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रविवार, 24 अप्रैल 2016

तेरा चाँद सा मुखड़ा



ये मुस्कुराता हुआ तेरा चाँद सा मुखड़ा
इसके नूर से धुल जाए दिल का दुखड़ा

                  कभी घटा बन जाती तेरी आँख का काजल
                  कहकशां कभी ये चाहे बने वो तेरा आँचल

सदा आबाद रहें तेरी झपकती हुई पलकें
इसके साये में दिल के कितने मैखाने छलके

                   चाँद बन जाए तेरे मुखड़े के  माथे का टीका
                   रूखे बहार भी इसके आगे पड़ जाए फीका
@मीना गुलियानी 

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