ये कौन आया कि सांसो में महक आने लगी
ये कौन आया कि फूलों से खुशबु आने लगी
किसके आने से बागों में बहार आई है
किसके आने से हर कली कली मुस्कुराई है
किसके आने से कली दिल की खिल उठी
किसके आने से हवा खुलके झूम उठी
किसने उपवन मेरा आज महकाया है
दबे पाँव ये यहाँ कौन चलके आया है
तितलियाँ झूमने लगीं पराग उमड़ उठा
भँवरो का भी गुंजन राग आज बज उठा
चाँद तारों ने गगन को रौशनी से नहलाया है
जुगनुओं ने टिमटिमाकर चमक को बढ़ाया है
बादलों ने अपनी काली घटा छितराई है
कहीं कहीं बिजली की किरण चोंधयाई है
पलकों में आके ये चुपके से कौन मुस्काया है
किसने मस्ती भरा गीत कानों में गुनगुनाया है
हवा ने भी अपना परचम आज लहराया है
दूर से सब परदेसियों को संदेश भिजवाया है
अब सभी लौट चले है अपने देस की ओर
जहाँ पर बुला रही है सबको इक नई भोर
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें