को यूँ  न दिखाया करो
                           कर देती सबको दीवाना
                          अब मेरा क्या इसमें कसूर --------------

कसके न इनको बाँधा करो
दम तो हमारा ही घुटता है
                             नागिन जैसी काली जुल्फें
                             दिल में दर्द सा उठता है
मुखड़े पर जब ये छा जाएँ
आ जाता है पूरा सरुर ---------------

                            बादल इनसे डरता है
                           देखके छुपता फिरता है
काली घटाओं में मुँह को छिपाकर
जाने कहाँ पे ये उड़ता है
                           तेरी जुल्फें अगर लहराएं तो
                           दिल धड़के हमारा ज़रूर -------------
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 25 अप्रैल 2016

मिलने की कसम खाई है



दिल ने तेरी याद में मिलने की कसम खाई है
फिर तेरी भूली हुई कोई बात इसे याद आई है

                     हम तो नादां थे न समझे थे कभी दिल की लगी
                     जागे जब दर्द हुआ चोट कोई दिल पे लगी
                     अब तो बस जान पे ही मेरे तो बन आई है

तुमको आना होगा कितने तन्हा हम है
एक तूफां ही नहीं सैकड़ों तूफां गम है
चोट उल्फ़त में बड़ी हमने सजा पाई है

                      देखें तुझे जी भरके तेरा दीदार करें
                     आरजू मेरी है जी भरके तुझे प्यार करें
                      फिर ये दुनिया की सह लेंगे रुसवाई है
@मीना गुलियानी 

हीर तू बनजा सोणिये

कुर्ता तेरा छींट दा  सजदा ऐ किन्हा सोणिये 
राँझा आया आके मिल जा हीर तू बंनजा सोणिये 

इक गल आखा हीरिये तू न शर्मावी  सोणिये 
दिल दी गलां दिल विच न रह जावण सुणले सोणिये 
दिल परचावि रांझे दा तू हसके सुणले सोणिये 

ऐ वेला फिर हत्थ नहीं आना इस रुत ने फिर तुर जाणा 
रांझे दा दिल तोड़ी न तू भूलके उसनू मोड़ी न तू 
अपणा हाल सुनावी नाले उसदा वि पुछणा सोणिये 
@मीना गुलियानी 

रविवार, 24 अप्रैल 2016

तेरा चाँद सा मुखड़ा



ये मुस्कुराता हुआ तेरा चाँद सा मुखड़ा
इसके नूर से धुल जाए दिल का दुखड़ा

                  कभी घटा बन जाती तेरी आँख का काजल
                  कहकशां कभी ये चाहे बने वो तेरा आँचल

सदा आबाद रहें तेरी झपकती हुई पलकें
इसके साये में दिल के कितने मैखाने छलके

                   चाँद बन जाए तेरे मुखड़े के  माथे का टीका
                   रूखे बहार भी इसके आगे पड़ जाए फीका
@मीना गुलियानी 

तेरा इंतज़ार है

आई बहार है तेरा इंतज़ार है
बगिया महके फूलों वाली
गुलशन बेकरार है

चंदा आया गगन में देखो चाँदनी भी साथ है
मस्ती में तारे झूम रहे है खुशियों की बारात है

दिल में नग़मे झूम रहे है फूल गुनगुनाते है
गम का कोई नाम नहीं है मिलके हँसते गाते है

प्रीतम लौटे अपने अँगनवा छाई रुत बहार की
कली कली भी खिल गई देखो मस्ती तेरे प्यार की
@मीना गुलियानी 

हम अजनबी बन जाते है

चलो फिर से हम अजनबी बन जाते है
रिश्ते सब कैसे खुद ब खुद बन जाते है

                    न तुम मुझे देखो यूँ बार बार पलट के
                    चलते चलते ही रुकना न फिर पलट के
                    मै भी न देखूँ तुम्हें नज़रें फेर लो  पलट के

आ जाओ कभी जब सामने नज़रे दो चार हो जाएँ
कर लेना  अगर तुमसे हो सके बातें दो चार हो जाएँ
कुछ नया  रुख लेने को हम दोनों तैयार हो जाएँ

                    तुम भी अपनी नज़रे झुक लेना जब नैना मिल जाएँ
                    तुम फिर धीरे से शर्मा जाना जब ये होंठ सिल जाएँ
                   आके फिर चुपके से कुछ कह जाना जब ये दिल मिल जाएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

नींद ले गया कोई


मेरी आँखों से आज  नींद ले गया कोई
दूर से प्यार का अपने पैगाम दे गया कोई

                  बात जो उसने कही  बात जो मैने सुनी
                  क्या मगर बाते हुई रह गई वो अनसुनी
                  अपनी चाहत का पैगाम दे गया कोई

रात भर जागे थे हम तुमसे छुप छुपके सनम
नींद ये कैसे उडी न बता पाएंगे तुमको हम
इक तसव्वुर में ही गुमनाम कर  गया कोई

                   हम भी बेचैन रहे कैसे पर तुमसे कहें
                   कितने अरमानो भरे हमने सपने थे बुने
                   जाने क्यों इश्क पे इल्ज़ाम दे गया कोई
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

इक नई भोर

ये कौन आया कि सांसो में महक आने लगी 
ये कौन आया कि फूलों से खुशबु आने लगी 

किसके आने से बागों में बहार आई है 
किसके आने से हर कली कली मुस्कुराई है 

किसके आने से कली दिल की खिल उठी 
किसके आने से हवा खुलके झूम उठी 

किसने उपवन मेरा आज महकाया है 
दबे पाँव ये यहाँ कौन चलके आया है 

तितलियाँ झूमने लगीं पराग उमड़ उठा 
भँवरो का भी गुंजन राग आज बज उठा 

चाँद तारों ने गगन को रौशनी से नहलाया है 
जुगनुओं ने टिमटिमाकर चमक को बढ़ाया है 

बादलों ने अपनी  काली घटा छितराई है 
कहीं कहीं बिजली की किरण चोंधयाई है 

पलकों में आके ये चुपके से कौन मुस्काया है 
किसने मस्ती भरा गीत कानों में गुनगुनाया है 

हवा ने भी अपना परचम आज लहराया है 
दूर से सब परदेसियों को संदेश भिजवाया है 

अब सभी लौट चले है अपने देस की ओर 
जहाँ पर बुला रही है सबको इक नई भोर 
@मीना गुलियानी 

मंजिल की ओर



मंजिल की ओर बढ़े कदम पर मंजिल पाना मुश्किल है
कुछ जाल रकीबों ने ऐसे बुने जिन्हें तोड़ पान मुश्किल है

                    तूफां के थपेड़ों में पड़कर साहिल तक आना मुश्किल है
                    मौजों की ऊंचाई के आगे पतवार चलाना मुश्किल है

दीदार तो उनका क्या होगा कुछ सोच भी पाना मुश्किल है
जख्मों को तो हमने झेल लिया पर होश में आना मुश्किल है

                   हाले बयां हम क्या करते कुछ लिख पाना मुश्किल है
                   अपने हरफों को ही अब तो समझ पाना मुश्किल है 
@मीना गुलियानी 

दुल्हन क्यों शर्मा गई



तेरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा
धरती पे ढलता सूरज उतरा
धरा पे चाँदनी छा गई
दुल्हन क्यों शर्मा गई

तेरे नैना है कजरारे लट के गेसू कारे कारे
उमंगो में रवानी आ गई ---------------------------------दुल्हन

तेरी गोरी गोरी कलाई, उसमे चूड़ी है खनकाई
पायल गीत क्यों गा गई -------------------------------दुल्हन --

मेहँदी हाथों में तेरे दमके ,कानो में बाली तेरी खनके
बागों में बहार आ गई -----------------------------------दुल्हन

दुल्हन घूंघट में शर्माए मुखड़ा हाथों में वो छुपाए
ख़ुशी की फुहार आ गई ----------------------------------दुल्हन
@मीना गुलियानी  

बुधवार, 20 अप्रैल 2016

घूंघट गोरी उठाए न आज


देखो गोरी को आवत लाज, घूंघट गोरी उठाए  न आज
करता चंदा भी गोरी पे नाज़ ,कितना खुश है पाके आज 

                      गोरी की चंदा से हो गई बात
                      कितनी सुहानी हो गई रात
                      देखो मस्ती में झूमे दिल आज
                     गाने दो उनको प्रेम के राग

गोरी की चूड़ी खनकती  है आज
पायल की छमछम बजती है आज
देखो मोर भी नाचे गाए है  गीत
दोनों के प्रेम की हो गई जीत

                      बरखा सुहानी झूमके आये
                      तन मन सुधियों को महकाए
                     आंचल गोरी का उड़ उड़ जाए
                     गोरी का दिल धड़का जाए
@मीना गुलियानी

तू छुपा हुआ कहाँ है

तू बता दे गुम कहाँ है ढूँढा सारा जहाँ है
ऐसे में बोल भी दे तू छुपा हुआ कहाँ है

                     आजा कि जिदगी भी अब तो है जाने वाली
                      रूत ऐसी बदली मेरी जैसी ये रात काली
                      जब तू नहीं यहाँ तो जीना मेरा कहाँ है
                      गुमसुम सा ये जहाँ है वीरान सा समा है

दिल को सुकूँ मिलेगा जब तू यहाँ पे  होगा
चंदा से ले गवाही तारों भरा भी होगा
आवाज़ तो दे दे मुझको मुश्किल में मेरी जां है
बेबस ये आसमाँ है मंजिल मेरी कहाँ है

                       आ जल्दी आके मिल जा साहिल तुझे पुकारे
                       किश्ती को थाम ले तो पा जाएंगे किनारे
                       दुनिया मेरी बचाले बेदर्द ये जहाँ है
                       ऐसे में तू कहाँ है  संगदिल हुआ समां है
@मीना गुलियानी

दिल हमारा टूट जाएगा

न ऐसे रूठो तुम जानम मेरा दिल टूट जाएगा
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा जमाना छूट जाएगा

तेरे इक रूठने से दुनिया मेरी रूठ जायेगी
न फिर फूलों भरी बगिया मेरी ये महक पाएगी
न भँवरे झूमेंगे फूलों पर न तितली गीत गायेंगी
सुहाना मौसम बिन पानी के जैसे सूख जाएगा

तुम्हारी इक हँसी पे जान कुर्बा कर दूँ मै अपनी
तेरे रुखसार पर दुनिया फना कर दूँगा मै अपनी
ये सारी  कायनात भी तुझपे कुर्बा कर दूँ मै अपनी
 तेरे लब पर हँसी आने से झरना फूट जाएगा

ये धरती चाँद तारे आसमाँ भी तो गवाह होंगे
हमारे दरम्याँ जो है पता वो करते ही होंगे
जमाने के सितम झेले  तुम्हारी खुशियों की खातिर
अगर तुम माने न तो दिल हमारा टूट जाएगा
@मीना गुलियानी


मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

अब घबरा गया हूँ


मै इस जीवन से अब घबरा गया हूँ
मुझे तू अपना बस दीवाना कर दे

जुनूने इश्क मुझको अब कहाँ पे लेके है आया
जहाँ देखा तुझे देखा जहाँ ढूँढा तुझे पाया
ज़माने भर से तन्हा रह गया हूँ

कहाँ से ये फरेब जां उलझकर जिंदगी पाई
जहाँ तक रौशनी देखी वहीं पे  होती रुसवाई
फरेबो से तो मै घबरा गया हूँ

मेरी किश्ती भी देखो आज साहिल से ही टकराए
जहाँ देखा वहीं पर टूटते सपने नज़र आये
मौजो से तो मै टकरा गया हूँ
@मीना गुलियानी 

तू मत घबराना



कठिन है राहें तू मत घबराना
वरना जीने देगा न ज़ालिम ज़माना

                     खतरे बहुत है उल्फ़त की इस राह में
                    तुझको है सम्भलना ऊँची नीची राह में
                    बचना पड़ेगा नहीं तो जां से जाना

जीता वही बाज़ी जो न हिम्मत से हारा
हर ठोकर बन गई है मंजिल पाया किनारा
तू भी बन जा खिलाड़ी पड़े न पछताना

                   हर मुश्किल को आसां करदे दिल में भर ले हौसला
                   पछताए फिर क्या होवेगा रहे जो न तेरा घोंसला
                   पंछी बचा ले अपना तू घर बचाना
@मीना गुलियानी  

जिया की पीर कैसे सहूँ

काहे दिल मेरा घबराए चैन नहीं आये
बताओ तुम अब क्या करूँ
जिया की पीर कैसे सहूँ

तुम तो बसे परदेस बलमवा
कैसे कहुँ मै बतियाँ जिया की
हँस हँस सखियाँ मारे ताना
कोई सुने न मोरे जिया की
पिया जी कहो अब क्या करूँ

कुछ भी तुम बिन भाये न मोहे
हार सिंगार भी सुहाए न मोहे
हूक उठती है अब मेरे मन की
सहूँ कैसे पीर ये मन की
पिया जी कहो अब क्या करूँ
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

बदरवा वैरी हो गए हमार

बदरवा वैरी हो गए हमार
घिर आये फिर काले काले
मेघ यहीं पे बरसने वाले
सुनलो मेरी पुकार
सजनवा वैरी  हो गए हमार

काहे बसे तुम जाए विदेसवा
दिल में दर्द जगाए
न खत भेजा न कोई सन्देसवा
पल पल रुत ये सताए
डूब गया दिल मोरा भँवर में
तोसे नैन लगाए

पछताने से क्या हो हासिल
दिल मोरा घबराए
जब जब बोले वैरी पपीहरा
जियरा मोरा जलाए
कित जाऊँ मै कैसे कहूँ जो
मन की प्यास बुझाए
@मीना गुलियानी 

बजी है फिर शहनाई

बजी है फिर शहनाई दुल्हन तेरे घर आई
झूमेंगे नाचे गायें  आज,ख़ुशी की है घड़ी आई

पूरे होंगे तेरे अरमां खुशियाँ मिलेंगी भरपूर
रहे सलामत गम न मिले कभी तुझसे रहे वो दूर
पूरे हो सारे तेरे ख़्वाब मिले जो वो आफताब
दुल्हन तेरे घर आई ---------------------------

संग संग तुम भी चलना उसके करना न इक पल दूर
रहे सलामत जोड़ी तुम्हारी दुआ ये करूंगी ज़रूर
मिलें खुशियाँ अपार फूलों की रहे बहार
दुल्हन तेरे घर आई -----------------------------
@मीना गुलियानी 

रविवार, 17 अप्रैल 2016

दीवाना दिल

छेड़ो न मुझे ऐसे दिल हो गया दीवाना 
समझे मुझे ये दुनिया तेरे प्यार में बेगाना 

सबने मुझे नफरत दी इक तूने मुहब्ब्त दी 
देखो  कभी दिल मेरा अब तू न कभी दुखाना 

मैने तुझे पाया है तू मेरा ही तो साया है 
वादा किया है तूने देखो न भूल जाना 

तेरा मुझपे ये ऐहसां  है तू कोई फरिश्ता है 
सबसे मुझे प्यारा है अपना तुझी को माना 

मै  तेरे सहारे हूँ दुनिया का भरोसा क्या 
देखो तुम दुनिया की बातों में नहीं आना 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2016

मनवा है बेचैन

चैन मुझे मिलता नहीं मनवा है बेचैन 
दिलबर तेरी दीद को हरदम तरसे नैन 

प्रीतम तुम कब आओगे और न सताओगे 
हर पल पंथ निहारूँ मै होकर मै बेचैन 

पल  छिन राह निहारूँ मै इक पल न बिसारूँ  मै 
पलक न झपके मेरी निरखत हूँ दिन रैन 

कैसे तोडू प्रीत को झूठी जग की रीत को 
बंधन तोड़ न पाऊँ मै तड़पत हूँ दिन रैन 
@मीना गुलियानी 

तुम्हारी याद

न जाने क्यों तुम्हारा स्मरण होते ही भर आंते है नैना मेरे 
वो सागर वो नदी का किनारा लो अब छूटा साथ तुम्हारा 

ख़ुशी से बीते वो क्षण अब स्वप्न बन विचरते है 
आँखों में सीप के मोती  की तरह अश्रु निकलते है 
दिल  कोना  सूना पड़ गया परछाई बाकी है 
इक चिंगारी दबी रह गई जो कभी सुलग पड़ती है 

थामकर हवाओं का दमन मैने इक खता की 
जिसकी मुझे सज़ा मिली हवाओं के झोंके से 
वो दामन भी मुझसे अब छूट गया साँस बाकी है 
न जाने कब दिल की धड़कन बंद हो जाए 

और तमन्नाएँ दिल की सिसकती रह जाएँ
 याद तुम्हारी दिल की दिल में ही रह जाए 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

आये दिन बहार के



आये दिन बहार के चाहत के इकरार के
क्यों न मौसम को फिर गुलज़ार करें

                    देखो कभी फिर से तुम न दिल से यूं खेलना
                    बड़ा ही मुश्किल  होता है गमों को यूँ झेलना
                    हमने तो झेले है गम लाखों इस संसार के

बीती हुई बातों को तू मन से विसार दे
छोटी सी जिंदगी है हँसके गुज़ार ले
अपनी मुसीबतें मेरी चाहत पे वार के

                    कभी भी कसम लो मेरी हमसे न रूठना
                   वरना  भारी पड़ेगा दिल का यूँ टूटना
                   दिल की बाज़ी भी खेली हमने तो दिल हार के
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 13 अप्रैल 2016

माता की भेंट --------आजा माँ पहाड़ा वालिये

तेरा बचडा नीर बहाए , आजा माँ पहाड़ा वालिये
तेनू रो रो हाल सुनाये ,आजा माँ पहाड़ा वालिये 

इक दासी माँ कहंदी तेनू ,शीश नवांदी हरदम तेनू 
तू जाने गर बचडा मेनू ,बैठी दर ते झोली फैलाए 
आजा माँ -----------------------------------------

जिंद निमाणी कहंदी तेनु ला सीने नाल दाती मेनू 
याद सदा रहे तेरी मेनू लाड तुध बिन कोण लडाए 
आजा  माँ ------------------------------------------

हन्जुआ दे मै हार बनावा तेरे दाती चरणी चढावा 
लाज रखी मै कहंदी तनु बैठी दोनों हत्थ पसारे 
आजा माँ ------------------------------------------
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ---तर्ज --नगरी नगरी द्वारे द्वारे

लगियाँ मेनु तेरियाँ तांगा आजा शेरां वालिए 
शक्ति अपनी आ दिखा जा माता शक्ति वालिए 

हार दा पासा नज़र है आंदा बाज़ी आ पलटा मेरी 
आजा होक रूप पवन दा न मैया तू कर  देरी 
दुखड़े मेरे आन मिटा जा भगतां दी रखवालिए 

हारे मेरे नैन विचारे तक तक तेरियाँ रावा माँ 
बैठी तेरी याद दे अंदर गिण गिण ओसियां पावा माँ 
गम नू मेरे दिलों मिटा जा सुए चोल्या वालिये 

खुल जावनगे पर्दे जिस दम राजा झोली खोलेगा 
भोग तेरे दी करें निरादरी पैरा दे विच रोलेगा 
अपने नाम दी लज्जा रखले माता भोली भालिए 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -------तर्ज--बहुत प्यार करते है

बहुत याद करते है तुमको भोली माँ 
तुमको अम्बे माँ तुमको भोली माँ 

ऊँचे पर्वतों पर मंदिर माँ  तुम्हारा 
चढ़ाई चढ़ चढ़ के आये जग सारा 
दर्शन पाओ आज , आई भोली माँ 

द्वारे मैया तेरे हम भी आये 
इक दर्शन की आस है लाये 
बिगड़ी बना दे मेरी ,अम्बे भोली माँ 

जगमग जगमग जोत है जगती 
सबको ही प्यारी मैया तेरी जोत लगती 
अन्धों को भी ज्योति देती ,जोता  वाली माँ 

जागरण तेरा माँ मैने कराया 
नवरात्रों में तुझको बुलाया 
सिंह पे सवारी आओ,मेरी भोली माँ 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट ---------तर्ज - कलियों ने घूंघट खोले


जो जय मैया की बोले वो भगत कभी न डोले 
मेरी जगदम्बिके मैया दास की पार कर नैया 

दर्शन को चाहूँ आना 
चरणों में मन लगाना 
आये जो द्वार दे दो दीदार जयकार भगत बोले 

औगुन न माँ चितारो 
सेवक समझ निहारो 
हूँ गुनहगार , औगुन हज़ार ,दिल के है हाल खोले  

मैया जी पल में आई 
छिन देर न लगाई 
भक्तों का प्यार, हो सिंह सवार ,दुर्गा किवाड़ खोले 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

माता की भेंट ----तर्ज --हाय शरमाऊं ऐसे कैसे मै बताऊँ

तेरे दर आऊं , तेरा दर्श मै पाऊँ  , खाली लौट के न जाऊँ
मेरी माँ ---------------------------  करदे मेहरबानियाँ


तू है माता भोली, भर देती है झोली
मुझे पार लगाना माँ, मेरी नैया डोली
मेरी माँ शेरों वाली, लाटो वाली
सुन माँ दुःख भरी कहानियाँ -------------------------- तेरे दर आऊं

तेरे दर आया हूँ , माँ गम का सताया हूँ
दुःख दूर करो मेरे जग का ठुकराया हूँ
मेरी माँ दे दो शक्ति करूँ मै भक्ति
जलाऊँ जाते नुरानियाँ --------------------------------तेरे दर आऊं

तेरा सहारा है  ,माँ ऊँचा द्वारा है
तेरे भक्तों को लगता तेरा नाम प्यारा है
तू भव से तारे , पार उतारे
कैसे भूले कद्र्दानियाँ -----------------------------------तेरे दर आऊं
@मीना गुलियानी

माता की भेंट------------------मैंनु तेरा इक आसरा


तर्ज ------तू मेरे प्यार का फूल है


मैंनु तेरा इक आसरा मै निरासरा आया तेरी शरणी
बख्शने वाली माँ बक्शो नादान दी करनी 

जिंदगी च हुए मेथो पाप बहुतेरे 
लख समझाया पर न मनी मन मेरे 
दुनिया तो घबरा गया याद आ गया 
इक तेरा द्वारा ढूंढ थकी संसार न मिल्या कोई सहारा 

दुःखा दर्दा वेले याद आदिया मांवा 
मांवा बिना केहड़ा सुने दिला दीया हांवा 
माँ ते पुत्तर दी प्रीत नू जग रीत नू 
हुन आके निभाओ जानके पुत अनजान मैया मेनु चरणी लगाओ 

तू ही दस माँ मै केहड़े दर जांवा 
दुःखा वाला हाल जाके किनू मै सुनावा 
तेरे बिना कोई होर न बन कठोर न 
सुन दासी दी अर्जी मै ता चरणी आ गई मेनु ला ले चरणी 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट - तर्ज -दिल करता ओ यारा दिलदारा

दिल करदा ओ मैया शेरां वाली मेरा दिल करदा 
दर तेरे ते आवां दिल दा हाल सुनावा दिल करदा 
ओ   -----चरणा दी धूड़ी चुमके मत्थे ते लगावा 

जिंदगी दे विच कीते पाप बहुतेरे माँ 
लख समझाया पर न मनी मन मेरे माँ 
सारे द्वारे छड़ के में आया द्वारे तेरे माँ 
ओ---मेनु  न भुलावी मै ता तेरे ही सहारे ------------------------------------ दिल करदा 

लाल लाल झंडे वेखे द्वारे माँ दे झुलदे 
रलमिल माई भाई जय मात दी बोलदे 
जेडे माँ दे द्वारे आन्दे कदी वि न डोलदे 
ओ--अजब निराला दिसदा भवन रंगीला माँ ------------------------------- दिल करदा 

चन ते सूरज द्वारे चक़्कर ने लांवदे 
झुक झुक तारे द्वारे झातियां ने पाँवदे 
ब्रम्हा विष्णु शिव द्वारे फुल बरसांवदे 
ओ ---अकबर राजे जए शीश नू झुकांवदे ------------------------------------ दिल करदा -
@मीना गुलियानी 

रहता है बेकरार क्यों


ऐ दिल तू इतना आजकल रहता है बेकरार क्यों
जो रास्ता बदल गया उसी का इंतज़ार क्यों

                      क्यों ढूंढता है हर घड़ी बीती सुहानी शाम को
                      वो लम्हा जो गुज़र गया कैसे भुलाऊँ गाँव को
                      नाम तेरा लिख के यूँ मिटता नहीं बार बार क्यों

फासले सारे मिट गए फिर भी तन्हा क्यों रहें
किस्मत के है फैसले शिकायतें किससे करें
अब है लिखा जो नसीब में उसका भी इंतज़ार क्यों

                      गुलशन में अब न वो ताज़गी फूल हुए बेनूर है
                      मौसम बदल गया है अब फ़िज़ा भी बेकसूर है
                      दिल न सता मुझे तू यूं इतना है बेकरार क्यों
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 11 अप्रैल 2016

माता की भेंट - दर्शन मैया दा

मै  करा प्रीता नाल , दर्शन मैया दा 
वा वा दर्शन मैया दा --सोणा दर्शन मैया दा 

गुफा मैया दी सोहणी लगदी पर्वत दे विचकार 
मैया शेरां वाली दा है सुन्दर दरबार -------------------------दर्शन 

आये भगत प्यारे मैया दे बोलण जयजयकारे 
जेहड़ा उसदा नाम ध्यावे पल विच उसनू तारे -----------------दर्शन  

मैया जी दे द्वारे सोनी जगदी ऐ जोत  न्यारी 
माता जी दी शेर सवारी लगदी ऐ प्यारी प्यारी ----------------दर्शन  -

 माँ अम्बा जगदम्बा जी दा सुंदर भवन रंगीला 
प्रेम दे वाजे वजदे दर  ते नाम दी हो रही लीला ----------------दर्शन  -

दुर्गा शक्ति जी दे अगे हाल फोलिए दिल दे 
शेरां वाली दे दरबारों मंगे मनोरथ मिलदे --------------------दर्शन 
@मीना गुलियानी  -
 

माता की भेंट - पार करो मेरा बेडा



पार करो मेरा बेडा भवानी , पार करो मेरा बेडा 

मोहमाया के बंधन काटो 
चौरासी का घेरा 

मन की मुरादें पूरी करदो 
मुझे आसरा तेरा 

नैया मेरी पार लगाओ 
बीच भंवर में बेडा 

अन्धकार में जी घबराए 
करदो आज सवेरा 

खाली दर से लौट न जाएँ 
दिल में करो बसेरा 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट - तर्ज -मै तेरी दुश्मन


तू मेरी माता मै लाल तेरा , मै मैया लाल तेरा
आज मैया तू करना सबपे मेहर ,करो न देर

मैया तेरी जोत नूरानी, आके सुनलो मेरी कहानी
मुझको मैया भवन बुला ले, आके मेरी आस पुजा दे
मुझपे गमों का छाया अँधेरा ---------------मै  मैया

आ जाओ अब मात भवानी, लाज बचाओ ओ महारानी
मुझको मैया चरणी लगा ले, मेरी बिगड़ी बात बना दे ,
बीती है रात अब आया सवेरा ,--------------  मै मैया

जागे की ये रात सुहानी ,अब तो आजा ओ महारानी
दर्शन मांगे तेरा सवाली ,अब तो आजा शेरां वाली
दास  कहे दुःख हर्ले माँ मेरा ---------------- मै मैया
@मीना गुलियानी





लगन तुमसे लगा बैठे

लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा 
तुम्हें  अपना बना बैठे जो होगा देखा जाएगा 

दीवाने बन गए तेरे तो फिर दुनिया  मतलब 
जो सबसे दिल हटा बैठे जो होगा  जाएगा 

तुम्हारी बेरुखी से दिल ये मेरा टूट जाएगा 
जीवन तुम पर लुटा बैठे जो होगा  देखा जाएगा 

कभी दुनिया से डरते थे छुप छुप याद करते थे 
है अब पर्दा उठा बैठे जो होगा देखा जाएगा 
@मीना गुलियानी 


दिल तंग क्यों है



बता दे मुझको दिल तेरे में 
जगह मुहब्ब्त की तंग क्यों है 
खुद ने दी है जब इतनी बरकत 
तो दिल तेरा इतना तंग क्यों है 

                   सभी इनायत किया है तुझको 
                   ये ज़र ज़मी ओ तमाम खुशियाँ 
                   ख्वाहिशों में कमी न तुझको 
                   देने में तेरा हाथ तंग क्यों है 

हर एक ज़ज्बे से है सजाया 
तुझे नवाज़ा तुझे बनाया 
सलीका हर एक तुझे सिखाया 
गुरुर इतना तेरे संग क्यों है 

                    मिटा दे हस्ती चाहे जो पाना 
                    आसां नहीं है ये इम्तेहाँ भी 
                    मंजिल का रास्ता हुआ है मुश्किल 
                    हौंसला तुझमें कम भी क्यों है 
@मीना गुलियानी 
 

रविवार, 10 अप्रैल 2016

माता की भेंट ---------तर्ज- वादा न तोड़

दर पे बुला , सुन ले सदा 
मेरे नैना दीवाने तरसे माँ 

बरसों से तूने मेरी आस न पुजाई 
अर्ज सुनो मेरी आंबे महामाई 
हमपे मेहर की नज़रे करदो माँ 

भक्ति करूँ मै तेरी बन माँ सहाई 
एक बार दर पे बुलाले महामाई 
मुझको एक इशारा करदे माँ 

रो रो के मेरी मैया आँख भर आई 
तूने करी न अम्बे मेरी सुनाई 
रहम अपने बच्चों पे करदे माँ 
@मीना गुलियानी 

माता दी भेंट -------- करनिया पुकार मैया जी

मेरी मैया तू दर्श दिखा , करनिया पुकार मैया जी
झंडे वालिये तू दर्श दिखा ,करनिया पुकार मैया जी 

भौंना वाली मााता जी दी शेर दी सवारी ऐ 
ओ देखो दिसदी आद्क्वारी ऐ 
तेरे चरणा तो जावां बलिहार करनिया पुकार मैया जी 

आसा कर  पूरियां द्वारे नित आइये जी 
तेरे चरणा उते शीश नवाइए जी 
हुन दे दर्शन भोली माँ करनिया पुकार मैया जी 

माता दे द्वारे उते वाजे पए वजदे 
माता जी दे बागां विच शेर पए गजदे 
साडी करदे पूरी आस करनिया पुकार मैया जी 

दासी तेरी माता जी तेरे गुण गांदी ऐ 
नित उठ चरणा ते शीश नवांदी ऐ 
तुसी कर देवो पूरी आस करनिया पुकार मैया जी 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट -------रहमता करदी ऐ झोलियाँ भरदी ऐ

रहमता करदी ऐ झोलियाँ भरदी ऐ
पीरां दी पीर मेरी शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

जो आन डिगे दर तेरे ओ होंदे मालोमाल 
लुट लो लुट लो लोगो माँ होइ ऐ दीनदयाल 
भरे भंडारे ने खुले द्वारे ने पीरां दी पीर ऐ 
शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

दूरों संगतां चलके आवन तेरे दर ते डेरे लावण 
कर दर्शन ध्वजा नरेला तेरी पहली भेंट चढावन 
भगता दी प्यारी ऐ लगे प्यारी ऐ पीरां दी पीर ऐ 
शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

जो कोई भी आये सवाली ओ मुंडया कदी न खाली 
माँ आशा पूर्ण करदी ओ आस पुजावन वाली 
महिमा भारी ऐ शेर सवारी ऐ पीरा दी पीर ऐ 
शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 

तेरा बाग़ देख मन डोले जित्थे मोर पपीहा बोले 
ठंडा जल ओ बाणगंगा दा  ओ मन दी कुण्डी खोले 
शेर सवारी ऐ लगे प्यारी ऐ पीरां दी पीर ऐ 
शाही फकीर ऐ शेरां वाली माँ 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 9 अप्रैल 2016

यूँ न बेकरार कर

ऐ मेरे मीत अब तो  आ जा
 यूँ  न बेकरार कर
होता नहीं है अब इंतज़ार
 दिल न बेकरार कर
छाई है हरसू अब बहार

                       दिन भी देखो ढल गया
                       तारे भी टिमटिमा उठे 
                       सूरज छिपा है ओट में
                       दीपक भी जगमगा उठे
                       मेघ गाए अब मल्हार

बादलों की और झुकने लगा
देखलो आसमान भी
धरती का आंचल थामने
ढलने लगी ये शाम भी
गाने लगी है  अब बहार

                       पेड़ों पे पत्ते थिरकने लगे
                       झूमें है देखो डालियाँ
                       कलियाँ भी खिलने लगी है अब
                       खिलने लगी है क्यारियाँ
                       धीमे से पड़ने लगी फुहार
@मीना गुलियानी



माता की भेंट - तर्ज - रहा गर्दिशों में हरदम

मेरी मात आओ तुम बिन मेरा नहीं सहारा 
दर्शन दिखाओ मुझको, दिल ने तुझे पुकारा 

आके हाल मेरा देखो दुनिया के दुःख है झेले 
तेरे बिना जहाँ में रोते है हम अकेले 
न मुझको भूल जाना मुझे आसरा तुम्हारा 

क्यों बेटे  पर तुम्हारी नज़रे कर्म नहीं है 
सारी  ये दुनिया माता वैरी मेरी बनी है 
मेरी लाज को बचाओ ,मै बच्चा हूँ तुम्हारा 

मेरे आंसुओ का तुम पर कोई असर नहीं है 
कैसे सुनाऊं तुमको,विपदा जो आ पड़ी है 
मँझधार में फंसा हूँ ,सूझे नहीं किनारा 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट

करके शेर सवारी इक वारी  आजा माँ, 
घर दुःखियांं दे फेरा इक वारी पा जा माँ 

तेरा विच पहाड़ा डेरा, मै लड़ फडया माँ तेरा 
तुसी पार लगाओ बेड़ा , मै  लड़ फड़या माँ तेरा 
पार लगा जा माँ , घर दुखिया दे  फेरा इक वारी पा जा माँ 

माँ तू है शेरां वाली , तेरी जगदी  जोत  निराली 
तू मेहर करी मेरी माता ,मेरी भरदे झोली खाली 
आस पुजा जा माँ , घर दुखिया दे फेरा इक वारी पा जा माँ 

विच थाल सामग्री सजाई ,नाले प्रेम दी जोत जगाई 
मै बड़े प्रेम नाल माता ,तेरी जगदी जोत ल्याई 
दर्श दिखा जा माँ ,घर दुखिया दे फेरा इक वारी पा जा माँ 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट - तर्ज- हम तुमसे जुदा होके

मैया तेरे द्वारे पर इक दुखिया आया है 
माँ खोलो दरवाजे फरियाद ये लाया है 

दुनिया का सताया हूँ मै तो घबराया हूँ 
माँ तुम न ठुकराना मै जग का सताया हूँ 
आ जाओ मेरी माँ  - न देर लगाओ माँ 

महिमा सुन आया हूँ माँ आस ये लाया हूँ 
मुझे शरण लगा लेना फरियाद ये लाया हूँ 
आ जाओ मेरी माँ - न देर लगाओ माँ 

मै बच्चा तुम्हारा हूँ जैसा हूँ तुम्हारा हूँ 
तुझे छोड़ कहाँ जाऊँ माँ बेसहारा हूँ 
आ जाओ मेरी माँ - न देर लगाओ माँ 

तूने लाखो को तारा है भव पार उतारा है 
अब आई मेरी बारी मुझे तेरा सहारा है 
आ जाओ मेरी माँ - न देर लगाओ माँ 
@मीना गुलियानी 

मन की हालत


मन तो है इक पागल इसकी बातें कोई क्या जाने 
हर पल कैद में रहना चाहे और कुछ भी न जाने 

कितना तड़पाता है ये मुझको क्या तुमने कभी जाना है 
तेरे साथ गुज़ारा हर पल कितना लगे सुहाना है 
लेकिन लम्बी जुदाई की रातें गुज़री कैसे क्या जाने 

तू तो मेरे साथ है फिर भी जाने क्यों ये मन उदास है 
शायद कल बिछुड़ने का भी इसको थोड़ा आभास है 
तेरे बिना अब जीना कैसे और मरना  ये क्या जाने 

मिल जाओ जो तुम मुझको आँखों में छुपा लूँ 
इक पल भी मै करूँ न ओझल सीने में बसा लूँ 
लेकिन कब आएगा वो पल ये हम तुम क्या जाने 
@मीना गुलियानी 

माता की भेंट - तर्ज -मेरा नाम है चमेली

खोलो खोलो माँ द्वारे इक दुखिया पुकारे 
रो रो अरजा गुज़ारे तेरा दास माँ 
न जुदाई सही जाए साल सी ने काहनू  लाये 
आजा आजा मेरी माए तेरा दास हाँ 

तेरी मैनू याद सतावे पलकां रो रो पकियां 
तू जिन्हा राहाँ तो आवें मै विछावां अखियाँ 
दर्श दिखादे शेरां वालिये मैनु न भुलावी 
मै ता तेरे ही सहारे ---------खोलो  खोलो 

अरमाना ते हंजुआ दी मै भेंटा लेके आया 
सधरा ते चावा ने मेरी है बुआ खड़काया 
आस पुजादे मेहरा वालिये दिल दी प्यास बुझावी 
मेरा दिल ऐहो पुकारे ---------------खोलो  खोलो 

ऐहो मेरी आस है माए दर्श सदा ही पावा 
बणके तेरा लाल मै अम्बे तेरे ही गुण गावा 
विनती मेरी ऐहो गुफा वालिये मैनु वि दिखावी दाती 
ध्यानु वांग नज़ारे ----------------------खोलो  खोलो 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

माता की भेंट - -तर्ज - वो दिल कहाँ से लाऊँ



तेरे द्वार कैसे आऊं मैया ज़रा बता दे 
मंझधार में फंसी हूँ तू ही रास्ता बता दे 

घेरे हुए है मुझको रंगीन वासनाएँ 
मन का नहीं भरोसा पल पल पे जो दगा दे 

मुझमे वो बल कहाँ है जो यहाँ तुझे बुला लूँ 
निर्बल को दे सहारा भव पार तू लगा दे 

लाखों उबर गए है तेरे नाम के सहारे 
सौलह भुजाओं वाली मुझको भी आसरा दे 

कैसे सुनाऊँ तुमको अपनी करुण कहानी 
शायद ये मेरे आँसू सब दास्ताँ बता दे 
@मीना गुलियानी 

ये कहाँ का दोस्ताना

न थी नसीब में मुहब्ब्त उजड़ा ये आशियाना
जो कभी हुआ था अपना वही बन गया बेगाना

मेरे ख्वाबों को सजाकर मुझे इस कदर  से लूटा
उजड़ा मेरा चमन भी हर सपना मेरा टूटा
अब मै कहाँ पे जाऊँ मेरा कोई न ठिकाना

तेरी हर ख़ुशी की खातिर मैने अपना सब गंवाया
मिला क्या तुझे मुझे यूं मिटाके ही चैन आया
तेरे हर सवाल पर है मेरा दिल बना निशाना

कुछ न थी खबर मुझे भी टूटेगा दिल यूँ मेरा
तेरे प्यार के सहारे बसाया था घर जो मेरा
ये कहाँ की दोस्ती है ये कहाँ का दोस्ताना
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 7 अप्रैल 2016

माता की भेंट - ( तर्ज - दिल तोडना किसी का )


बिगड़ी बनाने वाली जगदम्बिका तू ही है
जिसका न कोई जग में उसकी सदा तू ही है

तेरा नाम है वो साधन जो भव से पार करदे
तेरी जोत  की किरण इक रोशन जहाँ को करदे
मेरी लाज रखने वाली मेरी आत्मा भी तू है

तेरा द्वार छोड़कर मै जाऊं कहाँ बता दे
मै राह को हूँ भूला मुझे रास्ता दिखा दे
मै आस का हूँ पंछी मेरा आसरा तू ही है

मै बाल हूँ तुम्हारा माता हो तुम भवानी
तेरे शिव मै किससे अपनी कहूँ कहानी
मेरे दुःख मिटाने वाली ऐ मैया तू ही तू है
@मीना गुलियानी

माता की भेंट - तर्ज- हम छोड़ चले है महफ़िल को


मेरी नाव तुम्हारे हाथ में है जगदम्बे पार लगा देना 
पापी मन के अंधियारे में इक प्रेम  का दीप जला देना 

                       जीवन तो दिया कुछ करने को पर भूल गया भव झंझट में 
                        मै एक अभागा राही हूँ, हे माँ मुझे राह दिखा देना 

तुम भक्तन की हितकारी हो ,करती सबका कल्याण तुम्हीं 
मुझ दीन की हालत देख ज़रा , मेरे बिगड़े काम बना देना 

                      अगर भूल जाऊँ मै तुमको पर ,मुझको भूल न जाना तुम 
                      आकर तुम किसी बहाने से, मेरी भूलें तुम बिसरा देना 

तुम जगतारण जगमाता हो,मै तेरा ही इक बालक हूँ 
इस दास के हृदय आँगन में,एक दया का दीप जला देना 
@मीना  गुलियानी   


करलें बसेरा हम तुम


नदिया के पार चलो करलें बसेरा हम तुम 
ढूँढे हमें सारा जहाँ कहीं खो जाएँ हम तुम 

                   ठण्डा ठण्डा पानी यहाँ भँवरे गुनगुनाते है 
                   फूल गुलिस्ताँ में तो सब खुशबु  लुटाते है 
                   चलो यहीं खो जाएँ होश हो जाने दो गुम 

मस्त मस्त  मौसम है हवा मतवाली है 
दिल मेरा झूम रहा झूमे डाली डाली है 
कितना सुकूँ है यहाँ चलते रहें हम तुम 

                    न रुको तुम भी कहीं न रुकें हम भी कहीं 
                    बढ़ते रहें आगे न दिखे हद है कहीं 
                    दोनों थामे हाथों को वादियों में हो जाएँ गुम 
@मीना गुलियानी 

तर्ज --ऐ मेरे दिल नादान (माता की भेंट)

मुझे आस तेरी मैया ना निराश मुझे करना 
सब कष्ट हरो मेरे आंचल की छाँव करना 

मेरे मन के द्वारे में आ करलो बसेरा माँ 
तेरी जोत जले मन में हो दूर अँधेरा माँ 
मै आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना 

मेरी आस का बंधन माँ टूट न जाए 
क्या साँस का भरोसा पल आये न आये 
मेरे नैन प्यासे है मेरी प्यास बुझ देना 

सब देख लिया जग को माँ कोई नहीं अपना 
सब झूठे नाते है जग सार इक सपना 
मै भटका मुसाफिर हूँ तू राह दिखा देना 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 6 अप्रैल 2016

तर्ज - बार बार तोहे क्या समझाए पायल की झंकार (माता की भेंट)

जय जगदम्बे मात भवानी दया रूप साकार 
सुनो मेरी विनती आया हूँ तेरे द्वार 

आज फंसी मंझधार बीच मेरी नैया 
तुम बिन मेरा कोई नहीं है खिवैया  
नैया मेरी जगदम्बे माँ ,करदे भव से पार--------------  

महिषासुर के मान मिटा देने वाली 
रावण जैसे दुष्ट खपा देने वाली 
पाप मिटा देती चामुण्डा , ले कर में तलवार -------------

 तेरे नाम की महिमा अजब निराली है 
अपने भक्तों की करती रखवाली है 
अपने भक्तो की खातिर, तूने रूप लिए भू धार -------------

जगमग करती जोत  तुम्हारी है माता 
विद्या और बुद्धि बल की तू दाता 
गाता हूँ मै गीत तुम्हारे ,मैया करो उद्धार -----------------
@ मीना गुलियानी ----

करती है बेकरार


ये रुत जाने आई कैसी करती है मुझको बेकरार 
मै भी न जानू मेरा आँचल लहराए क्यों बार बार 

                   वादी में झूमूँ मै तो घड़ी घड़ी 
                   मस्ती में डोलूं इत उत घड़ी  घड़ी 
                   दिल खोया जाए किसको बुलाये 
                   करता है किसका इंतज़ार 

देखो मस्ती सी छाई है प्यार की 
खिल गई है कली भी कचनार की 
झूले पड़ गए सावन बुलाये 
पड़ने लगी है फिर फुहार 

                   चंदा भी देखो है गीत गाने लगा 
                   चाँदनी के संग में गुनगुनाने लगा 
                   तारों की डोली लेकर आए 
                   किसके लिए ये सब कहार
 @मीना गुलियानी 

मेरी आगामी पुस्तक --"102 कविताएँ "


मेरी आगामी पुस्तक --"102 कविताएँ "




आप सभी पाठकगणों को यह बताते हुए मुझे अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि मेरी छठी पुस्तक  "102 कविताएँ "

कश्यप प्रकाशन  के माध्यम से शीघ्र ही  प्रकाशित होने जा रही है ।   मुझे पूर्ण आशा है कि आपका स्नेहभरा

सहयोग तथा सराहना इस पुस्तक को भी प्राप्त होगी  जिसकी मुझे आप सबसे अपेक्षा है  ।


मेरी पांचवीं पुस्तक का लिंक है :-

http://www.amazon.in/Bikhare-Panne-Meena-Gulyani/dp/1515087972/ref=sr_1_6?ie=UTF8&qid=1459948695&sr=8-6&keywords=gulyani


धन्यवाद

मीना गुलियानी 

कैसे बतलाएँ हम

अपना जीवन तो मैने तुझे सौंप दिया है
मिले प्यार तेरा - पाऊँ तेरा मै संग 
तुझसे कुछ और मैने तो माँगा नहीं 
तेरा साथ कभी भी  न छोड़ेंगे हम 

मेरे जीवन की तुझसे कहानी जुडी 
मेरे गीतों की माला है ये लड़ी 
तेरे सजदे में सर है झुकाए हुए 
कुछ तो करदो करम ---------------

तू ही सपना मेरा जिंदगानी है तू 
मेरी सौगात की हर निशानी है तू 
तुझे आँखों में सबसे छुपाए हुए 
यूँ ही फिरते है हम ------------------

तुम मिले जबसे हर सपना सुहाना लगे 
जीवन खुशियों भरा इक तराना लगे 
तेरी मुस्कान पर है फ़िदा आज भी 
कैसे बतलाएँ हम ----------------------
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 5 अप्रैल 2016

मुश्किल है



दुनिया है दीवार तुमको पाना मुश्किल है
आऊं कैसे पास तेरे आना मुश्किल है

                   कैसे कहदूँ क्यों मै तुमसे दूर हूँ
                   तुझसे मिलने के लिए मजबूर हूँ
                   तू है मेरे सामने पर पाना मुश्किल है

कैसी  देखो छाई है गम की घटा
प्यार से अपने तू इसको दे हटा
अपनी मजबूरी को भी बताना मुश्किल है

                   आ जाओ इक बार तो दीदार हो
                   मिल जाओ तो जीना न दुश्वार हो
                   पैगामे उल्फ़त तुझे पहुँचाना मुश्किल है 
@मीना गुलियानी

करता है आज नमन


तुमको इस देश का बच्चा बच्चा करता है आज नमन
                        तुम हो इस देश का गौरव कैसे भूलें तुमको हम
तुम हो रणबाँकुरे न झुकेगा सर ये तुम्हारा
                       तुमने ही आगे  बढ़कर हर दुश्मन को ललकारा
है बाजुओं में ताकत तुममें वीर शिवा सी
                       लो जब हुँकार तो थर थर कांपे छाती दुश्मनों की
न  कर सके बाल भी बांका रण में कोई तुम्हारा
                      तुम आन बान हो वतन की रहे ऊँचा तिरंगा हमारा
है देश को गर्व तुम्हीं पर तुम  विजयी पताका फहराओ
                       न लज्जाना दूध माता का न पीठ पे गोली खाओ
है नाज़ हमें तुम पर है तुम हो इस देश के वासी
                       कितने क्रांतिवीरों ने न झुकने पर पाई है यहाँ फांसी
है मातृभूमि की सौगन्ध तुम्हें तुम इसका कर्ज चुकाना
                       तुम बनकर प्रहरी इसके दुश्मन के हर वार से बचाना
@मीना गुलियानी

रोता है ज़ार ज़ार क्यों



ऐ दिल सम्भल जा अब न सता रोता है ज़ार ज़ार क्यों
जब ये  चमन उजड़ गया लौटेगी अब बहार क्यों

                   पत्ते चिनारों के झड़ गए बागबां सारे उजड़ गए
                  छाई है हरसू वीरानियाँ वक्त का इंतज़ार क्यों

छा गई है यूँ खामोशियाँ चुप हो गईं है सरगोशियाँ
गुलशन उजड़ गया मेरा माली का इंतज़ार क्यों

                      हर शाख अब बेनूर है डाली पे अब न सरुर है
                      फ़िज़ा की रुत बदल गई मौसम का ऐतबार क्यों 
@मीना गुलियानी 

धड़कन सुनाई न जाए


मुहब्ब्त की धड़कन सुनाई न  जाए
ये वो शह है जो कि दिखाई न जाए

जहाँ सो गया आज इसकी  ख़ुशी में
सम्भला न वो मय पिया जो  किसी ने
ये वो शह है जो कि अाजमाई न जाए
जुबां पे कोई बात लाई न जाए

न  टला है किसी का   कोई भी वादा
पूरा करें हर आशिक अपना  इरादा
ये खंजर से काबू में लाई  न जाए
मिटा दे जो  हस्ती वही उसको पाये 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 4 अप्रैल 2016

हमको जफ़ा न आई


तुमने वफ़ा न की थी हमको जफ़ा न आई 
दिल है तुम्हारा पत्थर उससे ही मात खाई 

                 इस दिल ने हमको भी तो लाके कहाँ पे छोड़ा 
                 किससे करें शिकायत जब आग खुद लगाई 

बर्बादियों का मंज़र जाके किसे दिखाएँ 
खुद ही बने थे दुश्मन कैसी ये बेवफाई 

                   किससे करें गिला हम जाने ये क्या हुआ है 
                   अब रोशनी भी गुम है कैसी ये रात आई 

पूछो जमाने भर से क्या हाल है हमारा 
अब तो खुद ही जाने दुनिया न समझ पाई 
@मीना गुलियानी 

सपना मेरा टूट गया



प्यारा सा सपना मेरा टूट गया
साथी सफर का पीछे छूट गया

                     ऐसा भी क्या हमने तुम्हारा बिगाड़ा
                     जाते हुए जो तुमने हमें न पुकारा
                     हमने इंतज़ार किया दिल बेकरार किया
                     खुशियों भरा ये दामन हुआ बेसहारा
                      साथी हमारा हमसे रूठ गया

ओ बेवफा ये कैसी प्रीत निभाई
खुशियाँ भी छीनी तूने निंदिया उड़ाई
हमें मंझधार छोड़ा दिल का करार तोडा
हमको फ़िज़ा ये तेरी रास न आई
तेरी ज़फ़ा ने हमको लूट लिया
@मीना गुलियानी 

रविवार, 3 अप्रैल 2016

रे मन थोड़ा धीर धरो


गोरी का पिया से मिलन होगा
रे मन थोड़ा धीर धरो
चंदा उतरा तेरे आँगन होगा
रे मन थोड़ा धीर धरो

गोरी घूँघट में शर्माती आई पिया के पास
लज्जा से शर्माकर उसने कहदी जी की बात
चंदा तारों का संगम होगा रे मन थोड़ा धीर धरो

पायल उसकी छम छम बोले नथनी हाल डोले
पिया से गोरी शरमा जाए घूँघट वो न खोले
आज मनवा बड़ा चंचल होगा रे मन थोड़ा धीर धरो

गोरी का मुख्य इतना सुंदर जैसे कोई मोर
पिया एकटक ताकें जैसे चंदा और चकोर
सजना का उसे दर्शन होगा रे मन थोड़ा धीर धरो
@मीना गुलियानी 

सच्चे वादे है प्यार के


प्रीत की ये डोर सैंया जाओ न विसार के
बांधे जो धागे सच्चे वादे है प्यार के

                दिल में हमारे पिया तू ही बसा है
                इतना बताओ मुझे क्या मेरी ख़ता है
                ऐसे क्यों रूठे पिया हमें यूं विसार के

रोकूँ में रास्ता तेरा थामूं तेरी बैंया
प्यार के अपने पिया दे दो ना छैंया
दिल में बसाना हमें भूलें विसार के
@मीना गुलियानी 

नई क्रान्ति के सैनानी


तुम नई क्रान्ति के सैनानी
तुम स्वर्ग धरा पर ला सकते
यदि तुममे संबल साहस है
तुम दुनिया नई बना सकते

                       तुम इन हाथो की मेहनत से
                       मिट्टी को सोना कर  सकते
                       धरती में छिपे  खज़ाने से
                       भारत का आँचल भर सकते

आज क्रान्ति के बीज बरसते
डोल रहे पेड़ों के पात
आज बन्धनों में जकड़ा है
मानवता का जर्जर गात

                         नव संसृति संवाहक बनकर
                        किरण बाण से दो तुम चीर
                        आज पुरातन गौरव का फिर
                         लहराए सागर गम्भीर

अम्बर के चाँद सितारों में
संदेश नया  सा आता है
सुषमा सीमित है कहीं नही
तुमको आकाश बुलाता है
@मीना गुलियानी


जाके किसे सुंनाएँ

ये तराने प्यार के हम जाके किसे सुंनाएँ
दिल में भरें है अरमां कहदो कि न रुलाएं

                   इन आँसुओं के मेरे सैलाब न रुके है
                   गम से भरा जहाँ है देखो जिधर भी जाएँ

दिल के गमों का लेकिन कोई नहीं ठिकाना
इन बादलों से कहदो , कहीं और बरस जाएँ

        तकलीफ क्यों तुम्हें दें  हमको  नहीं गंवारा
ये मेरा नसीब जाने, कहाँ आशियाँ बनाएं
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 2 अप्रैल 2016

चुपके चुपके चोरी चोरी


छेड़ दिया मेरी मन वीणा का तार फिर से
आज किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी

                  न जाने किस दिशा से आकर
                  मन पंछी को फिर भरमाकर
                  सौंप दिया अपने जीवन का भार
                  किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी

भँवरे ने गए फिर  गाए गाने
अपने मन की प्यास बुझाने
खींच लिया अंजान पुष्प का सार
किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी

                 यौवन तो  होता है दीवाना
                 दिल दे बैठा बन मस्ताना
                 घाव बताओ वार किया कब
                 किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

दीप जलते रहेंगे


तेरी यादो  के दीप  जलते रहेंगे
कभी न बुझे ये कभी न बुझेंगे 
तेरे प्यार की इब्तदा जब से की है 
तू ही है खुदा बंदगी मेरी तू है 
इरादों से अपने गुज़रते रहेंगे 

                   तेरा प्यार दिल से कभी कम न होगा 
                   ये बढ़ता रहेगा कभी न मिटेगा 
                   निभाएंगे हम भी इसे जिंदगी भर 
                   ये देखेगी दुनिया हमें यूं उम्र भर 
                   मुहब्ब्त  की राहों से गुज़रते रहेंगे 

ये  दूरी कभी भी न  तुझसे गंवारा 
तू ही मेरी मंजिल तू ही है किनारा 
ये किश्ती मेरी अब तो तेरे हवाले 
देखूँ मै भी तो जीवन के उजाले 
दिए उम्मीदों के जलते रहेंगे 
@मीना गुलियानी 

इंतकाम लिया



मेरे नसीब ने जब मेरा इम्तेहान लिया
तेरी यादों ने आके मेरा हाथ थाम लिया

                       फ़िज़ा भी आँसुओ  में डूब गई जब
                       सुकूँ मिला जो  तुम्हारा नाम लिया

मै तो इक हर्फ भी न कह पाया तुमसे
मेरी बेबसी ने फिर से तेरा सलाम लिया

                       मेरी हर ख़ुशी ने तेरे गम की आबरू रखी
                      पर तेरे गम ने मेरी ख़ुशी से इंतकाम लिया
@मीना गुलियानी