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गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

बुला रही है तुम्हें


ये वादियाँ ये हवाएँ बुला रही है तुम्हें
फ़िज़ा की मस्त सदाएं बुला रही है तुम्हें

               कैसे बताएं तुम्हें हम क्या क्या हमपे गुज़री है
               इन आँसुओ की सदाएं बुला रही है तुम्हें

आ जाओ देख तो लो फिर पलट के हाल मेरा
खामोश दिल की सदाएं बुला रही है तुम्हें

              इस तरह रूठ के जाना मुझे गंवारा नहीं
               मेरे दिल की ये सदाएं बुला रही है तुम्हें

चले भी आओ इधर आके देख लो तुम भी
मेरे लबों की दुआएं बुला रही है तुम्हें
              @मीना गुलियानी 

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