यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

ऐ री पवन

ऐ री पवन तू बन जा सहेली
मै हूँ अकेली अलबेली
संग मेरे तू चलदे साथिया

मेरा आँचल तू थाम ले
बनके सहारा मुझे छाँव दे
साथी है सारे नाम के
रास्ते अनजाने इस गाँव के
चल दे तू संग, बनके मेरी छैंया --------------मै हूँ अकेली अलबेली

रास्ते ये कितनी दूर है
पाँव चलने को मजबूर है
पर्वत के पीछे मेरा गाँव है
यहाँ की सुहानी शाम है
है न कोई गम ,तेरी ले लूँ बलैया ---------------मै हूँ अकेली अलबेली

झरने सुहाने इस गाँव के
आम भी रसीले इस गाँव के
छू लूँ आज मै गगन
होके मस्ती में मगन 
झूमूँ तेरे ही संग,बनके पुरवईया ---------------मै हूँ अकेली अलबेली
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें